इस तस्वीर में शायद कोई आपका नहीं होगा ....
शनिवार का दिन ऑफिस से आज ६.३० बजे ही निकलने का मौका मिल गया था । मन में ढेर सारे प्रोग्राम थे ,कहीं बाहर तफरी करने का मूड था .... अचानक पटना से प्रशांत का फोन आया ... कहाँ हो ? मैंने कहा कनौट प्लेस पहुँचने वाला हूँ ॥ उसने कहा उधर मत जाना! दो -तीन ब्लास्ट हो गए हैं । मैं तब तक कनौट प्लेस पहुँच चुका था । मन में एक सवाल आया घर चलूं या मौके पर जाऊं ? तब तक घर से भी फोन आ चुका था कहाँ हो ? आप ठीक हो ? यही सवाल मेरे सारे चिर परिचित से आ रहे थे । मेरे साथ खड़े लगभग हर के मोबाइल बज रहे थे और हर से यही सवाल पूछे जा रहे थे । घर परिवार के लोग अपनों के सकुसल जान कर निश्चिंत हो रहे थे । कमोवेश यही निश्चिन्तता सरकार के साथ भी थी । चूँकि ये सीरियल बोम्ब धमाके राजधानी दिल्ली में हुए थे जाहिर तौर पर होम मिनिस्टर से लेकर आला अधिकारीयों को घटना स्थल पर आना जरूरी था , लेकिन मैंने किसी चेहरे पर कोई तनाव या सिकन नहीं देखा ...
शायद इसलिए भी कि पाटिल साहब के गृह मंत्री रहते हुए ११ बड़े सिलसिलेवार धमाके हुए है जिसमे अब तक ३००० से ज्यादा लोग मारे गए है .५००० से ज्यादा लोग जख्मी हुए जाहिर है इस हालत में कोई भी बुध बन सकता है । पाटिल साहब जीबन मरण से ऊपर उठ चुके है ।मिडिया ने इस्तीफा माँगा तो पाटिल साहब का जबाव आया मुझे मालूम है कि लोकप्रियता के कारन उन्हें गृह मंत्री नही बनाया गया है उनपर सोनिया गाँधी को भरोसा है यही उनकी काबिलियत है। आतंकवादी हमले मीडिया के लिए सनसनी स्टोरी है ,विपक्षी दलों के लिए राजनितिक हथियार और सत्ता पक्ष के लिए आणि जानी की चीज । अमेरिका की एक काउंटर टेरूरिस्म संस्था ने २००४ से अबतक भारत में हुए आतंकवादी हमलों और मारे गए लोगों कि गिनती कि है उसके मुताबिक भारत में इन हमलों में ४००० से ज्यादा लोग मारे गए है । कह सकते है कि भारत का स्थान इराक के बाद आता है । लेकिन भारत में आतंकवाद कभी मुद्दा नही बन पाया है । दिल्ली सीरियल ब्लास्ट के बाद मीडिया के चौतरफा हमले के बाद ऐसा लगने लगा था सरकार कुछ ठोस पहल करेगी । लेकिन हंगामेदार कैबिनेट मीटिंग के बाद देश को एक बार यही सुनना पड़ा कि मौजूदा कानून आतंकवाद से लड़ने के लिए सक्षम है । यानी वोट की सियासत के सामने सरकार एक बार फ़िर झुकी और आतंकवाद से लड़ने का हमारा इरादा हिलते नजर आया । पत्रकार से उद्योगपति बने राजदीप सरदेसाई जैसे लोग सरकार के सुर में सुर मिलाकर कह रहे हैं कि पो टा के रहते हुए अगर पार्लियामेन्ट पर हमले हुए तो ऐसी हालत में कड़े कानून कि चर्चा बेमानी है । याद रहे पो टा कानून के कारण ही कुछ लोग पकड़े गए और कुछ लोगों को सजा भी मिली । ये अलग बात है कि सियासत के कारण कानून का फ़ैसला आज बौना साबित हुआ है । ९\११ के बाद पात्रिओत एक्ट लागू कर अमेरिका ने आतंकवादी हमले पर विराम लगा दिया है तो क्या ऐसा कानून भारत में नही बनाया जा सकता है । पाकिस्तान -अफगानिस्तान के जेहादियों से अलग एक देशी जेहाद का ताना बना बुना जा रहा है कहा यह जा रहा है कि ये हमले पाकिस्तान के आतंकवादी नही कर रहे हैं बल्कि हमारे यहाँ के तौकीर , शबीर , बशीर ,आमिर इंडियन मुजाहिद्दीन के बैनर के तहत हमले को अंजाम दे रहे है , कहा यह जा रहा है गुजरात दंगों की यह प्रतिक्रिया है । यही मान कर देश का गृह मंत्रालय आतंकवादिओं को आपने गुमराह बच्चे मान रहे है । इंडियन मुजाहिदीन गुजरात दंगो की तस्वीर छाप कर गृहमंत्रालय को गुमराह कर रहा है । सवाल यह है कि मालेगोव धमाके और हैदराबाद सिलसिलेवार बोम्ब ब्लास्ट में ज्यादा muslim समुदाय के लोग ही मारे गए थे । ठीक एक साल पहले ख्वाजा के दरबार में धमाके करा कर दर्जनों नमाजियों को मार दिया गया था । उस धमाके में इंडियन मुजाहिद्दीन कि थ्योरी बदल गई और हुजी सामने आ गई थी । पिछले वर्षों में जो धमाके हो रहे है उनमे एक ही तरह के केमिकल पाये गए है , एक ही तरह कि रणनीति अपनाई गई , फ़िर अलग अलग मुजाहिद्दीन का नाम क्यों लिया जा रहा है ।
प्रधान मंत्री का दावा है कि खुफिया तंत्र को मजबूत करके और जगह जगह सीसीटीवी कैमरे लगा कर आतंकवाद का मुकाबला किया जा सकता है । सीसीटीवी कैमरे लगाने कि जिम्मेवारी प्रधानमंत्री मुनिसिपल कोउन्सिल्लोर पर छोड़ देते तो अच्छा था । रही बात खुफिया तंत्र मजबूत करने कि तो जिस देश में लाख की आवादी पर महज १२६ पुलिस कर्मी है जिनमे आधे से अधिक वी आई पी की सुरक्षा में लगी है उनसे हर आम आदमी कि सुरक्षा बेमानी है । यह तभी संभव हो सकता है जब लोगों में कानून का डर हो । वेस्ट में किसी भी पुलिश कर्मी को यह आधिकार है कि वह किसी को रोक कर पूछ ताछ कर सकते है, लेकिन भारत में १०० वर्षों के कानून से अत्याधुनिक यंत्रो से लैश आतंकवाद को रोका जा रहा है । अमेरिका के एक रक्षा विशेषज्ञ ने कहा था मौजूदा कानून अबतक किसी वेदेशी आतंकवादी से देश में आतंकवादी हमले को रोक रखा है , लेकिन जिस दिन एउरोप से गोरी चमड़ी के लोग देशी जेहाद के जज्वे से हमले करेंगे तब मौजूदा कानून बौना साबित होगा । कल तक जो लोग आई एस आई के लिए स्लीपिंग मोदुलेस का काम कर रहे थे आज वही लोग इंडियन मुजाहिद्दीन बन कर हमले को अंजाम दे रहे है । इस देशी जेहादी को कड़े कानून के जरिये ही रोका जा सकता है । आतंकवाद से मुसलमानों का कोई लेना देना नही है लेकिन वोट कि राजनीती करने वाले लोग एक समुदाय को कड़े कानून से डरा रहे है । हमें इस ओछी सियासत से जरूर मुक्ति मिल सकती है , लेकिन हमले में मारे गए लोगों में अपने को तलाशने के वजाय हम इस आतंकवादी हमले में घायल देश को खोजे ।
टिप्पणियाँ
sahi kah rahe hai .....achchi post padwai hai aapne
आतंकवादियों को पकड़ने के लिए व्यूह चाहिए जिस के लिए पुलिस और खुफिया एजेंसियों की आवश्यकता है न कि कानून की। आज के कानूनों के तहत आतंकवादियों को सजा भी दी जा सकती है।
अगर आप जानते हैं तो बताएँ कि पोटा में ऐसा क्या है जिस से रातों रात आतंकवादी टपक पड़ेंगे पुलिस की गोद में?
वोट की सियासत के सामने सरकार एक बार फ़िर झुकी और आतंकवाद से लड़ने का हमारा इरादा हिलते नजर आया । पत्रकार से उद्योगपति बने राजदीप सरदेसाई जैसे लोग सरकार के सुर में सुर मिलाकर कह रहे हैं कि पो टा के रहते हुए अगर पार्लियामेन्ट पर हमले हुए तो ऐसी हालत में कड़े कानून कि चर्चा बेमानी है ।
अमित kumar