कपिल सिब्बल का फेसबुक प्रोफाइल

ऍफ़ डी आई के मामले में प्रधानमंत्री के सख्त रबैये से लोगों को यह एहसास हो गया था कि रिटेल सेक्टर में कोई बड़ा चमत्कार होने वाला है .देश के तमाम छोटे बड़े अख़बारों में ऍफ़ डी आई के फायदे को लेकर बड़ा इश्तिहार निकला गया .टीवी चैनलों पर आकर सरकार के मंत्रियों ने इसकी तारीफ में बड़ी बड़ी बातें की लेकिन  यह बात लोगों की समझ  में नहीं आई .यानी सरकार जिसे आर्थिक क्रांति मान रही थी लेगों ने उसे धोखा करार दिया .तो क्या लोग अखबार नहीं पढ़ते है ?टीवी नहीं देखते है ?या फिर सरकार सरकार पर कोई भरोसा नहीं है ?सरकार का यह फैसला इतना ही शानदार था तो इसे वापस क्यों लिया गया ? सोसल नेटवर्किंग साईट को लेकर कपिल सिब्बल के उग्र रूप से सरकार की हतासा समझी जा सकती है .टेलिकॉम मिनिस्टर श्री सिब्बल फेसबुक ,ट्वीटर और दुसरे साईट पर लगाम लगाना चाहते है .वजह लोग अख़बार या टीवी के प्रोपगंडा से उकता गए है अब ओ मौलिक सुचना का आदान प्रदान करना चाहते है.

सरकार का बहाना है कि इन साईट पर आपतिजनक मसाले डाले जा रहे है .लेकिन सवाल यह है कि सरकार के खिलाफ हर चीज आपतिजनक हो सकती है .फिर चीन और भारत में फर्क क्या है .कपिल सिब्बल जी वर्षों से जिस नागरिक अधिकार और स्वतंत्रता के लड़ाई( मोटी फीस लेकर ) अदालतों में लड़ते रहे है ,वही आज सरकारी चोंगा पहनकर इस आज़ादी को छिनना चाहते है .क्या वाकई में सरकार डरी हुई है ,मीडिया के नवप्रयोग से सहमी हुई है ?भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना का आन्दोलन सरकार के सुचना तंत्र को बेनकाव कर दिया है .अरब स्प्रिंग के जरिये पुरे मिडील इस्ट में मजबूत सत्ता को  सोकल नेटवर्किंग साईट ने धरासायी कर दिया है .तानाशाहों की लम्बी पारी को वहां के अखबारों ने नहीं बल्कि फेसबुक ने बोल्ड कर दिया था .वीकी लीक से आज पूरी दुनिया की सरकार आहात है .जाहिर है सरकार इस वेब दुनिया की ताक़त को पहचानती है .लेकिन सवाल यह है कि सुचना की इस ताकत को कमजोर करने के लिए सरकार क्यों बल प्रयोग करना चाहती है ?सुचना तंत्र पर सरकार का पूरा नियंत्रण है फिर वेब पर नियंत्रण को लेकर सरकार कंपनी के प्रवंधकों को क्यों धमका रही है .सोसिअल नेटवर्किंग साईट पर गलत सुचना पर नियंत्रण का पूरा अधिकार युजेर्स के पास है वो जब चाहे उसे ख़ारिज कर सकता है फिर सरकार की दखल की जरूरत क्यों पड़ी है ?१.५० अरब की आवादी वाले देश में आज भी महज 2 करोड़ लोग इन्टरनेट ने से जुड़ पाए है जबकि इस वेब दुनिया में साझीदार करने वालों की संख्या ५ -१० लाख से ज्यादा नहीं है .लेकिन फिर भी सरकार डरी हुई है .

आई टी के क्षेत्र में नव क्रांति ने लोगों को ज्यादा मुखर बना दिया है .सरकार मानती है कि सुचना क्रांति के इस युग में सत्ता को सामंती दायरे से बाहर निकलना होगा .इसी पहल में कांग्रेस अपने दुलारे राजकुमार को समाज के अंतिम व्यक्ति से संवाद करने के लिए प्रेरित किया है .लेकिन विडंबना यह है कि राहुल जी न तो उस दलित पिछड़े से संवाद बना प् रहे है न ही कांग्रेस और सरकार के मीडिया मनेजर आम लोगों से संवाद स्थापित कर पा रहा है .मेरे जैसा अदना सा आदमी अगर अपना फ्रेंड सर्किल २० हजार बना सकता है तो सरकार के लिए यह मुश्किल नहीं है कि अपने खिलाफ सुचना का प्रतिउत्तर देने के लिए कभी भी एक बड़ा नेटवर्क बना सकती है .लेकिन ऍफ़ डी आई के मामले में सरकार के  रवैये ने यह साफ़ कर दिया है कि उसने अपना आत्मविश्वास खो दिया है

टिप्पणियाँ

www.ChiCha.in ने कहा…
hii..

Nice Post Great job.

Thanks for sharing.

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