हिंदुत्व कभी हारता क्यों नहीं है !
हिंदुत्व कभी हारता क्यों नहीं है ! लोकसभा चुनाव के नतीजों की समीक्षा महीनों बाद अबतक हो रही है। असेंबली बॉयइलेक्शन के नतीजे में फिर एक बार एन डी ए बनाम इण्डिया गठबंधन की चर्चा भी तेज हुई है। पार्टियां भले ही अलग अलग चुनाव लड़ी हों लेकिन जीत के बाद क्रेडिट संविधान बचाने के नैरेटिव को ही मिलता है। यानी यह पूरा सियासी खेल भारत में हिंदुत्व को लेकर विरासत को लेकर जगी चेतना को पंक्चर करने की साजिश है। 60 साल तक कांग्रेस को सत्ता में बनाये रखने के लिए सत्ता पोषित बुद्धिजीवियों ने हिन्दू ,हिंदुत्व ,भारत ,भारतीयता पर ही सबसे ज्यादा प्रहार किया और एक सबल राष्ट्र को राज्यों के संघ के रूप में जनमानस में प्रचलित किया था 1903 में जब महात्मा गाँधी काशी आये थे तो उन्होंने बाबा विश्वनाथ मंदिर के चारों ओर फैली गंदगी को देखकर कहा था कि अगर हम अपने धर्मस्थलों की स्वच्छता और पवित्रता बहाल करने में विफल हुए हैं फिर हमें स्वराज मांगने का कोई हक़ नहीं है। गांधी जी मानते थे उत्तर से दक्षिण तक पूर्व से पश्चिम तक धार्मिक /आध्यात्मिक स्थल ही भारत के सांस्कृतिक एकता के प्रतिक हो सकते हैं। सैकड़ों वर्षों से देश