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कोरोना महामारी में 2005 वाले नीतीश कुमार को ढूंढता बिहार के 28 लाख प्रवासी मजदूर

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आदरणीय नीतीश कुमार जी , हर हाथ को काम मिले की नीति को आगे बढ़ाते हुए यू पी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने औद्योगिक इकाइयों के साथ एक एम ओ यु साईन किया है. कोरोना काल में 7 लाख प्रवासी मजदूरों के रोजगार के लिए यह पहला कदम है.. योगी कहते हैं दूसरे राज्यों और शहरों से लौट आये ये प्रवासी कामगार और मजदूर उत्तर प्रदेश की अब ताक़त बनेंगे। करेन्टाइन में बैठे लाखों मजदूर भाइयों के लिए यह कोरोना से लड़ने की सबसे बड़ी एंटीबॉडी या सोशल वैक्सीन होगी। लेकिन बिहार में अपने लाखों प्रवासी मजदूर के लौटने से परिवार दुखी है ,समाज को उनसे कोरोना का खतरा सता रहा है और सरकार इस चिंता में है कि इतनी बड़ी फौज की रोजी रोटी कैसे मिलेगी ? नीतीश जी, पिछले हफ्ते हमने बिहार में मनरेगा और जे सी बी वाले मुखिया के ग्रामीण रोजगार वाली कोरोना जहर से आपको अवगत कराया था तो कुछ सुधि पाठकों ने मुझे लिखा कि समस्या नहीं समाधान बताये .समस्या बताने के लिए यहाँ नेता प्रतिपक्ष तेजवसी यादव हैं। कोरोना के मरीज को देखने हस्पताल भले न गए हों लेकिन महीनो बाद घर से बाहर निकले तो 100 से ज्यादा टीवी कैमरा और भारी भरकम सुर...

प्रवासी मजदूर : कोरोना महामारी से बच भी गए तो भ्र्ष्ट प्रशासन और जे सी बी वाले मुखिया जी से बचना मुश्किल

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प्रवासी मजदूरों के सड़क यात्रा ,रेल यात्रा और अब हवाई यात्रा ने बिहार की उलझने बढ़ा दी है। पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना महामारी से निपटने के लिए एड़ी चोटी का दम लगा रही है भारत अपने संसाधनों और सूझ बुझ से अबतक इस महामारी से लड़ते हुए संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जूझते हुए दिख रहा है लेकिन कोरोना के हॉरर कथा की जगह  इनदिनों सडकों पर संघर्ष करते हुए मजदूरों की कहानी ने ले ली है। अन्य राज्यों की तरह तक़रीबन 28 लाख मजदूर अपने घर बिहार लौट रहे हैं 15 लाख प्रवासी बिहारी मजदूर अपने गाँव पहुंच गए है जहाँ वे आज अपने ही गाँव में अनजान बने हुए हैं । सरकार के सामने चिंता अभी इनके कोरेन्टाइन की है लेकिन कल इनकी रोजी रोटी भी बड़ी समस्या होगी और साधन सिर्फ मनरेगा है। यानी ग्रामीण रोजगार का वही करप्ट मॉडल जो पिछले 15 वर्षों से ग्रामीण रोजगार की फर्जी सांख्यकी देकर करोडो अरबो रूपये की संस्थागत लूट का अड्डा बना हुआ है। कोरोना महामारी और  दो महीने...