प्रधानमंत्री नहीं पटवारी बदलिए राहुल जी !
राजधानी दिल्ली में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का किसान मुक्ति मार्च कई मामले में ऐतिहासिक रहा। सवालों की बौछारों के बीच समाधान का सूत्र न तो मंचासीन राजनेताओ ( एम पी निवास के किसान नेता ) की ओर से आया न ही मंच सजाने के लिए दूर दराज गाँव से आये किसान/मजदूरों से कर्जे के अलावा कोई समाधान की मांग उठी। लेकिन मंच से राहुल गाँधी का सन्देश जरूर आया समाधान के लिए पीएम बदलना जरूरी है तो अरविन्द केजरीवाल जी ने अपना ब्रह्म वाक्य दुहराया " ये मोदी हानिकारक है " समाधान सुझाने वाले की दृष्टि मंच और भीड़ तक सिमित थी और किसानो की दृष्टि अपने हजार /लाख कर्जे पर टीकी थी कि कब कर्ज माफ़ी का एलान हो जाय। लेकिन समस्या पीछ छूट गयी कि इस कर्जे के लिए जिम्मेदार कौन है ? क्या ग्रामीण अंचलों में भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे पटवारी/सिस्टम इतने ताकतवर हैं कि किसानो के फायदे की योजनाए डकार रहे हैं। और सरकारे मूक दर्शक बनी हुई है ? प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना देश के उन चुनिंदा फ्लैगशिप योजनाओ में एक है जिसके बल पर प्रधानमंत्री देश और किसान की हालत बदलने का दावा करते हैं लेकि