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कश्मीर की  सियासत में सेंटीमेंट का तड़का : डीडीसी चुनाव में गैंग बनाम अनजान चेहरे 

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मुझे याद है पार्लियामेंट के दर्शक दीर्घा से छलांग लगाकर सदन के अंदर कूदने वाले भाषा आंदोलन के नौजवान पुष्पेंद्र चौहान को अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था सीधे रास्ते सदन में आओ ! इस तरह कूदने छलांग लगाने की जरुरत लोकतंत्र में नहीं है, हर समस्या का समाधान इस लोकतंत्र की व्यवस्था में है। कश्मीर समस्या के समाधान के लिए अंततः अटल जी का फार्मूला काम आया। आतंकवाद और करप्शन से जूझ रहे जम्मू कश्मीर में धारा 370 और 35 A के ख़तम होते ही पहलीबार जम्मू कश्मीर में संवैधानिक हैसियत से पंचायती राज व्यवस्था लागू हुई है और एक साथ 50000 से ज्यादा स्थानीय लोग स्थानीय निकायों और पंचायतों के प्रतिनिधि बनकर जनता के बीच भरोसे का प्रतिक हो गए। इनमे न तो कोई एन सी था न ही कोई पी डी पी न ही कोई जमाती। अवाम के चुने हुए इन प्रतिनिधियों को अधिकार मिला पैसे मिले तो जो विकास जम्मू कश्मीर के दूर दराज इलाकों में 70 वर्षों में नहीं हुआ वो महज इन दो सालों में कर दिखाया। केंद्र सरकार के तमाम फ्लैगशिप स्कीम सौ फीसदी जमीन पर पहुँचने का रिकॉर्ड कश्मीर में पहली बार बना है। इसे कहते हैं लोकतंत्र में सामाजिक भागीदारी ,इ