कौन है मुंबई का असली ठाकरे
पिछले दिनों राहुल गाँधी ने यह खुलासा किया कि वे आज जहाँ हैं वह सिर्फ़ इसलिए कि वे नेहरू गाँधी परिवार से हैं । यानि वंशवाद कि राजनीती ने उत्तर से दक्षिण तक अपना असर कायम कर रखा है । राज ठाकरे इसी वंशवाद कि उपज हैं । शिवाजी महराज का दायरा महाराष्ट्र तक सिमित करके बाला साहब ठाकरे ने शिव सेना को एक राजनितिक कद दिलवाया वहीँ महाराष्ट्र में एक ताकतवर सख्शियत के रूप में उभरे । जाहिर है सीनियर ठाकरे को बाला साहब बनवाने में राज ठाकरे का अहम् योगदान था । बाला साहब का यह भतीजा नौजवानों के बीच काफी लोकप्रिय था , और शिव सेना के धरने प्रदर्शन की सारी जिम्मेदारी राज की ही होती थी । लेकिन शिव सेना का शेर ने संन्यास की ओर रूख करने की सोची तो अचानक पुत्र मोह से ग्रसित हो गया नतीजतन राज ठाकरे पीछे धकेल दिए गए और उद्धव ठाकर ने शिव सेना के नेतृत्वा को अपने हाथ में ले लिया ।
राज ठाकरे के लिए यह एक बड़ी चुनोती थी कि वे शिव सेना और बाला साहेब से अलग अपनी राजनितिक जमीन तैयार करे । जाहिर है राज ठाकरे ने भी वही रणनीति अपनाई जो कभी बाला साहब ने अपनाई थी ॥ ७० के दसक में बाला साहब ने दक्षिण भारतियों को मुंबई से खदेरने का अभियान चलाया ... सरकारी इमारतों पर कब्जा जमाया , कारपोरेट के दफ्तरों में जबरन घुस कर मराठियों को नौकरी में तरजीह देने का दवाब बनाया । कांग्रेस के तत्कालिन मुख्या मंत्री शरद पवार ने अपरोक्ष रूप से उस आन्दोलन को पूरा समर्थन दिया । जाहिर है शिव सेना को राज नीतिक जमीन तैयार कराने में कांग्रेस खासकर शरद पवार की महत्वपूर्ण भूमिका रही ।
यही भूमिका कांग्रेस ने राज ठाकरे को बाला साहब के खिलाफ खड़ा करने में निभाई । सन २००६ में शिव सेना से अलग हटकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया तो कांग्रेस के लिए बाला साहब को शिकस्त देने का बेहतरीन मौका हाथ लगा । राज ठाकरे उत्तर भारतीय को निशाना बनाया , बिहार और उत्तर प्रदेश के टैक्सी चालकों को पीटा गया , रेडी ,खोमचे लगाने वालों को निशाना बनाया गया । दूध वाले ,सब्जी वाले , १०००-२००० रूपये कमाने वाले भैय्या को मुंबई छोड़ ने का हुक्म जारी हुआ , लेकिन सरकार चुप रही ... जाहिर है कांग्रेस और एन सी पी की सरकार इस कोशिश में लगी रही शिव सेना का मजबूत आधार एक बार राज ठाकरे हिला दे तो वे ताबूत में आखरी कील ठोकने में जरूर कामयाब हो जायेंगे । रेलवे की परीक्षा देने आए उत्तर भारतियों को राज ठाकरे की सेना पीटती रही और सरकार चुप चाप तमासा देखती रही । महाराष्ट्र में सरकार चलाने वाली पार्टी अक्सर यह भूल जाती है कि मुंबई भारत की कारोबारी राजधानी है , आज महाराष्ट्र के राजस्वा में सिर्फ़ मुंबई का योगदान ४५ फीसद है । जाहिर है देश के तमाम औद्योगिक प्रतिष्ठानों का हेड ऑफिस मुंबई है तो सरकार के विज्ञानं से लेकर आर्थिक मामलों के प्रमुख प्रतिष्ठान मुंबई में है । इस तरह देश की अच्छी खासी पूँजी मुंबई के निर्माण में लगा है ।लेकिन आज मराठी के नाम पर कभी राज ठाकरे हिन्दी फिल्म्स पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते है तो कभी उनकी सेना पूरे मुंबई से हिन्दी और इंग्लिश के बोर्ड जबरन हटा देते हैं । अगर अदालत दखल न दे तो आज मुंबई में वही होगा जो राज ठाकरे चाहेंगे । जया बच्चन राज के खिलाफ तेवर दिखाती है तो अगले दिन महानायक अमिताभ बच्चन राज ठाकरे से माफ़ी मांगते हैं । यानि कारोबारी राजधानी में कोई लफडा लेना नहीं चाहता । मुंबई सहित उसके आस पास की साठ विधान सभा सीटों पर उत्तर भारत के लोगों का वोट निर्णायक होता है । जाहिर है कांग्रेस और एन सी पी कभी उत्तर भारतियों के ख़िलाफ़ अपना मुहं नहीं खोलेंगे , लेकिन मराठियों का वोट अगर राज बाला साहब से तोड़ लेते हैं तो कांग्रेस और एन सी पी को सत्ता से बाहर करने का सपना शिव सेना का शायद ही कभी पूरा हो । लेकिन जेट से कमचारियों की छटनी पर राज ठाकरे ने अपनी पहल से यह साबित कर दिया की मुंबई मे सिर्फ़ उसकी ही चलेगी । केंद्रीय मंत्री प्रफ्फुल पटेल चिल्ला चिल्ला कर यह कहते रहे कि उनके कहने पर जेट ने कर्मचारियों को दुबारा बहाल किया है , लेकिन यह मान ने के लिए कोई तैयार नही था । एन सी पी को भी अब लगने लगा था पानी सर के ऊपर गुजर गया है और आख़िर कर महाराष्ट्र की हुकूमत को हरकत करनी पड़ी । लेकिन सवाल यह उठता है कि लालू यादव जैसे लीडर आख़िर किस बिना पर राज ठाकरे का विरोध कर रहे हैं । muslim -यादव का गठजोड़ बना कर लालू यादव ने अपने शासन में सवर्णों के ख़िलाफ़ जो मुहीम चलायी वह क्या राज ठाकरे के अभियान से कम था ।माया वती का तिलक तराजू और तलवार ..... के नारे को कौन भूल पायेगा । राज ठाकरे किसी शख्सियत का नाम नही है वह एक घृणा की राजनीती की पैदैस है , उत्तर से लेकर दक्षिण तक आज इसी घृणा के बदौलत सियासी जमीन तैयार की जा रही हो तो आप कितने राज ठाकरे से लडेंगे ।
राज ठाकरे के लिए यह एक बड़ी चुनोती थी कि वे शिव सेना और बाला साहेब से अलग अपनी राजनितिक जमीन तैयार करे । जाहिर है राज ठाकरे ने भी वही रणनीति अपनाई जो कभी बाला साहब ने अपनाई थी ॥ ७० के दसक में बाला साहब ने दक्षिण भारतियों को मुंबई से खदेरने का अभियान चलाया ... सरकारी इमारतों पर कब्जा जमाया , कारपोरेट के दफ्तरों में जबरन घुस कर मराठियों को नौकरी में तरजीह देने का दवाब बनाया । कांग्रेस के तत्कालिन मुख्या मंत्री शरद पवार ने अपरोक्ष रूप से उस आन्दोलन को पूरा समर्थन दिया । जाहिर है शिव सेना को राज नीतिक जमीन तैयार कराने में कांग्रेस खासकर शरद पवार की महत्वपूर्ण भूमिका रही ।
यही भूमिका कांग्रेस ने राज ठाकरे को बाला साहब के खिलाफ खड़ा करने में निभाई । सन २००६ में शिव सेना से अलग हटकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया तो कांग्रेस के लिए बाला साहब को शिकस्त देने का बेहतरीन मौका हाथ लगा । राज ठाकरे उत्तर भारतीय को निशाना बनाया , बिहार और उत्तर प्रदेश के टैक्सी चालकों को पीटा गया , रेडी ,खोमचे लगाने वालों को निशाना बनाया गया । दूध वाले ,सब्जी वाले , १०००-२००० रूपये कमाने वाले भैय्या को मुंबई छोड़ ने का हुक्म जारी हुआ , लेकिन सरकार चुप रही ... जाहिर है कांग्रेस और एन सी पी की सरकार इस कोशिश में लगी रही शिव सेना का मजबूत आधार एक बार राज ठाकरे हिला दे तो वे ताबूत में आखरी कील ठोकने में जरूर कामयाब हो जायेंगे । रेलवे की परीक्षा देने आए उत्तर भारतियों को राज ठाकरे की सेना पीटती रही और सरकार चुप चाप तमासा देखती रही । महाराष्ट्र में सरकार चलाने वाली पार्टी अक्सर यह भूल जाती है कि मुंबई भारत की कारोबारी राजधानी है , आज महाराष्ट्र के राजस्वा में सिर्फ़ मुंबई का योगदान ४५ फीसद है । जाहिर है देश के तमाम औद्योगिक प्रतिष्ठानों का हेड ऑफिस मुंबई है तो सरकार के विज्ञानं से लेकर आर्थिक मामलों के प्रमुख प्रतिष्ठान मुंबई में है । इस तरह देश की अच्छी खासी पूँजी मुंबई के निर्माण में लगा है ।लेकिन आज मराठी के नाम पर कभी राज ठाकरे हिन्दी फिल्म्स पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते है तो कभी उनकी सेना पूरे मुंबई से हिन्दी और इंग्लिश के बोर्ड जबरन हटा देते हैं । अगर अदालत दखल न दे तो आज मुंबई में वही होगा जो राज ठाकरे चाहेंगे । जया बच्चन राज के खिलाफ तेवर दिखाती है तो अगले दिन महानायक अमिताभ बच्चन राज ठाकरे से माफ़ी मांगते हैं । यानि कारोबारी राजधानी में कोई लफडा लेना नहीं चाहता । मुंबई सहित उसके आस पास की साठ विधान सभा सीटों पर उत्तर भारत के लोगों का वोट निर्णायक होता है । जाहिर है कांग्रेस और एन सी पी कभी उत्तर भारतियों के ख़िलाफ़ अपना मुहं नहीं खोलेंगे , लेकिन मराठियों का वोट अगर राज बाला साहब से तोड़ लेते हैं तो कांग्रेस और एन सी पी को सत्ता से बाहर करने का सपना शिव सेना का शायद ही कभी पूरा हो । लेकिन जेट से कमचारियों की छटनी पर राज ठाकरे ने अपनी पहल से यह साबित कर दिया की मुंबई मे सिर्फ़ उसकी ही चलेगी । केंद्रीय मंत्री प्रफ्फुल पटेल चिल्ला चिल्ला कर यह कहते रहे कि उनके कहने पर जेट ने कर्मचारियों को दुबारा बहाल किया है , लेकिन यह मान ने के लिए कोई तैयार नही था । एन सी पी को भी अब लगने लगा था पानी सर के ऊपर गुजर गया है और आख़िर कर महाराष्ट्र की हुकूमत को हरकत करनी पड़ी । लेकिन सवाल यह उठता है कि लालू यादव जैसे लीडर आख़िर किस बिना पर राज ठाकरे का विरोध कर रहे हैं । muslim -यादव का गठजोड़ बना कर लालू यादव ने अपने शासन में सवर्णों के ख़िलाफ़ जो मुहीम चलायी वह क्या राज ठाकरे के अभियान से कम था ।माया वती का तिलक तराजू और तलवार ..... के नारे को कौन भूल पायेगा । राज ठाकरे किसी शख्सियत का नाम नही है वह एक घृणा की राजनीती की पैदैस है , उत्तर से लेकर दक्षिण तक आज इसी घृणा के बदौलत सियासी जमीन तैयार की जा रही हो तो आप कितने राज ठाकरे से लडेंगे ।
टिप्पणियाँ
अमित कुमार
People need to understand who is doing what.
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