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अगस्त 13, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बाढ़ :उपेक्षित बिहार हर बार सियासत का ही शिकार होता है

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“ बाढ़? ”  “बकरा नदी का पानी पूरब-पश्चिम दोनों कछार पर ‘छहछह’ कर रहा है। मेरे खेत की मड़ैया के पास कमर-भर पानी है।” “दुहाय कोसका महारानी!”  इस इलाके के लोग हर छोटी-बड़ी नदी को कोसी ही कहते हैं। कोसी बराज बनने के बाद भी बाढ़?... कोसका मैया से भला आदमी जीत सकेंगे?  ..लो और बांधों कोसी को!  “अब क्या होगा?”  कल मुख्यमंत्रीजी ‘आसमानी-दौरा’ करेंगे। ...केंद्रीय खाद्यमंत्री भी उड़कर आ रहे हैं। नदी-घाटी योजना के मंत्रीजी ने बयान दिया है। और रिलीफ भेजा जा रहा है। चावल-आटा-तेल-कपड़ा-किरासन-तेल- माचिस-साबूदाना-चीनी से भरे दस सरकारी ट्रक रवाना हो चुके हैं। ...कल सारी रात विजिलेंस कमिटी की बैठक चलती रही। फणीश्वरनाथ रेणु के 40 साल पुराने संस्मरण को पढ़कर लगा ,कुछ भी तो नहीं बदला है। .बिहार, बाढ़ और भ्रष्टाचार की कहानी में। गंगा ,सोन ,पुनपुन ,फल्गु ,कर्मनाशा ,दुर्गावती ,कोसी ,गंडक ,घाघरा ,कमला ,भुतही बलान ,महानंदा इतनी नदियाँ जो जीवन धारा बन सकती थी लेकिन साल सिर्फ तबाही लाती है और हमारी सरकार फिर  अगलीबार का इन्तजार करती है।   बिहार के 18 जिलों में जलप...

गाली से न गोली से बात बनेगी बोली से : पी एम मोदी का नया संकल्प

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आज़ादी के 70 वें सालगिरह पर प्रधानमंत्री मोदी का लाल किला से सम्बोधन एक नयी शुरुआत ,एक नयी पहल का आगाज है ।   नए भारत के संकल्प के साथ  कश्मीर पर सरकार का दृष्टिकोण कश्मीरियत से लवरेज है  जिसमे हिंसा की कोई जगह नहीं होगी। "गाली से न गोली से बात बनेगी गले लगाने से प्यार की बोली से " क्या वाकई में ऐसे हालत कश्मीर में है या प्रधानमंत्री ने  इस दर्शन को आगे रखकर एक नयी शुरुआत का मन बनाया है ?  याद कीजिये "बम से न गोली से बात बनेगी बोली"  से अटल जी  के दौर में तत्कालीन सी एम मुफ़्ती मोहम्ममद सईद ने यह नारा दिया था। कश्मीर में एक नयी पहल की जीद  अटल जी ने  की थी । याद दिलाने की जरूरत यह भी है कि अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में मिलिटेंसी इससे ज्यादा गंभीर थी। श्रीनगर अस्सेम्ब्ली और संसद पर  अटैक उन्ही के दौर में हुआ था लेकिन वाजपेयी ने कश्मीर में अपना तार कभी टूटने नहीं दिया। जो लोग कहते थे अब्दुल्लाह के बिना कश्मीर नहीं ,बिना रिगिंग के वोट नहीं वहा फ्री एंड फेयर इलेक्शन करवाकर गैर अ...