बेईमानों की प्रतिभा के सामने देश लाचार है ?
बेईमानों की प्रतिभा के सामने देश लाचार है ?
चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया बी आर गवई ने एक कांफ्रेंस में कहा कि मेरे बैच का टॉपर क्रिमिनल लॉयर बना। दूसरे नंबर पर आने वाला हाई कोर्ट का जज बना और मैं भारत का मुख्य न्यायाधीश बना हूँ। ये उदहारण है कि रैंक से सफलता नहीं सफलता मेहनत ,लगन समर्पण से मिलती है। लेकिन न्यायमूर्ति गवई के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं है कि वंशवादी सियासत में ऐसी कौन सी प्रतिभा है कि लाखो करोडो रु की संपत्ति अर्जित करके ,दर्जनों भ्रष्टाचार के आरोप के वाबजूद देश का संविधान और कानून उन्हें कुछ बिगाड़ नहीं सकता।आखिर राजनेताओं में ऐसी कौन सी प्रतिभा लगन है कि वे हर बार बेदाग़ साबित होते हैं । ऐसा कौन से टैलेंट नेताओं के पास है कि एक झटके में सत्ता की सीढ़ी चढ़कर फाइव स्टार लाइफ स्टाइल अपनाकर अपनी कई पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित कर जाते हैं।
ADR ने हाल में ही खुलासा किया है कि CM रेवंत रेड्डी ,एम् के स्टालिन पर सबसे ज्यादा आपराधिक मुकदद्मे दर्ज हैं। हालाँकि विपक्ष सोनिया गाँधी ,राहुल गाँधी ,अखलेश यादव ,तेजस्वी यादव ,लालू यादव ,केजरीवाल ,हेमंत सोरेन ,अभिषेक बनर्जी जैसे नेताओं पर भ्रष्टाचार का मामला प्रकाश में आते ही राजनीतिक विद्वेष कह कर इसे ख़ारिज कर देता है। देश के लचर कानून और जाँच एजेंसी यह कभी साबित नहीं कर पाते कि करोडो की अकूत सम्पति के मालिक मुलायम सिंह यादव किस प्रतिभा से बन गए। किस प्रतिभा से लालू परिवार बिहार की सत्ता के दावेदार पिछले 35 वर्षो से बने रहे।करूणानिधि के परिवार तमिलनाडु की सियासत की धुरी बने रहे।
आय से अधिक सम्पति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अखिलेश यादव व उनके परिवार को बड़ी राहत देते हुए यादव परिवार के खिलाफ सुनवाई करने से मना कर दिया था । शीर्ष अदालत ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को मंजूरी देते हुए इसके खिलाफ दाखिल याचिका खारिज कर दी थी । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई 2013 में ही इस मामले की जांच बंद कर चुकी थी । इसलिए इस याचिका में कोई मेरिट नहीं बची है।लेकिन यह सवाल आज भी बना हुआ है कि क्या सीबीआई ने सचमुच क्लोज़र रिपोर्ट देकर इस केस को बंद कर दिया है।
याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी कहते हैं कि सीबीआई ने किसी कोर्ट में इस केस को बंद करने की बात नहीं की है। न ही इस सम्बन्ध में उन्हें कुछ बताया गया है। सुप्रीम कोर्ट में स्वर्गीय मुलायम सिंह परिवार के करोडो रु के आय से अधिक संपत्ति की जाँच के तर्क में यह सवाल उठाया गया कि याचिकाकर्ता कांग्रेस पार्टी से ताल्लुक रखते हैं और राजनितिक विद्वेष के कारण परिवार के सदस्यों को फसाया गया और उनसे 39 सांसदों का समर्थन UPA सरकार को दिलाया गया था । लेकिन 140 करोड़ के देश में यह बात किसी ने नहीं पूछा कि न्यायालय केस के मेरिट पर संज्ञान लेगा या फिर शिकायतकर्ता के प्रोफाइल पर। देश के हाई पेड वकीलों को उतारकर कोई भी नेता चतुर्वेदी जैसे सामान्य व्यक्ति को अन्य किसी भ्रष्टाचार के मामले में साहस जुटाने के संकल्प को धुंआ उड़ा देगा और देश का कानून और एजेंसियां दम तोड़ते नजर आएंगे। भ्रष्टाचार मामले में लालू प्रसाद को सजा हुई लेकिन पार्टी के स्वयंभू अध्यक्ष बने रहकर बेल पर अपने पुत्र तेजस्वी को बिहार के मुख्यंमत्री बनाने के लिए समीकरण बैठा रहे हैं। टीएमसी के तीन मंत्री भ्रष्टाचार के आरोप में महीनो जेल में रहे लेकिन दीदी के मां माटी मानुष का नारा बुलंद है। सपा नेता अखिलेश यादव की तरह हर नेता ऐसे मामलों को फर्जी बताकर अपने समर्थकों के लिए आदर्श बन जाते हैं।
सवाल तो यह पूछा जाएगा कि कोई नेता करोडो रु के भ्रष्टाचार में आरोपित होकर बीजेपी में आने पर बेदाग़ क्यों हो जाता है। अखिलेश और तेजस्वी ऐसे सवाल पूछ सकते हैं। आखिर सत्ता की सियासत की की क्या मज़बूरी है कि भ्र्ष्टाचार के आरोप तूतू मैं मैं से आगे नहीं बढ़ पाता।
यानी बेईमानो के बीच मेरा देश महान बना हुआ है। संसद में 130 वे संविधान संशोधन बिल पेश करके मोदी सरकार ने राजनीति में सुचिता लाने का प्रयास किया है। जिसमे गंभीर आपराधिक मामले में गिरफ्तार होने पर पीएम, मंत्री, सीएम को बर्खास्त किया जा सकता है। इन विधेयक को विपक्ष के भारी हंगामे के बाद संयुक्त समिति को भेजा गया है । संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजुजू ने कहा कि कैबिनेट ने इस बिल में प्रधानमंत्री को अलग रखने का सुझाव दिया था। लेकिन पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री को भी राजनीतिक सुचिता के दायरे में रखने का सुझाव दिया था।
अबतक के कानूनों तहत गंभीर आपराधिक आरपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मं त्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे मामलों में मुख् यमंत्री या मंत्री को हटाने के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करने के लिए केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम, 1963 की धारा 45 में संशोधन करने की आवश्यकता है। नैतिकता के सवाल पर अक्सर खामोश रह जाने वाले सत्तासीनों के सामने इस बिल के पास होने पर एक कड़ा कानून भी होगा जिन मामलों में पांच साल या फिर इससे ज्यादा की सजा होने पर अगर 30 दिन तक बेल नहीं मिलती है तो उन्हें तुरंत पद त्यागना होगा. गिरफ्तार होने के 30 दिन बाद भी अगर इस्तीफा नहीं दिया तो 31वें दिन उन्हें पद से हटा हुआ माना जाएगा।
विपक्ष इसे गैर बीजेपी राज्यों की सरकार को अस्थिर करने की साजिश मानता है। खुद प्रधानमंत्री को भ्रष्टाचार के केस के दायरे में रखने की बात पर विपक्ष इसे जुमला मानता है। सवाल यह है कि क्या दशकों तक देश में बीजेपी की ही सरकार रहने वाली है। यह कानून कभी बीजेपी शासित राज्यों पर भी लागू हो सकता है। लेकिन अरविन्द केजरीवाल 156 दिनों तक जेल में रहकर सरकार चला सकते हैं या नहीं। इस सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने इस्तीफा उनके विवेक पर छोड़ दिया था। हालाँकि डीएमके सरकार के मंत्री सेंथिल बालाजी को आठ महीने जेल में रह कर सरकार चलाने पर कड़ी आपत्ति दर्ज की थी। उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था।
आज़ादी के बाद कई वर्षों तक राजनीति में ये देखा जाता था कि गंभीर आरोप लगने या फिर गिरफ्तारी होने के बाद मंत्री या मुख्यमंत्री तुरंत इस्तीफा देते थे लेकिन अब भ्र्ष्टाचार के हर आरोप पर राजनितिक साजिश का नाम देकर मंत्री,मुख्यमंत्री अपने समर्थकों के बीच राजनीतिक साजिश का बहाना बताकर अपना सर ऊँचा रखने का गुमान करते हैं। सवाल यह है कि लगभग हर हफ्ते किसी नेता या अधिकारी के घर ईडी या करप्शन ब्यूरो के रेड और करोडो रु की बरामदगी की खबर आती है लेकिन यह खबर कभी उसकी परिणति पर खामोश हो जाती है। 10 करोड़ 20 करोड़ रु की बरामदगी को अब मिडिया हैडलाइन बनाने से संकोच करती है। एक अप्रमाणिक आंकड़े के अनुसार भ्रष्टचार का लेवल इतना बड़ा है कि देश के जीडीपी का 2 फीसदी धन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है।
राजनितिक पंडित का तर्क है चुनाव में भारी धनवल के प्रयोग के कारण भ्रष्टाचार का स्तर काफी ऊँचा हो गया है। सरकारी कर्मचारियों और अधिकारीयों में भर्ष्टाचार शिष्टाचार का रूप ले लिया है। देश का गरीब या अमीर अपनी कमाई का कुछ हिस्सा कभी न कभी भ्र्ष्टाचार के रूप में अर्पण करता है। जाहिर है आधुनिकता की चकाचौंध में हर कोई जल्द से जल्द अमीर होना चाहता है और अधिक से अधिक सुविधा अपने परिवार के लिए जुटाना चाहता है। जिस समाज में सादगी को जीवन का आदर्श मानना अकर्मण्यता माना जा रहा है उस समाज में राजनीति सेवा बनकर फल फूल रही है।पीएम मोदी ने लाल किले से कहा था भ्र्ष्टाचार देश को दीमक की तरह चट कर रहा है फिर इसका इलाज क्या है यह इस देश की सरकार और संसद को ही ढूँढना है। जनता इसे लाईलाज बीमारी मानकर अपने हिस्से का चुकता करने के लिए विवश है।
विनोद मिश्रा
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