"मन की बात " यानी जन संवाद ,जनतंत्र का संवाद....

"मन की बात " यानी जन संवाद ,जनतंत्र का संवाद ,लोकपरम्परा का संवाद यानी जनता  और एग्जीक्यूटिव का  टू वे कम्युनिकेशन। क्या जनतंत्र का  यह पहला प्रयोग है ? शायद नहीं ,प्राचीन भारत के गणराज्यो में शासकों  से जनता का ऐसी  ही संवाद की परंपरा रही होगी। आधुनिक लोकतंत्र में पांच साल बाद जनता सिर्फ तय करती है कि सत्ता पार्टी को जितना है या हराना है। गवर्नेंस में उसकी कोई भूमिका नहीं होती। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने  मन की बात कार्यक्रम के  50 वे एपिसोड में जोर देकर कहा  कि इस कार्यक्रम में सिर्फ आवाज़ उनकी है लेकिन भावना / विचार  देश के अवाम का है,आईडिया देश के युवाओं का है । आज़ाद भारत में  किसी प्रधानमंत्री की  संभवतः यह सम्भवतः पहली कोशिश है जिसमे संवाद को समावेशी बनाकर आम और खास के फर्क को कम किया गया है और देश के हर घर से संवाद स्थापित करने में कामयाबी मिली है। देश में ऐसे दर्जनों लोकप्रय अभियान चल रहे हैं इन  सरकार के अभियानों  के आईडिया का क्रेडिट पी एम ने युवाओ को दिया है , जिसके पास आईडिया की बड़ी पूंजी है लेकिन सरकारी सिस्टम में अबतक  उसकी कोई क़द्र नहीं थी  ,अगर आप सरकारी व्यवस्था में शामिल नहीं है तो  आपका आईडिया  दो कौड़ी ही मानी जाती रही है । 


लेकिन माय गोव से लेकर नमो एप्प के जरिये देश के हज़ारों युवाओ ने प्रधानमंत्री को दुनिया में हो रहे आईडीईशन को लेकर हर वक्त परामर्श दिया  है। सेल्फी विद डॉटर ,एल पी जी सब्सिडी ,एग्जाम वारियर ,,खादी में फैशन  ,,स्वच्छ भारत अभियान जैसे दर्जनो अभियान ने सोच बदलेगा तो देश बदलेगा के नारे को साकार किया  है। स्वच्छ भारत जैसे व्यवहार परिवर्तन के  अबतक का सबसे बड़ा आंदोलन को कामयाब बनाने का श्रेय इसी "मन की बात" को जाता है। संवाद की ताकत से  आंदोलन होते रहे है। इस दौर में भी सोशल मीडिया के संवाद ने अरब स्प्रिंग जैसे आंदोलन का जन्म दिया था  और अरब देशों की सूरत बदल दी। लेकिन संवाद के जरिये बेहेवियर चेंज का इतना बड़ा आंदोलन खड़ा किया जा सकता है यह किसी ने सोचा भी न होगा। आज दुनिया ,भारत के इस बेहेवियर चेंज को करीब से समझने की कोशिश कर रही  हैं  .आज दुनिया पी एम मोदी के  अपने अवाम के साथ लगातार संवाद के दर्शन को समझने को उत्सुक हो  रही है। सत्ता को जनभावना के नजदीक लाने की पहल पूरी दुनिया में तेज हुई है। 
लेकिन अपने देश में इसको  लेकर सियासी प्रतिक्रिया ज्यादा होती है। आकाशवाणी ,दूरदर्शन जैसे संसथानो में अबतक संवाद की परंपरा एकतरफा रही है। आम जनो की अभिव्यक्ति इन सरकारी संस्थानों में लगभग उपेक्षित रही है। इन संस्थानों में "मन की बात" ने एक आदर्श स्थापित किया   है। जाहिर  है जिस दिन हमारे राजनेता हमारे पालिसी मेकर्स ,हमारे ओपिनियन मेकर्स राजनीति  से ऊपर समाजनीति को रखेंगे देश के अलग अलग क्षेत्रों में संवादहीनता के कारण बनी भ्रम की स्थिति और आपसी संघर्ष  काफी हद तक कम होंगे  । इस देश में हर समस्या का निदान लोकतंत्र में है और उसका हल संवाद से हो सकता है। प्रधानमंत्री की "मन की बात" ने एक रास्ता दिखाया है। जय हिन्द 

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