आरक्षण का मतलब क्या ?

आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से न तो मेरे गांव का सियाराम मिश्रा खुश हैं न ही फोचु पासवान । सियाराम मिसिर कई पुश्तों से महराजी का काम करते हैं । आज भी गांव के लोग भोज के दौरान उनके बाबा को खास तौर से याद करते हैं । उनके बनाई हुई सब्जी की चर्चा आज भी लोग करते हैं । सियाराम मिसिर का खानदान अर्थ और धर्म से विशुद्ध ब्राह्मण है। खेती बादी है नही इसलिए उपार्जन कभी मसला नही बना । मांग चांग कर गुजरा करना इन्होने परम्परा से पाई है सो मिसिर जी के खानदान का गुजारा चलता रहा । लेकिन पिछले एक अरसे से इन्हे अब शहरों की खाक छाननी पड़ी है । जाहिर है सियाराम मिसिर को यहाँ भी वही काम मिला जिसकी प्रसिधी उन्होंने गांव मे पाई थी । कलकत्ता मे २० साल गुजारने के बाद सियाराम मिसिर गांव लौटे तो ठगे से रह गए की उनके बेटे भी वही महराजी का काम कर रहे थे । उनकी दिली तमन्ना थी उनके बच्चे पढे और इज्जत की रोटी खाय लेकिन ऐसा हो न सका । गरीबी की दलदल मे फसा ऐसे सैकडो सियाराम मिसिर का खानदान जिल्लत की जिन्दगी जी रहा है लेकिन इस देश का विधान इस देश की संसद उसे सामाजिक और शैक्षणिक तौर पर अगडा मान रही है । फोचु पासवान और सियाराम मिसिर की दोस्ती जगजाहिर है मिसिर जी ठहरे गरीब लेकिन शौक बाबुओं वाली जाहिर है शाम ढली तो कुछ खाने पीने का इंतजाम जरुरी है और इस हालत मे इनकी अतृप्त आत्मा को फोचु पासवान का tadi खाना तृप्त करता है । सामाजिक स्तर भले ही दोनों का अलग अलग हो लेकिन दोनों के बीच आर्थिक समानता इनके रिश्ते को मजबूत बनाती है । फूचन पासवान के घर मे आज तक किसी ने कोई सरकारी noukri का मुह नही देखा । सरकारी नौकरी से इनका का कोई वास्ता नही है जाहिर है आरक्षण की तमाम बहस यहाँ कुंद पड़ जाती है । निति निर्माता भले ही सामाजिक संरचना को ऊँची जाती और नीची कास्ट के दायरे में देखते हों लेकिन गांव का सामाजिक संरचना का आधार सिर्फ़ आर्थिक ही है । पंडित हो या अहिद पासवान हो या कामत जो खानदान एक बार आगे बढ़ा उसने कभी पीछे नही देखा । आरक्षण की तमाम सुबिधा इन्ही कुछ खास तबके मे बाँट जाता है । सियाराम मिसिर जैसे लोग महराजी का काम करने पर मजबूर होते रहेंगे और व्यवस्था उनका मुह चिधाती रहेगी । फोचु पासवान जैसे लोग यह सुनकर तृप्त होते रहेंगे आरक्षण के कारण बाबू राम के चारो बेटे आई ऐ एस बन गए और बेटी मंत्री । फोचु पासवान को यह भी पता है उसके पुरखों ने भी जान jokhim मे दाल कर tari उतारी है उनके बच्चे भी ऐसे ही गुजरा करेंगे । आजादी के इतने वर्षों के बावजूत अगर हम सियाराम मिसिर और फूचन पासवान को नजर अंदाज कर आरक्षण लागू करते रहेंगे आने wala कल इस siysat को andhi siyasat का नाम देगा । दस वर्ष के आरक्षण के सीमा को हमने पचास साल बढ़ा दिए , सिर्फ़ इसलिए की बांटो और राज करो का इससे बेहतर और कुछ भी नही हो सकता था ।
सिर्फ़ सत्ता मे बने रहने के लिए कास्ट क्रिड रीजन भाषा द्रविर आर्य मे इस मुल्क को टुकड़े टुकड़े मे बँटा जा सकता है तो सियाराम मिसिर और फोचु पासवान जैसे लोगो यह समझना पड़ेगा की यह देश अभी कुछ मुठी भर नेताओं के हाथ गूलाम है । उनकी आजादी अभी कोसों दूर है।

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
मिश्र जी
सही फरमा रहे है जनाब
तो सियाराम मिसिर और फोचु पासवान जैसे लोगो को यह समझना पड़ेगा कि यह देश अभी कुछ मुठ्ठी भर नेताओं के हाथो मे गुलाम (बंधुआ ) है उनकी आजादी अभी कोसों दूर है . मिश्रा जी कभी यहाँ भी आये

http://mahendra-mishra1.blogspot.com
http://safalprahri.blogspot.com
अफ़लातून ने कहा…
फोचू बिना जनेऊ महाराज का काम नहीं पा सकता।यह मिसिरजी के लिए आरक्षित है।जनेऊ देख के भीख भी ज्यादा मिसिर को मिलेगी।
Unknown ने कहा…
मुझे नहीं लगता कि गरीब सवर्णों के बारे में कोई सोचेगा। इस देश में नीतियों के बारे तभी सोचा जाता है जब वह प्रजाति एक "वोट बैंक" हो। सरकारों का अगला कदम निजी कम्पनियों में आरक्षण होगा… इसलिये घुट-घुटकर जीने और अपने से कम प्रतिभाशाली को आगे बढ़ते देखने के अलावा कोई और चारा नहीं है। यदि थोड़ा पैसा और हिम्मत हो तो ब्राह्मणों को भारत छोड़ने में ही भलाई है… आने वाला भविष्य बहुत अंधकारमय है…
vaishali ने कहा…
hi Mishra jee , you have shown real picture of reservation and who is suffering from this bane . how political party buring issue for votebank. this is real example that from long long time how upper caste become victim by a few politcal leader . i think this will devastate the country on name of thousand of caste and language .i think time has come to stop such meager political advantage or ready to face ugly picture of country on shake of reservation . Amit kumar
meenakshi ने कहा…
Mishra ji yeh bilkul theek hai ki reservation har party ka vote bank hai kisi bhi caste ke liye theek nahi yeh to castism ka end na ho aur vote bank bana rahe uska ek Jaria hai. agar sach mai logo ka bhala karna hota to har form se cast ka coloumn hi hata diya jata. phir na koi siyaram misir hota na futu paswan.

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