बीजेपी मे सिविल वार
अबकी बारी अटल बिहारी .... का जमाना ख़तम हुआ । समझा गया कि आडवानी जी ही बीजेपी के खेवनहार बनेंगे । लोकसभा चुनाव के दौरान आडवानी जी को प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर पेश कर पार्टी ने यह एहसास कराया था कि अटल जी की छाया से दूर हटकर बीजेपी ने एक नए युग की शुरुआत की है । लेकिन इस पहल पर जब मतदाताओं ने सवाल खड़ा किया तो पार्टी में हर ओर से तलवार खीच चुकी है । सबसे पहले ख़ुद पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह की ओर से बयान आया "अटल जी कमी हमने मह्शूश की है " लेकिन पार्टी अध्यक्ष को यह कहने का साहस नही था कि बीजेपी की इस करारी हार की समीक्षा होनी चाहिए । यानि अध्यक्ष की कुर्शी उन्हें भी सलामत चाहिए । ख़बर आई कि आडवानी जी अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहते है ॥ लेकिन यह बात सामने नही आई कि किन लोगों ने उन्हें ऐसा करने से मना किया । या फ़िर मान लिया जाय कि बीजेपी में आडवानी जी का अभी कोई तोड़ नही है । कुछ अलग दिखने का दावा करने वाली पार्टी में कांग्रेस संस्कृति हावी है । जसवंत सिंह और यसवंत सिन्हा का ताजा बयान पार्टी के अंदर घमासान मचा दिया है । यानि अनुशाशन के नाम पर पार्टी अध्यक्ष गीदड़