आतंकवाद को हराने के लिए मुसलमानों के भरोसे को जितना होगा ...
पिछले एक साल में ११ बड़े धमाके हुए हैं जिसमे हमने १००० से ज्यादा अपने अजीजों को खोया है । २००० से ज्यादा लोग आज भी आतंक के दंश को झेल रहे हैं । हर हमले के बाद हमरा नेतृत्वा हमें दिलासा देता है बस ! आतंकियों की कोशिशों को अब कामयाब नही होने दिया जाएगा ,प्रधानमंत्री से लेकर आला मंत्री तक हमें आश्वस्त कर जाते हैं । लेकिन फ़िर एक हमला सामने आ जाता है और फ़िर हमारे सौ दो सो लोग मारे जाते हैं । एक बार फ़िर वही आश्वासन ,धीरज रखने की अपील ....
आज दुनिया के तमाम नामी अख़बारों ने और सुरक्षा विशेषज्ञों ने हमें एक नाकारा देश और अक्षम नेतृत्वा के विशेषण से नवाजा है । देश और दुनिया में हो रही आलोचना से परेशान हमारी हुकूमत ने सीधे पाकिस्तान की हुकूमत से आई एस आई के चीफ को तलब किया। देश के अख़बारों में इसकी सुर्खियाँ बनी मानो पाकिस्तान ने अपनी गलती मान ली हो और आई एस आई को भारत को सुपुर्द कर दिया हो । लेकिन दुसरे दिन ही पाकिस्तान ने आई एस आई के चीफ को भेजने की बात को नकार दिया ।यानी ठीक उसी तरह जैसे पार्लियामेन्ट हमले के बाद हमारी हुकूमत ने ऑपरेशन पराक्रम का ऐलान कर फौज को पाकिस्तान के सरहद पर तैनात कर दिया था । लगभग ६ महीनो तक भारत और पाकिस्तान की फौज एक दुसरे पर आँख तरेरती रही और अंततः भारत को अपनी फौज वापस बुलाना पड़ा । इस पूरे कबायद में हमने अपने १००० से ज्यादा फौज को खो दिया था जो बिना लड़े ही शहीद हो गए । जाहिर था हमारी हुकूमत को एहसास था कि पाकिस्तान हमले के दौरान नुक्लेअर हथियार का भी इस्तेमाल कर सकता था । पाकिस्तान के नुक्लेअर हमले से दुनिया के लोग चिंतित थे ।
८० के दशक में जनरल जिया ने ब्लीडिंग इंडिया बाय थोसन्ड्स कट्स की निति बनाई थी और भारत में आतंकवाद का एक नया सिलसिला तेज किया था । यही सिलसिला कमोबेश आज भी जारी है । आई एस आई पाकिस्तान में स्टेट विथिन स्टेट है यानि उसकी अपनी अलग सत्ता है जिसे वहां की हुकूमत रोक टोक की हिमाकत कर पायेगी ये सोचना जल्द वाजी होगी । और तमाम दहशतगर्द संगठन उसकी अग्रिम पंक्ति की फौज है । सोविअत रूस के अफगानिस्तान कब्जे से बेदखल करने के लिए अमेरिका ने कभी इसी आई एस आई और उसके मुजाहिद का इस्तेमाल किया था । उसीके पैसे से आई एस आई ने अपना मजबूत आधार बनाया था , ये अलग बात है की वही आई एस आई और उसके मुजाहिद आज अमेरिका के नाकों चने चब बा रहे हैं । लश्करे तैबा के चीफ हाफिज़ मोहम्मद सईद पिछले महीने अपने तकरीर में साफ़ तौर से ऐलान किया था की वे भारत को सोविअत रूस की तरह टुकड़े टुकड़े कर देंगे , उसने कहा कि हम भारत को अपने जिहाद से हरा देंगे ,उसके साथ शान्ति वार्ता करने वाले लोग गद्दार हैं । भारत सिर्फ़ जिहाद से ही हराया जा सकता है । और ये जेहादी हमले हमारे सामने है ।ध्यान देने की बात यह है की लश्कर का यह जेहाद भारत के उत्तर से दक्षिण तक पूरब से पश्चिम तक फ़ैल चुका है । इंडियन मुजाहिद्दीन , डेकन मुज्जहिदीन , सिमी न जाने कितने संगठन लश्कर के लिए समर्पित है । पिछले वर्षों में ७४ सिलसिलेवार धमाके हुए है लेकिन आज तक एक्का दुक्का केस को छोड़ दे तो दर्जनों मामले में हमारी पुलिस चार्ज सीट भी नही दाखिल कर पायी है । हर बार सरगना के पकड़ लेने की बात होती है लेकिन दूसरे धमाके में कोई और सरगना सामने आ जाता है । सरगना का पकड़े जाने का यह सिलसिला तब से शुरू हुआ है जबसे भारत की मीडिया ने अपनी पहुच लोगों के घर में बना लिया है । यानि नकली सरगना सिर्फ़ मीडिया और उसकी स्टोरी का हिस्सा हो गया है । और समस्या जस की तस् बनी रहती है । जरा गौर कीजिये मुंबई में १९९३ के सिरिअल ब्लास्ट में जो रणनीति अपनायी गई थी वही रणनीति वही नेटवर्क आतंकवादियों ने इस बार भी अपनाया है लेकिन हम तारीख से कोई सबक नही ले सके । क्योंकि हुकूमत को पता है लोगों को भूलने की आदत है एक बार फ़िर इस हमले को भी भूल जायेंगे । मुंबई में हमला बोल कर आतंकवादी अपने मकसद में कामयाब रहे है । पुरी दुनिया को वे बताने में कामयाब रहे कि वे इन्हे थका सकते है हरा सकते हैं । वो यह बताने में कामयाब रहे कि भारत का बिख्डा समाज आतंकवाद के लिए सबसे उपजाऊ भूमि है । यहाँ की सियासत ने समाज को अल्पसंख्यक ,बहुसंख्यक ,मराठी ,गुजराती ,तमिल ,दलित , पिछड़ा ,अगड़ा ,ब्रह्मण , बनिया न जाने कितने समूहों में बाँट दिया है । आतंकवादी हमले में हम सिर्फ़ अपने को खोजते हैं फ़िर यह जानकर निश्चिंत हो जाते हैं इस तरह के हमले अब होते ही रहते हैं । यहाँ की सियासत ने आज वोट के कारन अल्पसंख्यकों में भय पैदा कर दिया है ,उन्हें व्यवस्था से भरोसा उठ रहा है । भारत में आज १५ करोड़ से ज्यादा मुसलमान हैं फ़िर भी उन्हें अल्पसंख्यक बताया जा रहा है । लीडरशिप के नाम पर उनके सामने अनपढ़ मौलानाओं को आगे किया गया है जो किसी भी सियासी जमात को थोक वोट उपलब्ध कराने की गारंटी देता है ।अधिकांश पढ़ा लिखा तबका उपेक्षित है आक्रोश से भरा है कभी उसका इस्तेमाल सिमी करता है कभी लश्कर तो कभी मौलाना.... भारत में करोडो लोग उपेक्षित हैं लाखों लोग बेरोजगार है लेकिन उन्हें कमोवेश व्यवस्था पर भरोसा है । नक्सल प्रभावित इलाकों में जहाँ लोगों का भरोसा व्यवस्था से उठ गया है उन्होंने बन्दूक उठा लिया है । वहां कोई जेहाद नही है फ़िर भी आतंकवाद है हमें इस कारन का जवाब देना होगा । क्या इस देश में जारी जेहाद को बगैर अल्प्संख्योको की मदद से हराया जा सकता है । आतंकवाद को पैदा करने वाला पाकिस्तान ख़ुद आतंकवाद से लहूलुहान है वहां की हुकूमत हमारी कुछ भी मदद नही कर सकती , लश्कर की मदद से पाकिस्तानी हुकूमत उन मुजहिद्द्दीन को भारत में इंगेज कर रहा है । जब तक उन मुजहिदिन्नो को भारत में घर मिलना बंद नही होंगे तबतक इन हमलों से हम दो चार होते रहेंगे । एक बार भरोसा कीजिये और आतंकवाद से लड़ने के लिए अल्पसंख्यक समुदाय को नेतृत्वा सौपिये ॥ ये देश उनका भी है ये गरीबी उनकी भी है ,ये शाइनिंग इंडिया उनका भी है ये गरीब भारत उनका भी है ।
आज दुनिया के तमाम नामी अख़बारों ने और सुरक्षा विशेषज्ञों ने हमें एक नाकारा देश और अक्षम नेतृत्वा के विशेषण से नवाजा है । देश और दुनिया में हो रही आलोचना से परेशान हमारी हुकूमत ने सीधे पाकिस्तान की हुकूमत से आई एस आई के चीफ को तलब किया। देश के अख़बारों में इसकी सुर्खियाँ बनी मानो पाकिस्तान ने अपनी गलती मान ली हो और आई एस आई को भारत को सुपुर्द कर दिया हो । लेकिन दुसरे दिन ही पाकिस्तान ने आई एस आई के चीफ को भेजने की बात को नकार दिया ।यानी ठीक उसी तरह जैसे पार्लियामेन्ट हमले के बाद हमारी हुकूमत ने ऑपरेशन पराक्रम का ऐलान कर फौज को पाकिस्तान के सरहद पर तैनात कर दिया था । लगभग ६ महीनो तक भारत और पाकिस्तान की फौज एक दुसरे पर आँख तरेरती रही और अंततः भारत को अपनी फौज वापस बुलाना पड़ा । इस पूरे कबायद में हमने अपने १००० से ज्यादा फौज को खो दिया था जो बिना लड़े ही शहीद हो गए । जाहिर था हमारी हुकूमत को एहसास था कि पाकिस्तान हमले के दौरान नुक्लेअर हथियार का भी इस्तेमाल कर सकता था । पाकिस्तान के नुक्लेअर हमले से दुनिया के लोग चिंतित थे ।
८० के दशक में जनरल जिया ने ब्लीडिंग इंडिया बाय थोसन्ड्स कट्स की निति बनाई थी और भारत में आतंकवाद का एक नया सिलसिला तेज किया था । यही सिलसिला कमोबेश आज भी जारी है । आई एस आई पाकिस्तान में स्टेट विथिन स्टेट है यानि उसकी अपनी अलग सत्ता है जिसे वहां की हुकूमत रोक टोक की हिमाकत कर पायेगी ये सोचना जल्द वाजी होगी । और तमाम दहशतगर्द संगठन उसकी अग्रिम पंक्ति की फौज है । सोविअत रूस के अफगानिस्तान कब्जे से बेदखल करने के लिए अमेरिका ने कभी इसी आई एस आई और उसके मुजाहिद का इस्तेमाल किया था । उसीके पैसे से आई एस आई ने अपना मजबूत आधार बनाया था , ये अलग बात है की वही आई एस आई और उसके मुजाहिद आज अमेरिका के नाकों चने चब बा रहे हैं । लश्करे तैबा के चीफ हाफिज़ मोहम्मद सईद पिछले महीने अपने तकरीर में साफ़ तौर से ऐलान किया था की वे भारत को सोविअत रूस की तरह टुकड़े टुकड़े कर देंगे , उसने कहा कि हम भारत को अपने जिहाद से हरा देंगे ,उसके साथ शान्ति वार्ता करने वाले लोग गद्दार हैं । भारत सिर्फ़ जिहाद से ही हराया जा सकता है । और ये जेहादी हमले हमारे सामने है ।ध्यान देने की बात यह है की लश्कर का यह जेहाद भारत के उत्तर से दक्षिण तक पूरब से पश्चिम तक फ़ैल चुका है । इंडियन मुजाहिद्दीन , डेकन मुज्जहिदीन , सिमी न जाने कितने संगठन लश्कर के लिए समर्पित है । पिछले वर्षों में ७४ सिलसिलेवार धमाके हुए है लेकिन आज तक एक्का दुक्का केस को छोड़ दे तो दर्जनों मामले में हमारी पुलिस चार्ज सीट भी नही दाखिल कर पायी है । हर बार सरगना के पकड़ लेने की बात होती है लेकिन दूसरे धमाके में कोई और सरगना सामने आ जाता है । सरगना का पकड़े जाने का यह सिलसिला तब से शुरू हुआ है जबसे भारत की मीडिया ने अपनी पहुच लोगों के घर में बना लिया है । यानि नकली सरगना सिर्फ़ मीडिया और उसकी स्टोरी का हिस्सा हो गया है । और समस्या जस की तस् बनी रहती है । जरा गौर कीजिये मुंबई में १९९३ के सिरिअल ब्लास्ट में जो रणनीति अपनायी गई थी वही रणनीति वही नेटवर्क आतंकवादियों ने इस बार भी अपनाया है लेकिन हम तारीख से कोई सबक नही ले सके । क्योंकि हुकूमत को पता है लोगों को भूलने की आदत है एक बार फ़िर इस हमले को भी भूल जायेंगे । मुंबई में हमला बोल कर आतंकवादी अपने मकसद में कामयाब रहे है । पुरी दुनिया को वे बताने में कामयाब रहे कि वे इन्हे थका सकते है हरा सकते हैं । वो यह बताने में कामयाब रहे कि भारत का बिख्डा समाज आतंकवाद के लिए सबसे उपजाऊ भूमि है । यहाँ की सियासत ने समाज को अल्पसंख्यक ,बहुसंख्यक ,मराठी ,गुजराती ,तमिल ,दलित , पिछड़ा ,अगड़ा ,ब्रह्मण , बनिया न जाने कितने समूहों में बाँट दिया है । आतंकवादी हमले में हम सिर्फ़ अपने को खोजते हैं फ़िर यह जानकर निश्चिंत हो जाते हैं इस तरह के हमले अब होते ही रहते हैं । यहाँ की सियासत ने आज वोट के कारन अल्पसंख्यकों में भय पैदा कर दिया है ,उन्हें व्यवस्था से भरोसा उठ रहा है । भारत में आज १५ करोड़ से ज्यादा मुसलमान हैं फ़िर भी उन्हें अल्पसंख्यक बताया जा रहा है । लीडरशिप के नाम पर उनके सामने अनपढ़ मौलानाओं को आगे किया गया है जो किसी भी सियासी जमात को थोक वोट उपलब्ध कराने की गारंटी देता है ।अधिकांश पढ़ा लिखा तबका उपेक्षित है आक्रोश से भरा है कभी उसका इस्तेमाल सिमी करता है कभी लश्कर तो कभी मौलाना.... भारत में करोडो लोग उपेक्षित हैं लाखों लोग बेरोजगार है लेकिन उन्हें कमोवेश व्यवस्था पर भरोसा है । नक्सल प्रभावित इलाकों में जहाँ लोगों का भरोसा व्यवस्था से उठ गया है उन्होंने बन्दूक उठा लिया है । वहां कोई जेहाद नही है फ़िर भी आतंकवाद है हमें इस कारन का जवाब देना होगा । क्या इस देश में जारी जेहाद को बगैर अल्प्संख्योको की मदद से हराया जा सकता है । आतंकवाद को पैदा करने वाला पाकिस्तान ख़ुद आतंकवाद से लहूलुहान है वहां की हुकूमत हमारी कुछ भी मदद नही कर सकती , लश्कर की मदद से पाकिस्तानी हुकूमत उन मुजहिद्द्दीन को भारत में इंगेज कर रहा है । जब तक उन मुजहिदिन्नो को भारत में घर मिलना बंद नही होंगे तबतक इन हमलों से हम दो चार होते रहेंगे । एक बार भरोसा कीजिये और आतंकवाद से लड़ने के लिए अल्पसंख्यक समुदाय को नेतृत्वा सौपिये ॥ ये देश उनका भी है ये गरीबी उनकी भी है ,ये शाइनिंग इंडिया उनका भी है ये गरीब भारत उनका भी है ।
टिप्पणियाँ
हमारा सुर भी दिनेश जी के सुर के साथ ही है
Jai Hind. SINGH