राहुल गाँधी जी ! पार्टी बदलिए ,देश बदल चूका है
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के चुनावी भाषण से अगर चौकीदार,आर एस एस ,रफाल ,अनिल अम्बानी निकाल दें तो उन्हें उत्साहित भीड़ को बताने के लिए शायद ही कुछ बचता है। राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष , 50 साल से ज्यादा हुकूमत करने वाली पार्टी अगर मोदी फोबिया से ग्रसित है, उसके पास यंग इंडिया के लिए कुछ आईडिया नहीं है तो यकीन मानिये इस पार्टी का फिलहाल कोई भविष्य नहीं है। यह मैं नहीं कह रहा हूँ यह राहुल के महागठबंधन वाले बता रहे हैं। बिहार में आज उपेंद्र कुशवाहा को पांच और कांग्रेस को 9 सीट गठबंधन से मिली है। उत्तर प्रदेश ने इन्हे दो सीट लो वरना 80 सीटों पर खड़े होने से तुम्हे कौन रोक रहा। यह कहकर राहुल को ललकारा जा रहा है तो यकीन मानिये कांग्रेस पार्टी नरेंद्र मोदी के खिलाफ मोर्चाबंदी में खुद फस गयी है। पिछले 30 वर्षों से बीजेपी को रोकने यानी साम्प्रदायिक शक्तियों को रोकने का एक मात्र फार्मूला इस देश में इतना कारगर हुआ जितना लोहिया जी का "जिसकी जितनी आवादी उसकी उतनी भागीदारी" और इंदिरा जी का वो कहते हैं "इंदिरा भगाओ मैं कहती हूँ गरीबी हटाओ" जैसे नारे भी इतने वक्त तक चम