इन जातिवादी नेताओं से नक्सली क्या बुरे हैं
देश में नक्सली हमलों का कहर जारी है .लेकिन सरकार यह तय नहीं कर पायी है कि नक्सली देश के दुश्मन है या दोस्त .देश के प्रधान मंत्री कहते है कि नक्सली आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है .लेकिन गृह मंत्री नक्सली के खिलाफ असफल अभियान छेड़ने के वाबजूद यह कहने से कतराते है कि नक्सली देश का दुश्मन है .यानी यह तय करने में असमर्थ है कि इस मुल्क का, इस मुल्क के प्रगति का कौन दुश्मन है कौन दोस्त? .नक्सली बन्दूक के जोर पर व्यवस्था परिवर्तन की बात करते है .यानी देश के पिछड़े लोगों को ढाल बनाकर वो शासन पर कब्ज़ा करने की कोशिश मे लगे है .कही उनके समर्थन मे तो कही उनके विरोध में राजनीती का माहोल भी गर्म है .यानी ये बयान राजनीति में नफा नुकसान के आधार पर दिया जा रहा है .लेकिन जो लोग सत्ता पर अपनी प्रभुसत्ता बनाये रखने के लिए देश को टुकड़े टुकड़े मे बाटने की कोशिश में लगे है वे हमारे राज नेता के रूप मे स्थापित है .और हम यह पहचानने मे आज भी धोखा खा रहे है कि ये इस देश की प्रगति के दोस्त है या दुश्मन .यानी दुश्मन को पहचानने मे सरकार भी धोखा खा रही है और हम भी . बाबा भीमराव आंबेडकर ने कहा था मुझे यह बात