हिंदू आतंकवाद और सेकुलरिस्म यानि खौफ की सियासत


एक ही झटके में मालेगाँव धमाके के आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ,कर्नल पुरोहित और दूसरे आरोपियों को समझौता ब्लास्ट ,अजमेर शरीफ ब्लास्ट ,और देश में दूसरे धमाके का सरगना करार दिया जा रहा है । ठीक उसी तरह जब देश के अन्य भागों में सीरियल ब्लास्ट का सिलसिला जारी रहा और हर बार पुलिस मास्टर मैयंड को पकड़ लेने की दावा करती रही । ध्यान रहे कि पिछले दो वर्षों में २४ बड़े धमाके हुए हैं जिनमे कई मामले में अभीतक कोई गिरफ्तारी भी नही हुई है , तो कई मामले मे पुलिस चार्जशीट तक दायर नही कर सकी है , तो कई आरोपी सबूत के अभाव में कोर्ट से बरी कर दिए गए हैं । ये एक झलक है राज्य के खास पुलिस दस्ते और सीबीआई के इन्वेस्टीगेशन का । लेकिन ये जाँच प्रक्रिया सियासी पार्टियों के लिए मुद्दे जरूर बनते रहे हैं ।
मुंबई पुलिस और उसके ऐ टी एस ने इस बार एक मुद्दा बनाया है देश के सेकुलरिस्ट पार्टियों के लिए । यानि अभिनव भारत , विश्व हिंदू परिषद् ,बजरंग दल , आर एस एस और बीजेपी तथाकथित सेकुलर पार्टियों के निशाने पर है । मुंबई पुलिस अभीतक दस आरोपियों को गिरफ्तार किया है लेकिन हिंदू आतंकवाद का मामला राजधानी दिल्ली से निकलकर ब्रिटिश पार्लियामेंट तक गूंजने लगा है । यानि अन्तर राष्ट्रीय आतंकवाद में ये हिंदू आतंकवाद भी एक हिस्सा बन गया है । मीडिया मे लगातार विश्लेसन किया जा रहा है और बीजेपी को बैक फ़ुट पर होने की बात की कही जारही है । जाहिर है लाल कृष्ण आडवानी से लेकर उनके तमाम सहयोगी मुंबई पुलिस की जांच पर सवाल उठा रहे है । सियासत का ये भी एक हिस्सा है । लेकिन सबसे अहम् बात इस बहस में छुट जाती है ।
क्या ये हिंदू आतंकवाद देश के सेकुलरिस्म की ताक़त है ? क्या इस देश में सेकुलरिस्म इसलिए कायम है क्योंकि सेकुलरिस्म हमारे संविधान में दर्ज है ? क्या तथाकथित सेकुलरिस्ट पार्टिया ने इस सेकुलरिस्म को अक्षुण बना रखी है ?
ये हिंदू आतंकवाद का शब्द उन तथाकथित सेकुलरिस्ट पार्टियों ने चर्चा में लाया है जिनका muslim वोट से सीधा ताल्लुकात है । यानि संदेश है कि इस हिंदू आतंकवाद के खात्मे के लिए सेकुलर पार्टी को सत्ता में आना जरूरी है । यानि देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ ८५ करोड़ हिन्दुओं के साजिश को रोकना होगा ... । उग्र हिन्दुवाद और बीजेपी की ग़लत निति के कारण विवादित बाबरी मस्जिद गिराया गया । जिसका नतीजा आपके सामने हैं ..देश में बढ़ी आतंकवाद का यह मुख्या वजह माना जा सकता है । हो सकता है कि बाबरी मस्जिद गिराने का वाकया भावावेश का नतीजा हो लेकिन उस प्रचंड हिंदू उग्रवाद के कारन सबसे ज्यादा नुकसान बिहार और उत्तरप्रदेश को ही उठाना पड़ा । यानि तमाम सामाजिक आर्थिक विकास सेकुलर -कोम्मुनल वोट के नीचे दव गए । और इस घटना के बाद जो राजनितिक चेहरे और चरित्र हमारे सामने आए वह कमोवेश पुरे मुल्क के सामाजिक -आर्थिक प्रगति को प्रभावित कर रहे हैं । रही बात सेकुलरिस्म की तो हमें यह बात समझनी चाहिए की इस देश में जबतक हिंदू बहुसंख्यक हैं तभी तक इस देश का सेकुलरिस्म कायम है । वेस्ट से लेकर अरब तक पश्चिम एशिया से लेकर साउथ एशिया तक जहाँ भी दूसरे धर्मों की बहुतायत है धर्म का सीधा हस्तक्षेप राज्य पर है । मैं कतई धर्म का राज्य में हस्तक्षेप का समर्थक नहीं हूँ । लेकिन सेकुलरिस्म के खोखले दावे भारतीय समाज को दोहने पर खड़ा कर दिया है । आज भी देश के ६ लाख से ज्यादा ग्रामीण अंचलों में muslim त्यौहार और हिंदू त्योहारों में हर समुदायों की बराबर भागीदारी होती है । आज भी इन ग्रामीण अंचलों में ताजिया के लिए निकले जलूस में ज्यादा हिंदू नौजवानों की संख्या होती है । पीर फ़कीर के दरगाहों पर आज भी वहां muslim से ज्यादा तादाद हिन्दुओं की होती है । इस्लामिक आतंकवाद यहाँ कभी बहस का मुद्दा नहीं होता क्योंकि आतंक का कोई मजहब नही होता ॥ लेकिन जिस तरह से साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित का नाम लेकर हिन्दू आतंवाद को जोर शोर से प्रचारित किया जाता है यह भारत के गंगा -यमुनी तहजीब के लिए एक बड़ा खतरा जरूर हो सकता है । सियासत के लिए देश को दाव पर लगाने का यह सिलसिला बंद होनी चाहिए ।

टिप्पणियाँ

vaishali ने कहा…
aacha bahut accha likha hai . aapne bilkul theek likha yehi .
आप भी ए०टी०ए़स० के निशाने पार आने वाले हैं.

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