कांग्रेस मुक्त भारत ही राहुल गाँधी को युवराज से जन -नायक बना सकता है।

आदरणीय राहुल जी ,

हम  शर्मिंदा हैं , कांग्रेस मुक्त भारत के बीजेपी अभियान अबतक कामयाब नहीं हो पाया।  लेकिन कांग्रेसी  संस्कृति ख़त्म होने की तमन्ना  आज भी अमूमन हर आम भारतीय को है। हमारे जैसे आम नागरिक के मन में यह सवाल जिन्दा है कि क्यों महात्मा गाँधी ने कहा था कि देश को आज़ादी मिलने के बाद कांग्रेस पार्टी को अब ख़तम कर देना चाहिए।  देश सेवा के लिए बनी कांग्रेस का मतलब सिर्फ सत्ता हासिल करने का फॉर्मूला क्यों हो गया? क्यों बीजेपी सहित दूसरी पार्टिया कांग्रेस के सत्ता फॉर्मूले को आत्मसात करती चली गयी और हर सत्ता व्यवस्था का कांग्रेसीकरण हो गया। हर चुनाव में मुफ्तखोरी के नये नये फॉर्मूले के साथ सियासी पार्टियां जनता को भरमाने लगी और टैक्सपेयर का पैसा पानी की तरह बहाये जाने लगा। 70 के दशक में एम जी आर ने फ्री धोती -साडी बांटकर कांग्रेस पार्टी को तमिलनाडू  से चलता कर दिया था। आज इस फ्रीबी यानी कांग्रेस की मुफ्तखोरी के सियासी फॉर्मूले ने दक्षिण से कांग्रेस के ही  पाँव उखाड़ दिए हैं । इसी मुफ्तखोरी ने जनता की निर्भरता सरकार पर बढ़ा दी है  तो सियासी पार्टियों  ने सत्ता को फंडिंग का श्रोत बना लिया है ।

 देश में भ्रष्टाचार  की जड़ यही पोलिटिकल फंडिंग है जिसमे सत्ता पाने के लिए हर केंद्र और राज्य  सरकारों ने लूट में  पूरी  छूट दी है । राहुल जी मेरा यह कतई दावा नहीं है कि रफाल मामले में कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ लेकिन पिछले 6 महीने से आप  ने कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार  की पुरानी  दाग को रफाल टिकिया से धोने का अभियान बना लिया है । संसद से लेकर सड़क तक रफाल रफाल की झाग बहा दी ।आपके सोशल मीडिया अभियान के बीर बहादुरों  ने  रफाल  टिकिया रगड़ने की  जी तोर कोशिश की।  आपने बिना कोई सबूत दिए देश के प्रधानमंत्री को बार बार  चोर कहा। शायद इस भ्रम में कि करप्शन फ्री सरकार के प्रधानमंत्री मोदी  के दावे को ख़ारिज किया जा सके। लेकिन देश को इस बात का जवाब आजतक नहीं मिला कि डिफेन्स डील में दलाली की संस्कृति क्यों बनी और किसने बनायीं ? क्यों राहुल गाँधी यह  मानने के लिए तैयार नहीं है कि बिना दलाली के कोई भी  सौदा देश में नहीं हो सकता है। क्योंकि आपकी यह धरना है  कि इस देश में 5 रूपये की सस्ती चीजें  भी सरकारी व्यवस्था में बगैर कमिशन नहीं खरीदी जा सकती।

पिछले 50 वर्षो से  देश के खजाने को लूटने की हर छोटी -बड़ी  परचेज में दलाली/कमीशन  का शॉर्टकट फार्मूला लाने की क्या मजबूरी थी। केंद्र और राज्यों की सरकारी व्यवस्था में दलाली की यह व्यवस्था इतनी मजबूत है कि इन घोटाले की रकम से हर साल देश में  सैकड़ो  अस्पताल और स्कूल बनाये जा सकते हैं।इन दो बुनियादी सुविधाएं की बदौलत देश में मुफ्तखोरी और गरीबी दूर की जा सकती है।  आज  मुफ्तखोरी को लेकर  बने सियासी मुद्दे और  कमिशनखोरी ने मुल्क को खोखला बना दिया है। मोदी  सरकार की डिजिटल अभियान ने कुछ लीकेज जरूर बंद किये हैं। जैसा कि पीएम मोदी का  दावा है कि सिर्फ आधार कार्ड  की व्यवस्था ने देश का 1 लाख करोड़ बचाया है। लोग जानते हैं   सिर्फ एक नोटबंदी देश में क्रांति ला सकती थी लेकिन सरकारी व्यवस्था में जब तक बाबू और फाइल की संस्कृति रहेगी।सरकारी सिस्टम में नौकरशाहों की बालादस्ती रहेगी  भ्रष्टाचार से पार पाना मुश्किल है। लेकिन गुड गवर्नेंस के  बजाय अगर कांग्रेस वही पुरानी मुफ्तखोरी की संस्कृति बढ़ाना चाहती है तो यकीन मानिये राहुल जी  आप सिर्फ मोहरे हैं आपके  पीछे उसी व्यवस्था का सूत्र काम कर रहा है जिसकी बदौलत कांग्रेस ने 50 साल राज किया है  और आज भी केंद्र की  सत्ता दुबारा पाने के लिए आपकी पार्टी उसी फॉर्मूले को आजमा रही है। 

किसान पिछले 5 वर्षो में अन्नदाता हो गए हैं  इससे पहले वे शायद कुछ और बेच रहे थे। देश में आत्महत्या की चलन मानो  किसानो  के बीच   2014 के बाद ही शुरू हुआ है। लेकिन मुझे इस बात का अफसोश है  कि इन्ही  अन्नदाता  को सरकारी राशन की दुकानों से 2 रूपये गेहूं और एक रूपये चावल  खरीदने पड़ते हैं। या फिर अन्नदाता कोई और हैं जिनकी उपज की कीमत देने को हम तैयार नहीं है। राहुल जी आप जानते हैं कि किसान और मजदूर के बीच फर्क किये बगैर कोई नीति कृषि क्षेत्र में कामयाब नहीं हो सकती। किसान को वोट बैंक समझकर बनायीं गयी रणनीति कभी कामयाब नहीं हो सकती।  नतीजा सामने है पिछले 30 वर्षो में देश के लाखों करोड़ रूपये कर्जमाफी में डुबाने के बावजूद अन्नदाता की हालत जस की तस है। यानी मदद की रकम कभी भी जरूरतमंद को नहीं पहुंची है।


मजबूरी में  खेती पर युवाओं की निर्भरता कम हुई तो गांव से शहर तक बेरोजगारों की एक बड़ी फ़ौज खड़ी हो गयी। खेती किसानी अलाभकरी हुई तो तो दुसरे क्षेत्रों में रोजगार का दवाब बढ़ा है । मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार ने खेती किसानी का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने  में सर्वश्रेष्ठता हासिल की थी । बंजर इलाकों में उन्होंने हरियाली लौटा दी लेकिन किसानो को अपनी फसल की कीमत नहीं दिला पाए और किसानो ने कर्जा माफ़ी के लिए आपके  कमलनाथ को चुन लिया। इसमें कोई दो राय नहीं कि सरप्लस उत्पादन ने सरकारों की मुश्किलें बढ़ा दी है ,लेकिन प्याज के आँशु रो चुकी  सरकारों के पास किसानो को मुफ्त बाँटने के अलावा और कोई और उपाय क्यों नहीं सूझता ? 

मौजूदा दौर में सियासी पार्टियों को यह यकीन है कि सत्ता प्रॉमिसेस और लोकलुभावन नारों से हासिल होती है। आप  यह मान बैठे हैं कि जनता जिताती नहीं है सिर्फ हराने के लिए वोट करती है। और दोनों स्थिति में आप  अपने लिए एक बेहतर मौका देखते हैं , नतीजा आपको  तीन राज्यों के चुनाव में मिला है । इसलिए बगैर किसी ठोस संकल्प और समाधान देने के बजाय  राहुल गांधी जी कांग्रेस के पुराने धरोहरों और  कुछ नए चेहरे के साथ कांग्रेस में जान फुकना चाहते हैं। आपके  पास डिफेन्स डील का कोई बेहतर फार्मूला नहीं बल्कि आप  प्रधानमंत्री मोदी को चोर कहकर अपनी सरकार की पुरानी दाग का असर कम करना चाहते हैं।रफाल पर  2. 5 घंटे के निर्मलसीतरमन के जवाब में संसद में आपके पास कोई तर्क नहीं था। संसद के बजाय आप प्रेस कॉन्फ्रेंस करके वही घिसे पिटे सवाल दोहरा रहे थे। आपके  पास किसानो के लिए कोई रोडमैप नहीं है , आपके  पास रोजगार के लिए कोई नीति नहीं है , आपके  सामने शिक्षा को लेकर कोई आदर्श नहीं है । आप सिर्फ सवाल  हैं समाधान या  विकल्प नहीं।
 आपको यह  बताया गया है कि नरेन्द्र मोदी का व्यक्तित्व छोटा करके ही वे बड़ा बन सकते है इसलिए आपके  निशाने पर सिर्फ मोदी है उनकी पालिसी नहीं है। क्योंकि पीएम मोदी भी साढ़े चार साल से  कमोवेश वही पालिसी ढोते रहे जिसे कांग्रेस सरकार ने विरासत में दी है । पी एम मोदी से देश को एक नयी दिशा की अपेक्षा है ,मुफ्तखोरी की नहीं। जो उम्मीद अबतक  ख़तम नहीं हुई है  जबकि राहुल गांधी आप यह मान बैठे हैं कि देश में सामूहिक चेतना की आज भारी  कमी है लोग व्यक्तिगत स्वार्थ और जातीय अहंकार के सामने राष्ट्रीय मुद्दे को तरजीह नहीं देते। इसलिए आपके  मन में किसी समस्या के समाधान का आग्रह नहीं है। मैं तो सिर्फ इतना कह सकता हूँ जिस दिन राहुल गांधी आप  कांग्रेस संस्कृति मुक्त भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ेंगे आप  युवराज से नायक बन जाएंगे। धन्यवाद 
भवदीय 
एक नागरिक 

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