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ममता दीदी ,माओवादी दादा और लालगढ़

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ये ममता दीदी का लालगढ़ है या माओवादी दादा का ठीक ठीक कहना थोड़ा मुश्किल है लेकिन यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि यह अव्यवस्था का लालगढ़ है । बस्तर के बाद यह नक्सालियों का सबसे बड़ा लिबरेटेड जोन बना और सरकार को मजबूरन करवाई करनी पड़ी । ३० साल के वामपंथी सरकार की अव्यवस्था का जीता जगता सबूत है लालगढ़ । पिछले सात महीने से नक्सली बुद्धदेव सरकार को खुली चुनौती दे रहे थे । लालगढ़ में नाक्साली रैली निकाल रहे थे प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे और राज्य सरकार चुपa चाप तमाशा रही थी तो माना जा सकता है कि सरकार ने नक्सालियों के आगे हथियार डाल दिया था । या यु कहे कि ममता की खौफ ने वाम सरकार के हाथ पैर बाँध दिए थे । वाम पंथी सरकार चाह रही थी कि केन्द्र करवाई करे और राज्य सरकार तमाशा देखे । कम्युनिस्ट पार्टी का आरोप है कि ममता ने माओवादी से मिलकर राज्य सरकार के ख़िलाफ़ साजिश रची है ,लेकिन सवाल यह है क्या ममता का पश्चिम बंगाल मे इतना असर है कि १००० से ज्यादा गाँव ,कई जिले वाम सरकार से नाता तोड़कर नक्सालियों के शरण में चले गए । अगर वाकई ऐसी हालत है तो सरकार को इस्तीफा देना चाहिए क्योंकि सरकार से लोगों का

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