चीन खतरनाक है या पाकिस्तान अपने बिहार रेजिमेंट से पूछो, क्या फर्क पड़ता है : फर्क की चिंता सियासतदां ने ज्यादा की है !


भारतीय जनसंघ के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि है। भारत में यह सौभाग्य कुछ परिवारों और नेताओं को मिला है जिनकी पुण्यतिथि एक उत्सव होता रहा  है लेकिन बंगाल के इस महामानव जिसने पंडित नेहरू के अहंकार और देश की अखंडता की रक्षा  के लिए अपनी जान की कुर्वानी कश्मीर में दे दी उसे 65 वर्ष  बाद मौजूदा सरकार ने स्टेट रीआर्गेनाइजेशन एक्ट लाकर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी है  । श्यामा प्रसाद मुखर्जी का मानना था कि नेहरू ने जो गांठ अपने हाथों से लगायी है वह आने वाले वक्त में भारत की नई पीढ़ी   को वही  गांठ दातों से खोलना पडेगा ।
 शेख अब्दुलाह की सरबराही वाली रियासत जम्मू कश्मीर और चीन के साथ रिश्तो को  लेकर  पंडित नेहरू की भावुकता ने देश को अबतक परेशानी से बाहर निकलने का मौका नहीं दिया  है। महराजा हरी सिंह के जम्मू कश्मीर के पूर्ण विलय का ड्राफ्ट जब देश के अन्य 600 रियासतों के अनुरूप ही था फिर नेहरू जी का कश्मीर को लेकर  स्पेशल स्टेटस की जींद क्यों थी ? क्यों एक देश दो निशान  दो विधान की परमपरा  बनी ? क्यों भारत के दूसरे राज्यों के लोगों को जम्मू कश्मीर जाने पर परमिट दिखाना पड़ता था। आखिर यह सुविधा किसके लिए दी गयी क्या इस स्पेशल स्टेटस से  कश्मीर में जम्हूरियत अपनी जड़े जमा पाई ? या अलगावाद और मुखर होकर सामने आया ? इन्ही कुछ सवाल  को लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी बिना परमिट के 1953 में कश्मीर चल पड़े जहाँ उनकी गिरफ्तारी हुई और बाद में रहस्मय तरीके से उनकी मौत हो गयी।
ठीक एक दिन बाद नेहरू जी ने कश्मीर से परमिट सिस्टम को ख़त्म कर दिया था। अगर यह जरुरी था तो ख़त्म क्यों हुआ। अगर परमिट ख़त्म हुए तो शेख अब्दुल्लाह के झंडे सेक्युलर भारत में क्यों बना रहा ?  ठीक ऐसी ही भावुकता का शिकार यह देश  भारत चीन के सीमा विवाद को लेकर हुआ। पंचशील के पैरोकार नेहरू जी जब  आज़ाद तिब्बत की अस्मत  लुटते हुए देखने को तैयार थे और चीन की पैरवी मेम्बरशिप के लिए संयुक्त राष्ट्र में कर रहे थे तो 1960  में जब चीन ने उनके सामने सीमा विवाद के समाधान  का फार्मूला रखा फिर उसे ठुकराने की क्या वजह थी। यह वही अक्साई चीन है जिसको  लेकर चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री झाऊ ने एक प्रस्ताव नेहरू जी को दिया था। चीन उसे तिब्बत का हिस्सा मानता था जबकि भारत जम्मू कश्मीर और लद्दाख  का। चीन के प्रधानमंत्री  ने खुद भारत आकर इसकी पहल की थी  कि लाइन ऑफ़ एक्चुअल कण्ट्रोल पर एक वर्केबल सीमा तय होना चाहिए। तब नेहरू जी को यह डर  सता रहा था कि उनकी सरकार चली जायेगी लेकिन वही चीन जब 1962 में लदाख का पूरा अकसाई चीन इलाका हड़प लिया तो नेहरू जी इसे बंजर भूमि ,रेगिस्तान कहने लगे। बाद में पाकिस्तान ने मकबूजा कश्मीर के कुछ हिसे को चीन को सुपुर्द करके हिमालय के स्ट्रेटेजिक लोकेशन में चीन को मजबूत बना  दिया । आज चीन ने  अपने सी पी ई सी की बदौलत सीधे  ईरान से लेकर गल्फ मुल्को तक व्यापार और सामरिक  रास्ता ढूढ़  लिया है। 
1960 से लेकर अबतक भारत के विदेश मंत्रालय के लिए यह तय कर पाना मुश्किल रहा है कि चीन को लेकर उसका क्या नजरिया हो ?  लेकिन गलवान घाटी की दुखद घटना के बाद कांग्रेस पार्टी खासकर राहुल गाँधी का रबैया अफ़सोसजनक है। नेहरू इस देश के प्रधानमंत्री थे बाद में वे राहुल गांधी के नाना होंगे। इन चार पीढ़ियों ने 50 वर्ष से ज्यादा भारत पर राज किया है और विदेश नीति को अपनी पार्टी और परिवार के इर्द गिर्द रखी है क्या चीन को लेकर इतने सारे कलंक एक गलवान घाटी में धुल जाएंगे या फिर नेहरू जी गलती को लेकर  भारत कब तक सिर पीटता रहेगा ? उसे हर हाल में रास्ता ढूँढना होगा। 
क्या भारत का एक इंच बॉर्डर चीन से लगता हथा ? क्या चीन हमारा पडोसी देश था या तिब्बत ? अरुणाचल के मुख्यमंत्री प्रेमा खंडु ने दिबांग वैली में पहाड़ों के बीच काटकर बनाये गए हाई वे का जिक्र करते हुए लिखा इंडिया तिब्बत बॉर्डर के करीब बना यह एन एच बताता है कि मोदी है तो मुमकीन है । एक आम भारतीय की तरह इंडिया चाइना बॉर्डर के बजाय तिब्बत बॉर्डर कहना सकून बख्शता है लेकिन हमने तिब्बत के निर्वासित संसद प्रधानमंत्री /सर्वोच्च नेता दलाई लामा और हजारों शरणार्थी सबको जगह दी लेकिन तिब्बत के नाम कहने हमारे नेतृत्व घबराने लगे। जाहिर है 50 के दशक के बाद चीन हमारा पडोसी बना है., यानी मैकमोहन लाइन से लेकर लाइन ऑफ़ एक्चुअल कण्ट्रोल जो भारत और तिब्बत के बीच निर्धारित हुई थी वह लाइन अब भारत चीन के बीच पिछले 50 वर्षों में काटा बना हुआ है
जानकर मानते है कि पूर्वी लदाख और तिब्बत यानि चीन की 3488 कि मी की गलवान वैली की एल ए सी सीमा न तो किसी मैप पर या जमीन पर निर्धारित है। बवाल तो तब शुरू हुआ जब नरेंद्र मोदी सरकार इन पिछड़े इलाके में बुनियादी सुविधा बढ़ाने लगी। सड़क और पूल से पहाड़ी गाँव की दुरी कम होने लगी जिसे चीन ने अपनी शान में गुश्ताखी माना है। यानि कांग्रेस की पूर्व सरकारें आँख बंद कर सोती रही और चीन अपना पाँव पसारता रहा तब यही मनमोहन सिंह आर्थिक प्रगति में सीमा विवाद को नजरअंदाज करने की बात करते थे और आज मोदी को पत्र लिख रहे हैं। राहुल गाँधी राजीव गाँधी के फोटो एल्बम को ट्वीट कर रहे हैं कि हमारी इस ख़ूबसूरत जगह किसने छीनी लेकिन इस बात का अफ़सोस नहीं है कि पिताजी सिर्फ फोटू खींच कर घर बैठ गए और अपने भू भाग को लबारिस छोड़ दिया। नैरेटिव के जोर से आज कांग्रेस पार्टी और उनके मीडिया सलाहकार /पत्रकार ने जो माहौल बना रखा है क्या वह भारत चीन विवाद में कोई मदद कर सकता है या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का पक्ष मजबूत कर सकता है ?अगर नहीं फिर पी एम् मोदी और सरकार के खिलाफ प्रोपगंडा का यह उचित  वक्त है ? मायावती मोदी सरकार के घोर विरोधी रही है लेकिन उन्होंने देश हित में सरकार के फैसले के साथ चलने के लिए वह विपक्षी दलों से भी अपील की है।

सर्वदलीय मीटिंग के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने जो कहा था वह भारत की जनता को यह आश्वासन था कि उनकी एक इंच जमीन को हड़पने नहीं दिया जायेगा और हमारी फौज मजबूती के साथ किसी भी स्थिति का माकूल जवाब देगी। मोदी ने कहा तह " ना वहां कोई हमारी सीमा में घुस आया है और ना ही कोई घुसा हुआ है ! ,न ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में है। भारत माता को चुनौती देने वाले को हमारे जवानों ने मुहंतोड़ जवाब दिया है। इसमें ऐसी क्या व्यख्या हो सकती है कि जिसमे चीन को क्लीन चिट दे गयी हो। सोशल मीडिया के दौर में हम उस चीन से निपट रहे हैं जहाँ कोई खबर नहीं है और न मीडिया है। एक हफ्ते बीत जाने के बाद चीन यह नहीं बता पाया है कि उसके कितने जवान मरे हैं ,वह यह नहीं बता पाया है कि गलवान वैली में उसके तम्बू बिहार रेजिमेंट ने कैसे ध्वस्त कर दी।
देश अभी कोरोना महामारी से जूझ रहा है। आमलोगों की जिंदगी हलकान हुई पड़ी है इस हालत में अगर माता सोनिया जी सरकार से गरीबों के लिए चार महीने फ्री राशन की मियाद बढ़ाने की मांग करती है और पुत्र राहुल गाँधी अपने लम्पट सहयोगियों के साथ वार क्राई करके सरकार को उकसा रहे है. पहले उन्हें अपनी पार्टी में चीन को लेकर नीति स्पष्ट करनी चाहिए। पी एम् मोदी देश के लिए अभी क्या उचित है इस पर फैसला लेने के लिए सक्षम है।


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