जब मोदी ने पाकिस्तान की दुखती नब्ज पर लात रख दिया !

 जब मोदी ने पाकिस्तान की दुखती नब्ज पर लात रख दिया (22 साल पुराने मेरे एक लेख पर आधारित )



जम्मू कश्मीर लिबरेशनफ़्रंट के पूर्व कमांडर  हासिम कुरैशी भारत के विमान को हाईजैक कर पाकिस्तान ले जाने वाले पहले आतंकी थे। 2002 में उनके भारत लौटने पर मैंने उन्हें पाकिस्तान का अनुभव पूछा। उन्होंने कहा था भारत सरकार अंधा है। कश्मीर कोई समस्या नहीं है ,जिस दिन भारत इंडस वाटर ट्रीटी ख़त्म कर देगा। पाकिस्तान घुटने के बल लोटने लगेगा। 23 साल पुराने आर्टिकल को आज मैं रिविजिट कर रहा  हूँ। हाशिम कुरैशी ने कहा था सिर्फ पानी के लिए कश्मीरियों को पाकिस्तान ने जिहाद में झोंक दिया था। 

कहते हैं  कि पानी रे पानी तेरा रंग कैसा ,लेकिन यह पानी अगर सियासत के रंग में रंग जाए  तो इसका बदरंग होना तय है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद  पानी पानी हुआ पाकिस्तान को यह अंदाजा नहीं था कि पी एम मोदी  भारत पाकिस्तान के बीच 70 वर्षों की इस समस्या के सूत्र को ढूंढ लेगा 

 जम्मू कश्मीर स्टडी सेंटर के अरुण कुमार जी अक्सर कहते थे ,आखिर वे कौन लोग हैं  जो कश्मीर को  मसला मान रहे है ? बात साफ़ है जिनका इस मसले से निजी या सियासी फ़ायदा है उन्होंने  हर दौर मे इस मसले को जिंदा  रखने की कोशिश की है और वे काफी हद तक कामयाब भी हुए.. जम्मू कश्मीर की बड़ी आवादी ने कभी इसे मसला नहीं माना। .अगर यह बाकई आम लोगों के लिए बड़ा मसला होता तो हर चुनाव में 75 -80 फीसद पोलिंग यहाँ नहीं होती।आर्टिकल 370 हटाकर मोदी सरकार ने इस भ्रम को तोड़ दिया था। 

ऑपरेशन सिन्दूर के जख्मों  से लहूलुहान  पाकिस्तानी फ़ौज को 40 -50  अधिकारीयों की मौत या 100 से ज्यादा दहशगर्दों के चीथड़े उड़ जाने की चिंता नहीं है। उसे इस बात की चिंता है कि उसके एटम बम और मिशाईल धरी की धरी रह गयी और मोदी पानी रोक कर पाकिस्तानी  फौज  को बीच बाजार में नंगा कर दिया। यही वजह है जो धमकी कभी दाश्तगर्द सरगना देता था वही धमकी आज जनरल दे रहे हैं "तुम पानी रोकेगो हम तुम्हारा सांस रोक देंगे '

पिछले वर्षों में  लश्करे तोइबा के सरगना हाफिज़ मुहमद सईद ने पानी को लेकर भारत के खिलाफ जिहाद करने की बात कई बार कर चुका है। लेकिन पहलगाम के बर्बर आतंकी हमले के बाद मोदी ने यह प्रण किया कि पानी और खून एक साथ नहीं बहेंगे। जब भी इंडस वाटर ट्रीटी के मसले पर भारत पाकिस्तान के बीच कोई मामला आता था। लशकर सरगना हाफिज़ मुहम्मद सईद आगे आकर कहता था पानी के लिए अब जिहाद होगा। इन वर्षो में जम्मू कश्मीर के कई प्रोजेक्ट बंद पड़े रहे। यहाँ तक कि एशिया के सबसे बड़े लेक वुलर परियोजना पर आतंकियों ने ताला लगा दी।गुड विल और दोस्ती की इंडस वाटर संधि बंदूक और एटम बम से डील होने लगा और दिल्ली खामोश रही। 

इन्डस वाटर ट्रिटी के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ल्ड बैंक एक्सपर्ट की भूमिका में थे। जो दोनों देशों के बीच पानी के बंटवारे पर अपना फैसला देता रहा था। भारत -पाकिस्तान के बीच इंडस वाटर ट्रीटी के तहत जम्मू कश्मीर से निकलने वाली तीन नदियों सिंधु ,झेलम और चिनाब के पानी का इस्तेमाल की इजाजत पाकिस्तान को मिली है ,जबकि सतलुज ,ब्यास और रावी के पानी पर भारत का अधिकार है .इन्डस वाटर ट्रिटी के मुताबिक 135 मिलियन एकड़ फीट पानी मे से भारत 3.6  मिलियन एकड़ फीट पानी का इस्तेमाल संग्रहण या फिर सिचाई के लिए कर सकता है .वाबजूद इसके रियासत आजतक 0. 2  मिलियन एकड़ फीट से ज्यादा पानी का इस्तेमाल नहीं कर पाया है। 

तो क्या कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की सियासत  सिर्फ पानी को लेकर है। जाहिर है पाकिस्तान को मिलने वाले पानी का सबसे बड़ा स्रोत जम्मू कश्मीर की नदिया ही है . कायदे आज़म जिन्ना ने कभी कश्मीर को शहरग कहा था यानी वह जीवन की धारा जिसके बगैर जिंदगी ना मुमकिन है .जिन्ना का यह प्रेम कश्मीरियों को लिए नहीं था ।न हीं उन्हें कश्मीर को मजहब को लेकर दिलचस्पी थी।  कश्मीर का मसला कल भी पाकिस्तान के लिए पानी का मसला था आज भी उसका दरकार सिर्फ पानी से है। बढ़ती आबादी और  मौसम के बदले मिजाज ने नदियों से पानी को चुरा लिया है ।जाहिर है अब सिंध झेलम और चिनाब मे पानी की वह धारा ही नहीं है लेकिन पाकिस्तान 60 साल पुराने इस संधि को लेकर कोई बदलाव नहीं चाहता है। 
पानी को लेकर पाकिस्तान के पंजाब ,सिंध और बलूचिस्तान के लोग वर्षों से एक दूसरे पर पानी लूटने का आरोप लगा रहे हैं। पानी भारत का लेकिन सियासत ऐसी की सिंधु दरिया पर बड़े बड़े बाँध बनाकर पाकिस्तानी जनरलों ने सिंध और बलूचिस्तान के हिस्से का पानी झटक कर उसे पंजाब की ओर  मोड़ दिया है। रबी के सीजन मे पंजाब के खेत आवाद  लेकिन सिंध और बलूचिस्तान के खेतों मे एक बूँद पानी नहीं पंहुचा। आज वहां गृह युद्ध की स्थिति बन गयी है।सिंध में जब  लोग इसके खिलाफ सड़क पर उतरे ,मंत्रियों के घर जलाये तो पाकिस्तान की फौज भारत को धमकाने लगी है। 

शांति का नोबेल पुरस्कार से पंडित नेहरू जरा से चूक गए थे। भारत के लाखों किसानो और आबादी  की  जरुरत को नज़रअंदाज करते हुए  पंडित नेहरू ने न केवल इंडस वाटर ट्रीटी में तीन प्रमुख नदियों के पानी पर पाकिस्तान को अधिकार दिया ,बल्कि पानी के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए पाकिस्तान को 80 करोड़ रू की मदद दी थी। बदले में पाकिस्तान ने तीन युद्ध हम पर थोपा और आतंकवाद के जरिये हजारों मासूमों की जान ले ली। 
90 के दशक में "स्काई  इज द लीमिट " का फार्मूला देकर  पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने कश्मीर मसले के हल के लिए शानदार पहल का एलान किया था बदले में कश्मीर के मूल निवासी पंडितों को घर बार छोड़ना पड़ा । अटल बिहारी वाजपेयी ने बातचीत को इंसानियत के दायरे में लाने की कोशिश की।  संवैधानिक दायरे से आगे बढ़ने का जोखिम लेकर अटल जी ने कश्मीर में  विश्वास का वातावरण बनाया,पचास साल बाद  फ्री एंड फेयर चुनाव के संकल्प को कश्मीर में जमीन पर उतारकर लोगों में लोकतंत्र के प्रति भरोसा पैदा किया।  लेकिन संसद पर आतंकी हमले हो या कारगिल संघर्ष अटल जी का यह भ्रम दूर हो गया कि कश्मीर कोई बात चित का मसला नहीं है। यह सिर्फ पाकिस्तानी जनरलों के लिए शतरंज का खेल है। 
 
अपस्ट्रीम  नदियों वाले के किसी भी मुल्क ने आजतक लोअर स्ट्रीम के मुल्क से शायद ही कोई समझौता पानी के लिए किया हो। एशिया में इंडस वाटर ट्रीटी शायद पहली ऐसी संधि थी जिसके लिए हमने 100 कोड़े और एक बोरी प्याज दोनों खाई है। कश्मीर जिसे जिन्ना ने शहरग कहा मुल्ला मुनीर उसे गले की नस कहता है। पीएम मोदी ने आर्टिकल 370 हटाकर पहले कश्मीर की एक बड़ी सियासी भूल को दुरुस्त किया।इंडस वाटर ट्रीटी को ससपेंड करके मोदी ने पाकिस्तान को एक सभ्य मुल्क की तरह टेबल पर बैठने का मौका दिया। भारत अपनी जरुरत के बाद ही बचे पानी पाकिस्तान को दे सकता है। शहरग और नस दबा कर मोदी ने पाकिस्तानी फ़ौज को वहां की जनता के सामने आज मजाक बनाकर छोड़ दिया है। विनोद मिश्रा 


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