आइडिया ऑफ इंडिया वाले आदि शंकर को प्रणाम!

आइडिया ऑफ इंडिया वाले आदि शंकर को प्रणाम ! केदारनाथ मंदिर के चारों ओर निहारते हुए मेरे मन में पहला सवाल आया कि क्या आदि शंकराचार्य एडवेंचर टूरिस्ट थे या केरल के एक सुदूर गांव के कोलंबस थे या चारों दिशा में चार मठ स्थापित करके सनातन संस्कृति के धर्म ध्वजाधारी ।बद्रीनाथ धाम पहुंच कर लगा अगर यहां बद्री विशाल न होते तो क्या हिमालय के नंदा देवी और शिवालिक जैसी पर्वत श्रंखलाएं भी कैलाश मानसरोवर की तरह हमे परमिशन लेकर आना पड़ता।एक सन्यासी बिना युद्ध लड़े सांस्कृतिक राष्ट्र के स्वरूप से समाज का परिचय कराया था। हिमालय की तंग सीढ़ियों और जोखिम भरे रास्ते पर चलते हुए हजारों की तादाद में निरंतर चल रहे यात्रियों में किसी को मोक्ष की कामना है, किसी को बाबा केदारनाथ का दर्शन तो नई पीढ़ी के लिए भारत का सबसे सुंदर एडवेंचर ट्रैकिंग प्लेस। लेकिन आज के आइडिया ऑफ इंडिया वाले लोगों ने कभी यह सोचा भी नहीं होगा कि आदि शंकर ने इन दुर्गम पहाड़ों पर भी सर्विस सेक्टर बना कर हजारों लोगों की जीविका का बड़ा साधन यात्रा के रूप में दे दिया था। ये भारत का ओरिजिनल आइडिया ऑफ इंडिया है जिसमें सिर्फ गंगा के दम प...