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ऑपरेशन ग्रीन हंट में घिरे गृहमंत्री चिदंबरम (16 जनवरी 2010 )

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 नक्सल के खिलाफ जंग दंतेवाडा से नहीं दिल्ली से होनी चाहिए ! ऑपरेशन ग्रीन हंट में घिरे गृहमंत्री चिदंबरम (16 जनवरी 2010  ) {वक़्त बदलता है तो स्थिति कैसे बदलती है। इसे आप मेरे 15 साल पुराने आर्टिकल से समझ सकते है. आज चिदंबरम की जगह गृहमंत्री अमित शाह हैं और प्रधानमंत्री मोदी हैं। नक्सल के खिलाफ जंग सीधे दिल्ली से लड़ी गयी तो नतीजा आपके सामने हैं। आज लाल आतंक के लगभग सभी किले ढह गए तो लगभग सभी  नक्सली टॉप लीडरशिप मारा गया  है } पिछले एक जनवरी से अबतक नक्सल प्रभावित राज्यों की चार बैठके हो चुकी है .केंद्र सरकार का मानना है कि नक्सल के खिलाफ किसी ग्रीन हंट ऑपरेशन की चर्चा नही है। अब गृहमंत्री चिदंबरम कह रहे हैं राज्य सरकारें  यह लडाई खुद लड़ लेगी। खबर यह भी है की केवल छत्तीसगढ़ मे ही इस ऑपरेशन के दौरान अबतक 150  से ज्यादा नाक्साली मारे गए है। यह क्वाइट   डिप्लोमेसी का जमाना है सबकुछ चुपचाप होगा। यानि नक्सल के खिलाफ ज...

जब मोदी ने पाकिस्तान की दुखती नब्ज पर लात रख दिया !

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 जब मोदी ने पाकिस्तान की दुखती नब्ज पर लात रख दिया ( 22 साल पुराने मेरे एक लेख पर आधारित ) जम्मू कश्मीर लिबरेशनफ़्रंट के पूर्व कमांडर  हासिम कुरैशी भारत के विमान को हाईजैक कर पाकिस्तान ले जाने वाले पहले आतंकी थे। 2002 में उनके भारत लौटने पर मैंने उन्हें पाकिस्तान का अनुभव पूछा। उन्होंने कहा था भारत सरकार अंधा है। कश्मीर कोई समस्या नहीं है ,जिस दिन भारत इंडस वाटर ट्रीटी ख़त्म कर देगा। पाकिस्तान घुटने के बल लोटने लगेगा। 23 साल पुराने आर्टिकल को आज मैं रिविजिट कर रहा  हूँ। हाशिम कुरैशी ने कहा था सिर्फ पानी के लिए कश्मीरियों को पाकिस्तान ने जिहाद में झोंक दिया था।  कहते हैं  कि पानी रे पानी तेरा रंग कैसा ,लेकिन यह पानी अगर सियासत के रंग में रंग जाए  तो इसका बदरंग होना तय है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद  पानी पानी हुआ पाकिस्तान को यह अंदाजा नहीं था कि पी एम मोदी  भारत पाकिस्तान के बीच 70 वर्षों की इस समस्या के सूत्र को ढूंढ लेगा   जम्मू कश्मीर स्टडी सेंटर के अरुण कुमार जी अक्सर कहते थे ,आखिर वे कौन लोग हैं  जो कश्मीर को ...

आइडिया ऑफ इंडिया वाले आदि शंकर को प्रणाम!

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 आइडिया ऑफ इंडिया वाले आदि शंकर को प्रणाम ! केदारनाथ मंदिर के चारों ओर निहारते हुए मेरे मन में पहला सवाल आया कि क्या आदि शंकराचार्य एडवेंचर टूरिस्ट थे या केरल के एक सुदूर गांव के कोलंबस थे या चारों दिशा में चार मठ स्थापित करके सनातन संस्कृति के धर्म ध्वजाधारी ।बद्रीनाथ धाम पहुंच कर लगा अगर यहां बद्री विशाल न होते तो क्या हिमालय के नंदा देवी और शिवालिक जैसी पर्वत श्रंखलाएं भी कैलाश मानसरोवर की तरह हमे परमिशन लेकर आना पड़ता।एक सन्यासी बिना युद्ध लड़े सांस्कृतिक राष्ट्र के स्वरूप से समाज का परिचय कराया था। हिमालय की तंग सीढ़ियों और जोखिम भरे रास्ते पर चलते हुए हजारों की तादाद में निरंतर चल रहे यात्रियों में किसी को मोक्ष की कामना है, किसी को बाबा केदारनाथ का दर्शन तो नई पीढ़ी के लिए भारत का सबसे सुंदर एडवेंचर ट्रैकिंग प्लेस। लेकिन आज के आइडिया ऑफ इंडिया वाले लोगों ने कभी यह सोचा भी नहीं होगा कि आदि शंकर ने इन दुर्गम  पहाड़ों पर भी सर्विस सेक्टर बना कर हजारों लोगों की जीविका का बड़ा साधन यात्रा के रूप में दे दिया था। ये भारत का ओरिजिनल आइडिया ऑफ इंडिया है जिसमें सिर्फ गंगा के दम प...

हिंदुत्व कभी हारता क्यों नहीं है !

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 हिंदुत्व कभी हारता क्यों नहीं है !  लोकसभा चुनाव के नतीजों की समीक्षा महीनों बाद अबतक हो रही है। असेंबली बॉयइलेक्शन के नतीजे में  फिर एक बार एन डी ए बनाम इण्डिया गठबंधन की चर्चा भी तेज हुई है। पार्टियां भले ही अलग अलग चुनाव लड़ी हों लेकिन जीत के बाद क्रेडिट संविधान बचाने के नैरेटिव को ही मिलता है। यानी यह पूरा सियासी खेल भारत में हिंदुत्व को लेकर विरासत को लेकर जगी चेतना को पंक्चर करने की साजिश है। 60 साल तक कांग्रेस को सत्ता में बनाये रखने के लिए सत्ता पोषित बुद्धिजीवियों ने हिन्दू ,हिंदुत्व ,भारत ,भारतीयता पर ही सबसे ज्यादा प्रहार किया और एक सबल राष्ट्र को राज्यों के संघ के रूप में जनमानस में प्रचलित किया था  1903 में जब महात्मा गाँधी काशी आये थे तो उन्होंने बाबा विश्वनाथ मंदिर के चारों ओर फैली गंदगी को देखकर कहा था कि अगर हम अपने धर्मस्थलों की स्वच्छता और पवित्रता बहाल करने में विफल हुए हैं फिर हमें स्वराज मांगने का कोई हक़ नहीं है। गांधी जी मानते थे उत्तर से दक्षिण तक पूर्व से पश्चिम तक धार्मिक /आध्यात्मिक स्थल ही  भारत के  ...

जब समां और रुवा अल्ताफ ने कहा मेरी जान हिंदुस्तान

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  जब समां और रुवा अल्ताफ ने कहा मेरी जान हिंदुस्तान...  दिल्ली में देश भक्त ! केजरीवाल की ख़बरों के बीच कश्मीर के दो बेटियों के इश्तहार की खबर मीडिया में कहीं जगह नहीं बना पायी है लेकिन नया भारत की इन दो तस्वीरों ने चौंका दिया है।  कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी की पोती और हुर्रियत लीडर शब्बीर शाह की बेटी समां शब्बीर ने अख़बार में इश्तहार देकर कहा है कि हिंदुस्तान से प्यारा देश कहीं नहीं है।परिवार के अलगाववादी विचार से उनका कोई संबंध नहीं है। आप इसे आर्टिकल 370 के बाद बदले कश्मीर की झांकी समझ लें या बंद ,हड़ताल ,आतंकवाद ,कत्लेआम के बाद कश्मीर के मौजूदा अमनो शकुन की आम जिंदगी का असर  आप इस बदलाव की व्याख्या जैसे भी कर लें लेकिन पी एम मोदी ने बीजेपी को 370 सीट देने  की मांग जनता से ऐसे ही क्रांतिकारी फैसले के दम पर  किया है। पिछले दिनों आर्टिकल 370 हटने के बाद मोदी कश्मीर पहुंचे थे तो उन्हें सुनने आई लोगों की भीड़ के लिए स्टेडियम में जगह नहीं बची थी। मोदी तो 90 के दशक में कई बार कश्मीर गए थे। उन्हें श्रीनगर के लाल चौक पर झंडा फहराने के लिए जद्द...

अयोध्या ; लोग आए तो राम भी आए हैं

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 अयोध्या ; लोग आए तो राम भी आए हैं अयोध्या में यह गीत बार बार उद्वेलित करता था कि राम आयेंगे।राम गए कहां थे? राम तो भारत की आत्मा हैं,वो तो यहां के कण कण में है, मन में हैं।लोगों ने यहां आना छोड़ दिया था।भारत का अयोध्या जैसे आस्था, विश्वास और भक्ति के स्तंभों से नाता छूट गया था।  आज अयोध्या एक कस्बा भर नहीं रह गई बल्कि देश की धड़कन बन गई है। मानो अयोध्या वैश्विक मानचित्र पर एक अलग वेटिकन सिटी बन गई हो। दुनिया भर में लोग अयोध्या से जुड़े हैं क्योंकि यहां लोग आए हैं फिर राम लला भी।मैने राम लला की आंखों में लोगों को वापस आने की खुशी देखी है। मैंने उनकी आंखों में जागृत भारत की खुशी देखी है।आज अयोध्या अपने भाग्योदय से गौरवान्वित हुई है। 1992 में नरेंद्र मोदी ने राम लला को एक टेंट में पूजा की थी।तब उन्होंने कहा था अयोध्या फिर मंदिर निर्माण के बाद ही आऊंगा। तो क्या मोदी ने दुबारा आने के लिए जंगल में तपस्या की थी। सैकड़ों साल से हमारे ऋषि मुनि राम को पाने के लिए तपस्या करते रहे हैं। लेकिन उनकी तपस्या में लोग नहीं जुड़े।बाबा तुलसी दास ने अपने राम की तपस्या को लोगों के बीच लाया तो संघ क...

है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़ !

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   है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़ ! भारत   में उत्तर से लेकर दक्षिण तक पूरब से पश्चिम तक  सबसे ज्यादा राम और उनकी मर्यादा पर ही लिखी गयी हैं। बाल्मीकि के राम, शबरी के राम ,निषाद राज के राम ,तुलसी के राम , रहीम   के राम , कबीर   के राम , रसखान  के राम और गांधी के राम। अनंत लोक गाथाओं के राम। राम जिन्हें अल्लमा इक़बाल ने इमामे हिन्द कहा था। राम अयोध्या आ रहे हैं।  सांस्कृतिक पुनर्जागरण  के दौर में देश के जनमानस में जो उत्साह  और उमंग  बना है ,यह बता रहा है राम आ रहे हैं। राम की नगरी अयोध्या में 2. 77 एकड़ जमीन के विवाद का मुकदमा 135 वर्षो तक क्यों चला ? शायद इस देश की सियासत और समाज के पास इसका जवाब नहीं होगा । 2009 में विवादित भूमि में लगभग 50 गज जमीन इलाहबाद हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को भी दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में महज एक बेंच बनाने ,सबूतों को अनुवाद करने में वर्षों लग गए। कहते हैं न सब चीजे वक्त से ही तय होती है और यह सौभाग्य प्रधानमंत्री मोदी को ही मिला और उनके कर कमलो से मंदिर निर्माण का शिलान्यास हुआ ...