मोदी में आम आदमी ,अपना आदमी को ढूंढती हुई भीड़

देखो देखो कौन आया ! भीड़ से आवाज आती है गुजरात का शेर आया। मंच से करेक्शन आता है "गुजरात नहीं हिंदुस्तान का शेर आया .. भीड़ से एक बार फिर यह नारा गूंजने लगता है। तबतक पी एम मोदी मंच पर पहुँच जाते हैं। खेम छौ ! मज़मा ..... मोदी भीड़ से संवाद करते हैं .... भूल गए ! नहीं,नहीं ! मानो मोदी हर एक का हाल चाल ले रहे हों और हर से संवाद बनाने की कोशिश कर रहे हो .. ये है मोदी मैजिक जो आम लोगों के सर चढ़ कर बोलता था,मानो मोदी हर गुजराती के दिल में बसता है । तो क्या इस मुश्किल हालत में भी मोदी ने सीप्लेन शो जैसा असंभव शो को संभव बनाया है और हार को जीत में तब्दील कर दिया है ? गुजरात में बीजेपी की जीत मोदी की सबसे बड़ी परीक्षा थी और वे इसमें कामयाब हुए हैं ।
यह मोदी मैजिक मैंने हिमाचल में भी देखा .. .पहाड़ी इलाके में इतनी बड़ी भीड़ मैंने कभी नहीं देखी थी.जितने लोग सुनने वाले की थी उतनी ही देखने वालो की। बहार निकलते हुए एक वुजूर्ग से मैंने पूछा अभी जा रहे हो ? भाषण तो चल रहा है। वुजूर्ग का जवाब था मैं मोदी को देखने आया था ,वो यहाँ पहले भी आते थे ,मैं उन्हें यह देखने आया था कि वे वैसे ही हैं जैसे 30 साल पहले थे।यानी मोदी में आम आदमी ,अपना आदमी को ढूंढती हुई भीड़ उनकी रैली में जमा होती है और उनसे संवाद करते हुए दिखती है। रजनीतिक पंडित इसे मोदी मैजिक मानले ,लेकिन यह मोदी की " प्रकृति" है जो उन्हें सबसे ज्यादा लोकप्रिय बनाती है।
साबरकांठा ,गुजतरात की एक रैली में एक बुजुर्ग बताते हैं कि मोदी सच्चा है ,और वह जो है वही दिखता है यही वजह है कि पिछले 23 वर्षों से वह वह गुजरात में आजभी लोकप्रिय है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए वे कहते हैं 2011 में जब गुजरात में मोदी ने सद्भावना यात्रा निकाली तो इस यात्रा का हर जगह स्वागत हुआ ,अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों ने इस यात्रा में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। लेकिन अति उत्साह या शरारत में एक मजलिस में एक मौलाना ने मोदी को स्कल कैप पहनाने की कोशिश की तो उन्होंने इंकार कर दिया। उन्होंने विनम्रता से कहा था चूँकि वे नमाज नहीं पढ़ते है उन्हें यह टोपी नहीं पहननी चाहिए। गुजरात से बहार सेक्युलर फ़ोर्स ने इसकी जमकर मजम्मत की लेकिन गुजरात के लोगों ने जान लिया वह डुप्लीकेसी में भरोसा नहीं करते। यही वजह है कि 27 मंदिरो के दर्शन और जनेवू वाली फोटो के वाबजूद राहुल सॉफ्ट हिन्दुत्वा की अपील लोगों में कोई छाप नहीं छोड़ पायी । रही बात जीत हार की तो मोदी लहर के वाबजूद हिमाचल का प्रचंड बहुमत धूमल जी को काम नहीं आया और उन्हें उनके ही पूर्व सहयोगी ने हरा दिया ,क्योकि वह हर वक्त आमलोगों लिए उपलब्ध था। यह सच है कि गुजरात में बीजेपी के खिलाफ असंतोष था और इसी असंतोष ने राहुल गाँधी को गुजरात में एक बड़ी उम्मीद दिखाई थी ,लेकिन देश में मोदी को अपने से अलग करना लोग एक जोखिम ही मानते हैं। विनोद मिश्रा

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