क्या राहुल राज पागल था या फ़िर कुछ और ...

[Photo] बस में , मेट्रो में ,कौफी हाउस में या यूँ कहें कि जहां भी बिहार के लोग मिलते हैं मुंबई पुलिस का हालिया एनकाउंटर खास चर्चा में है । क्या राहुल राज पागल था , क्या बिहार की स्मिता के लिए राहुल शहीद हो गया , क्या बिहार का एक भावुक नौजवान वह सब कर गया, जो आज तक किसीने नहीं किया था ? इस तरह के ढेरो सवाल लोगों के मन में उमड़ रहें है । ठीक दूसरे दिन एक दूसरे एनकाउंटर में उसी महाराष्ट्र में पब्लिक के एनकाउंटर में गोरखपुर का एक मजदूर मारा जाता है । धर्मदेव राय मजदूरी करके वापस लौट रहा था कुछ तथाकथित मराठी मानुस ने उसकी जान ले ली । लोग एक दूसरे की जान लेने पर उतारू है मगर क्यों ? मुंबई पुलिस का दावा है कि पटना से आया राहुल राज ने एक बस को हैजक कर लिया था और वह राज ठाकरे को मारने आया था । राज्य के गृह मंत्री अपनी पुलिस की पीठ थपथपा रहें हैं ,शिव सेना बिहारी अंदाज में उसे मार गिराने के लिए मुंबई पुलिस को बधाई देती है ..और केन्द्र की सरकार महाराष्ट्र की सरकार से रिपोर्ट मांगने की बात करके इस पूरे मामले से अपना पल्ला झाड़ लेती है । एक देश ,एक नागरिकता ,एक पहचान की बात सियासत के पैरों तले रौंदे जा रही है । पटना का एक नौजवान छात्र राहुल राज पिछले महीने से अख़बारों ,टीवी चैनलों की मुंबई की ख़बरों से आहत था , वह नौजवान बिहारियों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार से तिलमिला उठा था । उसके लिए बिहार कोई खास वर्ग और जाती नहीं था बल्कि उसके सामने बिहार एक अस्मिता का सवाल था । काम की तलाश में मुंबई आए लोग उसके नाते रिश्तेदार नहीं थे बल्कि वे उसके गौराब्शाली बिहार का एक हिस्सा थे । कश्मीर में इसी कश्मीरी अस्मिता के सवाल पर यासीन मालिक ने १३ साल की उमर में सेना के एक जवान पर पत्थर मारा था ,बाद में वही यासीन मालिक कुख्यात आतंकवादी बन गया था । राहुल राज को हुकूमतों की चुप्पी और सियासी लीडरों के खेल ने भड़का दिया था ... शायद इसलिए की वह इस देश की बांटों और राज करो की सियासत अभी समझ नही पाया था । आज जो कुछ मुंबई में हो रहा है कल वह बेंगलूरू में भी हो सकता है परसों मद्रास में भी हो सकता है । केन्द्र की मेहेर्वानी के कारन आज उत्तर- दक्षिण का आर्थिक संतुलन पूरी तरह से बिगड़ चुका है , सेज और दूसरी किन्द्रीय योजनाओं के कारण देश का दक्षिणी राज्य समृधि होते गए जबकि उत्तर के राज्यों की आर्थिक गतिबिधि सिकुड़ती गई । ज्यादा दिन दूर नही की दक्षिण से एक अलग मुल्क बनाने की मांग बढेगी ॥देश के दस फीसद आवादी वाला राज्य बिहार की प्रति व्यक्ति आय आज भी देश के ११ हजार के मुकाबले महज ४००० रूपये है ,देश में जहां गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या २६ फीसद है वहीँ बिहार में यह तादाद ४२ प्रतिशत है । देश में साक्षरों के तादाद ६५ फीसद है वही बिहार में यह तादाद ४७ फीसद है । देश में जहां प्राईमरी क्लास मे नामांकन लेने वाले बछो की तादाद ८४ फीसद है वही बिहार में यह तादाद ६० फीसद है । इन आंकडों से बिहार की हालत को बेहतर समझा जा सकता है । जाहिर है काम की तलाश में रोजी रोटी की जुगाड़ में बिहारिओं को घर से पलायन नियति बन गई है । लेकिन इसके लिए बिहारियों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है ।पंजाब में आज मजदूर नहीं मिल रहे है तो वहां की हुकूमत बिहार सरकार से लोगों यहाँ भेजने की अपाल कर रहे है , रेल मंत्रालय को स्पेशल ट्रेन चलाने की मांग करते हैं । वजह साफ है की अगर आज बिहार में मजदूरों को काम मिल रहें हैं तो वह दो पैसे कम में अपने घर में ही गुजारा करना चाहता है । बिहार से हर साल लाखों की संख्या में स्टुडेंट इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई के लिए महाराष्ट्र और दक्षिण के राज्यों में जाते है और वहां के शिक्षा माफिया को मालामाल कर रहे है , लेकिन इन छात्रों से वहां के नेताओं को कोई परेशानी नहीं है क्यों कि ये उनके लिए सोने के अंडे देने वाली मुर्गी है , लेकिन मजदूरों से परहेज है । बिहार के भूमि पुत्र जिनके पास १० से पन्द्रह एकड़ जमीन है वे शहरों में २००० से ३००० रूपये की नौकरी के लिए जिल्लत की जिंदगी जी रहे है , इसके लिए कौन कसूरवार हो सकता है ? यह सब इस लिए हो रहा है क्योंकि बिहार में आजतक कोय भी चुनाव विकास के मुद्दे पर नही लड़ा गया . जाती ,धर्म में बता समाज इन जिल्लत बड़ी जिंदगी के वाबजूद विकास को तरजीह देना नही चाहता .क्या बिहार के लोग राहुल राज के बलिदान से कुछ सबक लेने को तैयार हैं ?

टिप्पणियाँ

जो भी इस तरह की घटनाएं हो रही हैं , गलत हो रही हैं । ऐसा नहीं होना चाहिए।
Unknown ने कहा…
शर्म की बात है यह, मुंबई पुलिस, महा सरकार, शिव सेना, राज की सेना, मंबई के मराठा मानुसों के लिए. बिहार के नेताओं के लिए क्या कहा जाय, वह तो कुर्सी पर बैठे हैं केन्द्र में या राज्य में. अब एक राहुल के लिए कुर्सी तो नहीं त्यागी जा सकती.
बेनामी ने कहा…
This is a matter of shame for all Biharis who are just sitting home or just sabotaging thier own homes.
How many of us have come forward to support the martyr Rahul Raj or protest the traitor Raj Thakre?

If Biharis withraw thei services from other states the Indian economy will irreparably lose its base.
Let us come forth and stand united to uphold the integrity of mother India. Let our mother not be devided and the demons like the Thakray be nipped in the bud
Dr Birbal Jha
बेनामी ने कहा…
This is a matter of shame for all Biharis who are just sitting home or just sabotaging thier own homes.
How many of us have come forward to support the martyr Rahul Raj or protest the traitor Raj Thakre?

If Biharis withraw thei services from other states the Indian economy will irreparably lose its base.
Let us come forth and stand united to uphold the integrity of mother India. Let our mother not be devided and the demons like the Thakray be nipped in the bud
Dr Birbal Jha

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