मोदी आज सबसे बड़े गांधीवादी और कांग्रेसी हैं ?


आईडिया ऑफ़ इंडिया क्या है ? वह जो अंग्रेजी दा लेखकों और बुद्धिजीवियों के बीच बार बार चर्चा होती है। या फिर सोशल मीडिया पर  विचारो की बाढ़ या फिर कुछ छुट्ठा पत्रकारों के प्रोपगैंडा से देश बदलने की कबायद। सरल भाषा में समझे तो आईडिया ऑफ़ इंडिया "जिओ " नेटवर्क है जो देश में हर आम और खास को काम पर लगा दिया है या फिर राहुल गांधी का देश गाथा /मोदीनामा   जिसे लेकर वे देश -विदेश में विख्यात हो रहे है। लेकिन एकबार इस  आईडिया ऑफ़ इंडिया में  2014 की कश्मीर में आयी बाढ़ या फिर हालिया केरल की बाढ़ को समझे तो आईडिया ऑफ़ इंडिया से बेहतर आपको भारतीयता समझ आएगी। यह भारतीयता एन डी आर एफ टीम के सदस्य जैसल के पी को बेहतर पता है जिसने अपने पीठ को सीढ़ी बनाकर महिलाओ ,बच्चों और बुजुर्गो को नाव पर चढ़ने में मदद की थी । सेना के वो हजारो जवान ,स्वयं सेवी संस्थानों के हजारो स्वयसेवक हजारो  लोगों को सहारा देने देवदूत की तरह सामने आये और उनकी जिंदगी को दुबारा पटरी पर लाने में मदद की। केरल हो या कश्मीर आपदा की स्थिति में इस  देश के लोगों ने हमेशा बढ़चढ़कर हाथ थामने का काम किया है बगैर आईडिया ऑफ़ इंडिया का लेक्चर सुने। यह यहाँ की परंपरा है ,यही सनातन है। यही भारतीयता है। 

"ऐसा देश है मेरा" केरल में आयी भयानक बाढ़ का असर अभी पूरी तरह से ख़तम हुआ नहीं ,हज़ारो लोग  अभी भी टेंट और कैंप में है लेकिन ओणम त्यौहार  को लेकर , अपने महाबली के स्वागत को लेकर वहां हर केरलवासी में  गजब का उत्साह है। महाबली केरल की लोककथा के जननायक हैं लोग आज भी अपने को उस महान कल्याणकारी राजा के प्रजा के रूप में समझते हैं। मजहब कोई भी हो लेकिन संस्कृति एक है ,परंपरा एक है फिर संघर्ष भी  एक है। जिस देश में हर धर्म और मजहब ने सम्मान पाया हो ,साझी विरासत और साझी रिवायत पहचान रही हो उस देश में आईडिया ऑफ़ इंडिया और टॉलेरेंस का पाठ बचकाना लगता है ठीक वैसे ही जैसे राहुल गाँधी भारत में सीरिया और मुस्लिम ब्रॉदरहुड ढूंढ रहे हैं। यह जानते हुए भी उसी मुस्लिम ब्रॉदरहुड के नेता मोहम्मद मोर्सी को उन्ही की कांग्रेस सरकार ने 2013 में  दिल्ली बुलाकर स्वागत किया था। तो क्या उनकी यू पी ए सरकार को  सांप्रदायिक और राष्ट्रविरोधी माना जाय। 

आज़ाद भारत में वोट देने के अधिकार को लेकर संविधान सभा में सहमति बनी की साक्षर और पढ़े लिखे व्यक्ति ही एम एल ए और एम पी चुन सकते हैं। यह बात गाँधी जी की सूचना में आयी। गांधी जी ने नेहरू जी से कहा था "इस देश का किसान जमीन में अंगूठा लगा कर आने वाले मौसम का हाल बताता है। लेकिन इस देश की संस्कृति/मिजाज  और इतिहास को कुछ अंग्रेजीदा इतिहासकार को पढ़कर लबताया  जा रहा है । राहुल गाँधी सुनी सुनाई बात से भारत के बारे में ,उसकी व्यवस्था के बारे में राय जाहिर कर रहे हैं। उनका अनौपचारिक और औपचारिक  संपर्क/संवाद  कुछ पसंदीदा लोगों से है। जो उन्हें आईडिया ऑफ़ इंडिया के बारे में सतही जानकारी बता रहे हैं। सरकार और प्रधानमंत्री की आलोचना उनका राष्ट्रहित माना जा सकता है लेकिन भारत के बारे में उसके समाज के बारे में राहुल गाँधी जिस तरह अपनी राय बतौर एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष के रूप में रख रहे हैं इससे वे देश से ज्यादा अपना नुक्सान कर रहे है। 

 समाज में हर व्यक्ति और संगठन का योगदान है। देश की आज़ादी की लड़ाई  में कांग्रेस पार्टी का योगदान अविश्मरणीय है लेकिन इस देश को सवल और स्वाभिमानी राष्ट्र बनाने में संघ जैसे दूसरे संगठनो का भी महत्वपूर्ण योगदान  है। क्या अटल बिहारी वाजपेयी का देश बनाने में इंदिरा जी और राजीव जी से कम योगदान था ? अगर गांधी के सत्याग्रह को आदर्श मानकर मोदी ने देश में  स्वच्छता और व्यवहार परिवर्तन  का एक और आंदोलन खड़ा किया है, अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति की चिंता को मोदी सरकार ने सबसे ऊपर रखा है तो माना जाएगा मोदी सबसे बड़े  गांधीवादी हैं । अगर मोदी ने सरदार बल्लभ भाई पटेल के आदर्शो को आत्मसात करने की कोशिश की है और भारत की सशक्त छवि को दुनिया के सामने रखा है  तो माना जायेगा कि मोदी सबसे बड़े कांग्रेसी है। कांग्रेस इस देश की  परंपरा है यह गाँधी परिवार से शुरू और ख़तम नहीं होती है। यह बात राहुल गांधी को समझने की जरुरत है कि इस देश में चार विचारधारा वाले भाई  चार अलग अलग सम्प्रदाय को मानने वाले एक परिवार में रहते हैं। कभी धर्म और विचारधारा  को लेकर इनके बीच  तकरार नहीं होती है। यहाँ किसी ने आईडिया ऑफ़ इंडिया किताबो में नहीं पढ़ा है यह परंपरा उसके डीएनए में है। 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

हिंदू आतंकवाद, इस्लामिक आतंकवाद और देश की सियासत

है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़ !

हिंदुत्व कभी हारता क्यों नहीं है !