बांकी जो बचा सो महगाई मार गई
कोंग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ । शायद इस नारे पर कांग्रेस का कॉपीराइट है , यही वजह है कि कांग्रेस के अलावे जैसे ही दूसरे दल आम आदमी के सवाल पर कुछ पहल करता है कोंग्रेस जोर शोर से अपने वोट बैंक को दरकने से बचाने कि कोशिश मे लग जाती है । यह दिखाने कि भरपूर कोशिश कि जाती है कि सरकार के फैसले से मैडम बिल्कुल नाराज हैं। यानि अपने चार साल के शासन मे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आधे दर्जन से ज्यादा बार पेट्रोल डीजल और गैस के दाम बढाकर आम आदमी के अस्तित्व को जोर दार झटका देने कि कोशिश कि है । तेल बढ़ने का कारन को अंतराष्ट्रीय कीमतों मे आई उछाल बताया जाता है । लेकिन जब तेल के दाम कम करने का फ़ैसला सरकार लेती है तो इसका श्रेय मैडम सोनिया गाँधी को दिया जाता है । मैडम से बगैर पूछे इस बार फिर तेल और गैस के बेताहासा दाम बढे तो मैडम ने केन्द्र सरकार को कहने के बजाय अपने राज्य सरकारों को दाम कम करने का निर्देश दिया । फ़िर क्या था जो काम मुरली देवडा एक हफ्ते मे नही कर सके शिला दीक्षित ने चुटकी बजाते कर दिया यानि ५० रूपये के बजाय शिला जी ने १० रूपये बढाये । केंद्रीय मंत्री मुरली देवड़ा कि बात प्रधान मंत्री मान लेते तो ओ ५० के बजाय ३६० रूपये कि बढोतरी चाहते थे । यह अर्थशास्त्र कि बात कुछ हजम नही होती कि अगर गैस और तेल के दाम बढ़ाना मज़बूरी है तो यह अपनी शिला जी के लिए भी हो सकती थी । लेकिन मैडम कि बात रखते हुए कई मुख्य मंत्री ने तेल की कीमत कम कर दिए है । आम आदमी मैडम को एक नेक सलाह जरुर दे सकता है कि अपने निकम्मे तेल मंत्री को हटाओ और उसकी जगह शिला जी को लाओ । जैसा आप चाहेंगे वैसा ही होगा । लेकिन आम आदमी के सामने एक सवाल यक्ष प्रश्न बन कर खड़ा है कि राष्ष्ट्रीय रोजगार गारंटी कि बात हो या सूचना के आधिकार कि या जल धारा योजना कि इसका पूरा श्रेय मैडम को दिया जाता है । यानि मनमोहन सरकार ने आम आदमी के लिए जो अच्छे काम किए है ओ मैडम और राहुल जी की दिमागी उपज है वरना ये सरकार इतनी अच्छी बात कहाँ सोच पाती है । मैडम के लिए आम आदमी के सवाल पर ऐसा भी हो सकता है कि मनमोहन सिंह को आम आदमी का दुश्मन नम्बर एक करार दियाजाय । प्रधानमंत्री और उनके वित्त मंत्री साफ कह चुके है कि बढ़ती महगाई पर उनका कोई कंट्रोल नहीं है । हर शुक्र वार को महगाई सरकार को आइना दिखा के चली जाती है और सरकार कांग्रेस के आम आदमी की तरह मानसून का आस लगाये बैठी है । प्रधानमंत्री को बहुत देर बाद ये बात याद आई है कि सरकारी ताम झाम और खर्चे रोके जा सकते है मंत्रियों के हवाई दौरे पर अंकुश लगाया जा सकता है । कई मंत्री जेन्हे इस बात की पक्की उम्मीद है कि ओ दुवारा सत्ता मे लौट सकते हैं उन्होंने विदेश दौरा रद्द कर दिया है या फ़िर इस भय से कि प्रधानमंत्री कार्यालय से उनके दौरे की मंजूरी नही मिलेगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक हवाई दौरे मे हर साल हजारो करोड़ रूपये उड़ा दिए जाते हैं । उडाना मैं इस लिए कहूँगा कि कल तक विदेश दौरा सरकारी कम काज के लिया जरुरी था यह अचानक अनावश्यक खर्च क्यों हो गया । आम आदमी का सवाल यह कि अनावश्यक खर्च के मद्दे नजर क्या सरकार अपने २० मंत्रालयों को बंद करेगी जो महज सफ़ेद हाथी बना हुआ है । आम आदमी अपने खर्च बचाते बचाते इस हालत पर पहुँच चुका है कि उसका दोनों शाम का चूल्हा जलना बंद हो गया है । २५ रूपये दूध खरीदने कि हिम्मत न जुटा पाने वाले लोग अपने बच्चो से आँख मिलाने का साहस नहीं दिखा पा रहें हैं ।महगाई के सवाल पर आम आदमी से जुड़ने कि कोशिश हर जमात कर रही मैडम सोनिया गाँधी भी आम आदमी को खोना नही चाहती है इसलिए युवराज राहुल गाओं मे दलितों के घर रात गुजार कर उनकी हालत की रिपोर्ट आलाकमान को दे रहे है । लेकिन आम आदमी कि गुहार है कि राहुल भइया अगली बार गाँव आना तो दो चार सिलेंडर जरुर लाना या फ़िर अपने साथ पिज्जा लाना नही भूलना क्योंकि गैस और तेल के आभाव मे गाओं के लोग भी पिज्जा और बर्गर खा के गुजरा करने लगे है । हो सके तो इंडस्ट्री के बदले मक्दोनाल्ड का एक ढाबा ही खोल्बा दो .
टिप्पणियाँ
अब बात करें, "कोंग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ " की. यह सही नहीं है. सही है, "आम आदमी का हाथ (कटा हुआ) कांग्रेस के पास". अब बिना हाथ का यह आम आदमी क्या करेगा? बस आतंकवाद, महंगाई, पुलिस, भ्रष्टाचार के थप्पड़ ही खा सकता है.
It's just that government has odd tax policies that end up taxing much more than required and in the end share a part of spoils with oil companies.
It may look surprising but it is true that 20% of the revenue earned by Ministry of Finance is through taxes on Oil imports and dividends paid by Oil companies to the government.