फ़क़ीर मोदी की झोली में बिहार ने सब कुछ डाल दिया । अब सुगिया का पति परदेश नहीं जाएगा ?
चुनावी समीक्षा के बीच बिहार ने क्यों सबसे अलग जनादेश दिया है ,इस पर चर्चा होना अभी बांकी है। बिहार में कौन जीता कौन हारा यह इतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना बिहार ने क्यों दिल खोलकर नरेंद्र मोदी का स्वागत किया है ? या फिर क्या बिहार ने अपनी सियासी समाजी क्रांति का अगुआ बनने का फिर से गौरव हासिल कर लिया है और वास्तविक सम्पूर्ण क्रांति का आह्वान किया है ? यह पूछना इसलिए जरूरी है कि जे पी के दत्तक पुत्रों ने ही पिछले 35 वर्षों से सम्पूर्ण क्रांति के नाम पर जातीय विद्वेष पैदा कर सत्ता को अपने और परिवार तक केंद्रित रखा है।यह अलग बात है कि जे पी की क्रांति संताने सता को लेकर इस दौर में आमने सामने हैं। लेकिन इन सबके बीच यह जानना जरुरी है कि 4 वर्ष पहले बुरी तरह से पराजित बीजेपी ने हालिया चुनाव में इतना दमदार जीत कैसे हासिल की है ? सवाल यह भी है कि वर्षो से साथ चल रहे बीजेपी जेडीयू गठबंधन ने 2013 में अपना रिश्ता क्यों तोड़ा और क्यों 2015 में लालू यादव ने नीतीश कुमार को आगे करके ,उनके बेदाग छबि को इस्तेमाल करके न केवल बीजेपी को विधानसभा में भारी शिकस्त दी बल्कि अपने परिवार के लिए खोई ही सत्