स्वच्छ भारत का यह कारवां देश की राजनीति /अर्थनीति में भी बदलाव लाएगा और इसके लिए मोदी याद किये जाएंगे ..


लम्बे अरसे के बाद एक निजी चैनल के कार्यक्रम में सोनिया जी खूब बरसी ,मोदी सरकार को खूब खरी खोटी सुनाई। ऐसा लगा चैनल ने सोनिया जी के लिए इलेक्शन मंच बना दिया था। वैसे भी सोनिया जी या तो चुनावी सभा में बोलती है या फिर कमिटेड पत्रकारों के प्रोग्राम में ,संसद में वह क्यों नहीं बोलती ,क्यों देश के महत्वपूर्ण सवाल अपने वकील सांसदों के जरिये बोलती हैं ? यह प्रश्न पिछले 25 साल से अनुत्तरित है। लेकिन देश में आईडिया ऑफ़ इंडिया पर हो रहे तथाकथित आघात से उद्वेलित सोनिया गांधी ने एक बड़ा मंच संभाल लिया था, तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी सिंगापूर से आईडिया ऑफ़ इंडिया का अलख विदेशो में जागते रहे हैे । ये नफरत की सियासत ही अगर आईडिया ऑफ़ इंडिया है तो सोनिया जी और उनके कुनबे को सत्ता के लिए कुछ वर्ष और इन्तजार करना होगा। क्योंकि देश की 70 फीसद आवादी पर राज करने वाली बीजेपी और पी एम मोदी ने देश में सियासत की एक नयी धारा दी है जिसमे आईडिया ऑफ़ इंडिया ,गाँधी -नेहरू ,सेकुलर ,सामजवाद ,जातिवाद जैसे जुमले न्यू इंडिया में बे असर हो गए है।
25 साल तक लगातार सत्ता में बने रहने वाले माणिक सरकार सत्ता से क्यों बेदखल हुए इसकी चर्चा /बहस काफी हो चुकी है लेकिन त्रिपुरा के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री बिपलब देब जिस रूप से एक निवर्तमान मुख्यमंत्री माणिक सरकार का स्वागत कर रहे थे ,शपथ ग्रहण समारोह में उनके प्रति आदर का भाव दिखा रहे थे। ये आईडिया ऑफ़ इंडिया है। वी आई पी गैलरी में बैठे तमाम लीडरों में सबसे जयदा तरजीह पी एम् मोदी माणिक सरकार को दे रहे थे। माणिक सरकार का हाथ थामे मंच पर लाना और उन्हें इसी सम्मान के साथ पी एम् मोदी उन्हें छोड़ रहे थे। ये आईडिया ऑफ़ इंडिया है।
दक्षिण पंथी और वामपंथ विचारधारा की ऐसी लकीर है जो आपस में कहीं नहीं मिलती। लेकिन अपने सम्बोधन में वामपंथी निर्वाचित विधायकों /पूर्व मंत्रियो का अभिवादन करते हुए पी एम् मोदी जब राज्य के विकास में अपने अनुभव का योगदान देने का आग्रह करते रहे ।जब पीएम मोदी अपनी राज्य की टीम को इसके लिए प्रेरित करते हैं तो व्यवस्था ऐसी बनती दिखती है कि रेल की पटरी भले ही एक पॉइंट पर न मिले लेकिन गाडी जरूर दौड़ेगी। यह आईडिया ऑफ़ इंडिया है। लेकिन इंडिया टुडे के कॉन्क्लेव में सोनिया गाँधी जिस ठसक से कहती हैं पार्लियामेंट नहीं चलने देंगी ,मोदी को दुबारा आने नहीं देंगी ,ये कतई आईडिया ऑफ़ इंडिया नहीं है। घृणा की राजनीति से कांग्रेसपार्टी लोगों को परहेज करने को कहती है लेकिन सोनिया जी ,राहुल जी के मुहं से मोदी के प्रति घृणा ही जब तब आवाज बनकर बाहर निकलती है । नरसिंह राव और अटल जी एक दूसरे को गुरु और शिष्य बताते थे। राजनीति की मर्यादा ऐसी कि पी.वी. नरसिंह राव की सरकार में देश का पक्ष रखने के लिए अटल जी को विदेश दौरे पर भेजा जाता था। लेकिन राहुल गांधी ने हर विदेश दौरे में मोदी के खिलाफ नफरत ही फ़ैलाने का काम किया है। ये कतई आईडिया ऑफ़ इंडिया नहीं है । अगर कांग्रेस को पी एम् मोदी में कुछ अच्छाई नहीं दिखती यह उनका प्रॉब्लम है। देश के 70 फीसद आवादी को मोदी अच्छा क्यों लगते है ? कांग्रेस मोदी को गाली देने के बजाय , इससे सबक ले सकती है।
मोदी सरकार अपने वादे के अनुरूप काम नहीं कर पायी है ,भ्रष्टाचार का बोलबाला कमोवेश बरकरार है ,नौकरियों की समस्या है ,सामजिक तनाव अपने जड़ें नहीं छोड़ पायी है। लेकिन इसका ठीकरा सिर्फ मोदी पर नहीं फोड़ा जा सकता। यह समस्या हर सरकार को विरासत से मिलती है। लेकिन मोदी सरकार नया भारत की एक नयी तस्वीर जरूर सामने ला रही है, यह आईडिया ऑफ़ इंडिया जैसी जुमले से नहीं बनायीं जा रही है बल्कि इसका आदर्श है" सोच बदलेगा तो देश बदलेगा"। बिहेवियर चेंज का आंदोलन स्वच्छ भारत अगर कामयाब हो सकता है तो यकीन मानिये स्वच्छ भारत का यह कारवां देश की राजनीति /अर्थनीति में भी बदलाव लाएगा और इसके लिए मोदी याद किये जाएंगे ..

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