इस बार हमारे जैसे पप्पू भी वोट करेंगे
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अगर राजनितिक दलों के पोलिंग फीसद को देखें तो यह साफ़ है कि इस देश के मतदाताओं ने किसी जातीय गुट को वोट किया या फ़िर किसी क्षेत्र को तरजीह दिया या फ़िर मजहब को आधार बनाया उसके जेहन में न तो देश था न ही कोई मुद्दा । यानि इस देश के मतदाताओं ने भारत में गृह युद्ध के लिए मतदान किया था । भला हो हमारे राजनेताओं का जिन्होंने ने सूझ बुझ दिखाते हुए सत्ता पर काबिज हो गए । लेकिन आदत से मजबूर हम फ़िर भी राजनेताओं को कोसते हैं ।
आज बराक ओबामा की चर्चा हर जगह हो रही है । अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव या उसके राष्ट्रपति के उमीदवार को लेकर चर्चा भारत में इस कदर आम थी मनो ओबामा भारत के किसी शहर के मुनिसिपल के उम्मीदवार हों । लेकिन अपने यहाँ न तो कभी प्रधान मंत्री की चर्चा होती न ही राष्ट्रपति की क्योंकि इसे मतदाता नहीं तय करते बल्कि इसे आलाकमान तय करते है । यानि आलाकमान हमें बताते है की हमारा राष्ट्रपति , हमारा प्रधानमंत्री ,हमारा मुख्यमंत्री कौन होगा । ६ राज्यों में विधान सभा के लिए चुनाव हो रहे हैं , चुनावी सरगर्मी जोरों पर है । बीजेपी ने अपने मुख्यमंत्री के दावेदार का एलान कर रखा है , लेकिन दूसरी पार्टियों ने ये फ़ैसला आलाकमान पर छोड़ दिया है । यानि लोग सरकार बनाने के लिए मतदान कर रहे है लेकिन सरकार के चेहरे को गुप्त रखा जा रहा है । वजह साफ़ है की जो लोग सरकार के नीतियों के खिलाफ जितनी बहस करते है , चुनावी प्रक्रिया से वे उतने ही दूर रहते है । पिछले २० वर्षों से मैंने कभी वोट नही डाला है । यानि पप्पू के श्रेणी में मैं भी अपने आपको पाता हूँ लेकिन राजनेताओं को खूब कोसता हूँ । चुनाव आयोग ने अपने एक इश्तेहार में वोट न करने वाले पप्पुओं को वोट देने की अपील की है । शायद इस बार लीडरों को कोसने के वजाय मैं भी वोट करूंगा । क्या आप भी ?
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