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बीफ पर यह बहस बंद करो

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जम्मू कश्मीर एसेंबली का बाकया एक बार फिर मुझे कान के नीचे हाथ सहलाने को मजबूर कर दिया था। इंजीनियर रशीद के दर्द को सिर्फ मैं समझ सकता हूँ क्योंकि ऐसी शरारत के कारण मैंने भी जमकर कभी पिटाई खाई थी। बचपन में मैं मॉ की थाली में मछली डाल कर उसकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की थी ,बदले में मिला सौगात आज तक नहीं भुला पाया हूँ। मिथिला में खान -पान का प्रचलन कुछ खास है ,एक ही परिवार में कोई शाकाहारी है तो कोई मांसाहारी। लेकिन हर कोई हर की आस्था का सम्मान करता है। मैंने अपने वैष्णव माँ को चिढ़ाने की कोशिश की थी।  यही गलती हुर्रियत कांफ्रेंस के साबिक नेता और वर्तमान में एम एल ए इंजीनियर राशिद कर बैठे। कश्मीर के एम एल हॉस्टल में बीफ पार्टी का आयोजन करके मीडिया के कैमरे के  सामने चटकारा लेकर इंजीनियर राशिद चाहे जिस सेकुलरिज्म का तमाशा दिखा रहे हों ,लेकिन कश्मीर से विस्थापित रविन्द्र रैना को यह सेकुलरिज्म रास नहीं आया। रियासत जम्मू कश्मीर असेंबली  पहलीबार एक पंडित के उग्र रूप देखकर हैरान था.. जिस असेंबली में पिछले ३० वर्षो में आजतक कोई शांति प्रस्ताव नहीं लाया गया उस अ...