जात न पूछो साधु की ,जात न पूछो गरीब की
कौन कहता है आसमा में सुराख नहीं हो सकता ... सन्नाटे को चीरते हुए ,रात के 12 बजे मैं अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहा था ऑटो ड्राइवर ब्रजेश सिंह ने मुझे टोका सर ! मैं कभी किसी से नहीं उलझता ,अपना सपना कुछ अलग है। मुझे लगा शायद ड्राइवर अभी भी रेलवे स्टेशन पर अपने दूसरे ऑटो ड्राइवरस के साथ हुई झड़प से आहत है। सर ,नीट के मेडिकल टेस्ट में मेरी बेटी 68 फीसद मार्क्स लाई थी ,इस बार कौन्सेलिंग में उसे कोई सीट नहीं मिली। लेकिन अगली बार जरूर निकाल लेगी। जनरल कोटे में नहीं होती तो इसबार ही टॉप कॉलेज मिल जाता। कहाँ पढ़ती है ? मैंने पूछा ,दोनों बेटियां कोटा में कोचिंग ले रही है ब्रजेश सिंह की बात सुनकर मैं उछला ,कोटा, राजस्थान में। हाँ सर ! उसके आत्मविश्वास ने मुझे बौना बना दिया था। हिंदुस्तान के अमूमन हर गरीब व्यक्ति का लगभग यही संघर्ष है जो अपने लिए ,अपने बच्चों के लिए सपना देखता है ,गरीबी को हराना चाहता है। मुजफ्फरपुर के ब्रजेश सिंह की दो बेटियां है। ज़िद है कि दोनों बड़ा डॉक्टर बने। जिद है कि बेटी आगे बढे। लेकिन इसी समाज में कुछ लोगों की यह जिद क्यों है कि उनके अस्तित्व पर पिछड़ा /द...