यमुना बाबा
यमुना बाबा , जमुना बाबा , न जाने कितने नाम से ओ पुकारे जाते थे । समाज का हर व्यक्ति उनको अपना मानता था , ओ गरीबो के भी बाबा थे और अमीरों के भी । मुझे याद है सन् १९७६ की बात यमुना बाबा मेरे घर आये थे संयोग ऐसा था कि उसी समय ब्लोक के एक आफिसर भी आये थे । यमुना बाबा की नजर बिदिओ साहब पर गयी , बाबा छूटते ही उनका स्वागत गाली से करने लगे , सभी भौचक था हर आदमी बिदिओ साहब के चेहरे की तरफ देख रहा था मनो जल्द ही ज्वाला मुखी फटने वाली हो .... लोग बिदिओ साहब के गुस्से से वाकिफ थे , लेकिन बिदिओ साहब आगे बढ़ते हुए आये एवं बाबा के पों छू कर माफ़ी मांगी । मेरे बालमन मे कई सवाल उठ रहे थे । सबके जाने के बाद मैंने अपने पिताजी से पूछा तो उन्होने सहजता से जवाब दिया कि बाबा का कोई व्याकिगत पहचान नही है बाबा पूरे समाज की पहचान से जुडे है जाहिर कोई भी बाबा की बातों का बुरा नही मानता ...
मैंने बाबा को जबसे देखा है उनकी कया मे कभी परिवर्तन नही देखा । मेरी माता जी कहती है ओ भी जब से देख रही है बाबा ऐसे ही लग रहे है ।
मेरे मामा जी बाबा के खास प्रशसंक रहे है ,ऐसा प्रसंसंक बाबा का लगभग हर गाव मे है । इलाके हर मंदिर पर बाबा का स्वमित्य है । जाहिर है मंदिर के पुनर्निर्माण की बात हो या यज्ञ का सबकी जिम्मेदारी बाबा की ही होती है । बाबा ने ऐलान किया है कि मुक्तेश्वर अस्थान मे सत्चंदी यज्ञ होना है । खर्चा लगभग २ लाख के आसपास होगा पैसा कहाँ से आयेगा बाबा को इसकी चिंता नही है ।
मेरे मामा जी कहते है बाबा एक ब्रांड है ऐसा कभी नही हुआ कि बाबा ने कोई काम शुरू किया हो और ओह पुरा नही हुआ हो। कुछ लोग इसलिए बाबा को चमत्कारिक भी मानने लगे थे । एकला चलो रे के मूल मंत्र से बाबा कोई काम शुरू करते थे और पुरा समाज उस कार्य को सम्पन्न करता था । तो क्या बाबा पूरे इलाके का अघोसित नेता था या बाबा के चमत्कारिक शक्ति से लोग आच्छादित थे । मेरे मामा जी के बताते है जाती संप्रदाय मे बटे समाज मे बाबा एक उम्मीद थे या यूं कहे की बाबा लोगों को जोड़ने वाला सीमेंट थे जिसके लिए कोई मसाले की जरूरत नही थी । यानी बिखरे समाज को बाबा की जरूरत थी । बाबा के भक्तों मे राजनगर कालेज के प्रोफेसर हीरा ननद जी भी है ओ बताते कुदरत से नजदीकी बढाकर बाबा ने anashakti योग का सफल प्रयोग दिखाया । बाबा को जो भी खाने को मिला बाबा ने सबको बाँट कर ही खाया होगा । कभी कभी बाबा के पल्ले कुछ भी नही बचता था । बाबा की उम्र कितनी होगी यह शायद किसी को पता नही क्या बाबा सास्वत थे ॥ यह वहस का मुद्दा हो सकता है । लेकिन , मिथिला को .. बिहार को .. कह सकते है कि इस देश को यमुना बाबा की जरूर याद आएगी .
मैंने बाबा को जबसे देखा है उनकी कया मे कभी परिवर्तन नही देखा । मेरी माता जी कहती है ओ भी जब से देख रही है बाबा ऐसे ही लग रहे है ।
मेरे मामा जी बाबा के खास प्रशसंक रहे है ,ऐसा प्रसंसंक बाबा का लगभग हर गाव मे है । इलाके हर मंदिर पर बाबा का स्वमित्य है । जाहिर है मंदिर के पुनर्निर्माण की बात हो या यज्ञ का सबकी जिम्मेदारी बाबा की ही होती है । बाबा ने ऐलान किया है कि मुक्तेश्वर अस्थान मे सत्चंदी यज्ञ होना है । खर्चा लगभग २ लाख के आसपास होगा पैसा कहाँ से आयेगा बाबा को इसकी चिंता नही है ।
मेरे मामा जी कहते है बाबा एक ब्रांड है ऐसा कभी नही हुआ कि बाबा ने कोई काम शुरू किया हो और ओह पुरा नही हुआ हो। कुछ लोग इसलिए बाबा को चमत्कारिक भी मानने लगे थे । एकला चलो रे के मूल मंत्र से बाबा कोई काम शुरू करते थे और पुरा समाज उस कार्य को सम्पन्न करता था । तो क्या बाबा पूरे इलाके का अघोसित नेता था या बाबा के चमत्कारिक शक्ति से लोग आच्छादित थे । मेरे मामा जी के बताते है जाती संप्रदाय मे बटे समाज मे बाबा एक उम्मीद थे या यूं कहे की बाबा लोगों को जोड़ने वाला सीमेंट थे जिसके लिए कोई मसाले की जरूरत नही थी । यानी बिखरे समाज को बाबा की जरूरत थी । बाबा के भक्तों मे राजनगर कालेज के प्रोफेसर हीरा ननद जी भी है ओ बताते कुदरत से नजदीकी बढाकर बाबा ने anashakti योग का सफल प्रयोग दिखाया । बाबा को जो भी खाने को मिला बाबा ने सबको बाँट कर ही खाया होगा । कभी कभी बाबा के पल्ले कुछ भी नही बचता था । बाबा की उम्र कितनी होगी यह शायद किसी को पता नही क्या बाबा सास्वत थे ॥ यह वहस का मुद्दा हो सकता है । लेकिन , मिथिला को .. बिहार को .. कह सकते है कि इस देश को यमुना बाबा की जरूर याद आएगी .
टिप्पणियाँ
This was the value of life always practiced by jamuna baba.
I was just thinking how people from all walks of life would be inspired. I would like to summarise with my limited capacity to understand the great soul-
1)Conviction towards achieving your goals is a key to success.
2)Sewa
Rememebering Jamuna Baba would help us to do what he valued during his lifetime.