चुनावी मुद्दे इस बार आएंगे पाकिस्तान से ...
संसद का मोजुदा सत्र कई मामले मे अहम् और खास है । अहम् इसलिए कि मौजूदा लोक सभा का यह आखिरी सत्र है, अगर १३ वी लोक सभा की परम्परा कायम रही तो हो सकता है सौ दो सो सांसद दोबारा संसद न पहुच पाए । चुनाव सर पर है तो जाहिर है संसद में चुनावी मुद्दे भी गढे जायेंगे । लालू जी का अंतरिम रेल बजट ने कमोवेश यह इशारा दे दिया है कि अंतरिम बजट का आकर्षण चुनाव ही होगा । लेकिन इस चुनावी गहमागहमी के बीच बार बार पाकिस्तान की चर्चा और सरकार की ओर से लगातार बयान से यह साफ़ हो गया है कि कांग्रेस को चुनाव में जाने से पहले पाकिस्तान से कोई ठोस अस्वासन चाहिए । सो कांग्रेस के लीडर संसद में गद गद थे कि पाकिस्तान आख़िर कार अपने नकारने वाले अंदाज से अलग हटकर यह कबूल तो लिया कि मुंबई हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी और हमलावर पाकिस्तानी थे । संसद के सत्र की पहली बैठक के दिन ही पाकिस्तान ने यह खुलासा कर के भारत सरकार को बता दिया कि वह भारत सरकार की चिंता को समझता है । हलाकि उसने सरकार के सामने ३० सवाल रखकर यह भी बता दिया है की सरकार चलाने और पार्टी को बचाने की चिंता सिर्फ़ कांग्रेस को ही नही होनी चाहिए पी पी पी को भी पाकिस्तान में अपनी दूकान चलानी है ।
लेकिन सवाल यह है कि पाकिस्तान के सद्र आसिफ अली जरदारी को अपनी बेगम बेनजीर भुट्टो की हत्या की जांच के लिए अंतर्राष्ट्रीय जांच एजेन्सी चाहिए क्योंकि उन्हें पाकिस्तान की जांच एजेन्सी और कोर्ट पर तनिक भी भरोसा नही है , लेकिन वी भारत को जांच का पुरा भरोसा दे रहे हैं । उन्हें मालूम है की देनिअल पर्ल की हत्या के मामले ओमर शेख को फांसी की सजा मिली थी लेकिन ओमर शेख आज भी ऐयाशी की जिन्दगी जी रहा है । यह वही ओमर शेख है जिसने भारत के हवाई जहाज को अगवा करके मौलाना मसूद अजहर को भारत के जेल से मुक्त कराया था । यानि जैस ऐ मोहम्मद के एक सरगना को सजा देने की हिम्मत पाकिस्तानी हुकूमत आज तक नही जुटा पाई । भारत सरकार की जाँच को पुख्ता बताकर पाकिस्तानी हुकूमत ने लश्कर ऐ तोइबा के लाख्वी सहित कई आतंकवादी सरगनाओं की गिरफ्तारी की है । लेकिन लश्कर का चीफ हाफिज़ मोहम्मद सईद आज भी इन गिरफ्तारियों से दूर है और अपने घर से मरकज उल दावा और लश्कर के अभियान को चला रहा है । यानि हाफिज़ मोहम्मद सईद , मोलाना मसूद अजहर , दावुद इब्राहीम जैसे सरगनाओं की ओर हुकूमत झांक भी नही सकती है । यानी पाकिस्तान की सत्ता में ये अलग सत्ता है जिसपर वहां के प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति का कोई जोर नहीं चलता । जैस ऐ मोहम्मद के सरगना रशीद रौफ को पाकिस्तान की पुलिस ने लन्दन के एक आतंकवादी करवाई के मामले मे पकड़ा था । पाकिस्तान की अदालत में उसपर मुकदमें भी चले तभी वह एक दिन अदालत से गायब हो गया । बाद में पाकिस्तान की एजेन्सी से यह ख़बर आई की रशीद रौफ मारा गया । इस तरह भारत के कई वांटेड दहशतगर्द के बारे में हमें बताया जाता है कि वी मारे जा चुके हैं । लश्कर का खतरनाक कमांडर मक्की के बारे में बताया गया था कि वह मारा गया है । लेकिन मुंबई धमाके के सिलसिले में पाकिस्तान की पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया है । यानि वहां की फौज चाहे तो मुर्दा भी जिन्दा हो सकता है ।
हमें यह नही भूलना चाहिए की पाकिस्तान ने जिस दिन मुंबई हमले की जांच का खुलासा किया ठीक उसके एक दिन पहले परमाणु बोम्ब के मामले में अंतर्राष्ट्रीय स्मगलर कदीर खान को आजाद करार दिया जाता है । यानि इस मामले में पाकिस्तानी हुकूमत को अपनी एजेन्सी से समझौता करना पड़ा है । पाकिस्तान में आतंकवादियों पर करवाई फौज की मर्जी के बगैर नही चलायी जा सकती । चीन के चार लोगों को लाल मस्जिद के लोगों ने जख्मी कर के यह बता दिया था की चीन की दखलंदाजी मौलानाओं को पसंद नही है । चीन ने विरोध जताया तो परवेज मुशर्रफ़ ने लाल मस्जिद के मदरसे को आतंकवादी ट्रेनिंग कैंप घोषित कर डाला । और फौज की कारवाई में २०० से ज्यादा स्टुडेंट और कई मौलाना मारे गए । क्या भारत के लिए पाकिस्तानी फौज कोई जैनून आतंकवादी ट्रेनिंग कैंप भी बंद करा देगी ? शायद नही । पाकिस्तान के राष्ट्रपति बार बार कह रहे है की तालिबान पाकिस्तान पर कब्जा करना चाहते है । उन्हें मालूम है की तालिबान सरहदी इलाके से निकलकर इस्लामाबाद के करीब पहुच चुका है । इस्लामाबाद की इमारतों पर पोस्टर लगा कर तालिबान ने अपना मंसूबा साफ़ कर दिया है । पाकिस्तान मामले पर अम्रीका के विशेष दूत होल्ब्रूक को जल्द ही यह तय करना पड़ेगा की उन्हें पाकिस्तान में फौजी शाशन चाहिए या आवामी हुकूमत । चुनी हुई सरकार ने मुंबई हमले के बाद अपनी पकड़ ढीली कर ली है या कर दी गई है । इस हालत में अमेरिका के दवाब में पाकिस्तान की हुकूमत भले ही भारत को जांच का भरोसा दे रही हो लेकिन उसे यह मालूम है की वह कुछ भी फ़ैसला नही ले सकती । भारत् के विदेश मंत्री संसद में यह बयान दे रहे है की उन्हें पाकिस्तान के अवाम से कोई शिकायत नही है आवामी सतह पर जो रिश्ते बने है उन्हें बरक़रार रखा जाएगा । जाहिर है भारत सरकार को पाकिस्तान की ओर से कोई करवाई का भरोसा नही है , उन्हें सिर्फ़ पाकिस्तान की हुकूमत से आश्वासन चाहिए जिस से कांग्रेस पार्टी चुनावी वैतरणी पार कर जाय । क्योंकि सरकार को मालूम है की पाकिस्तान के प्रायोजित इस आतंकवाद में अब तक ४०००० से ज्यादा लोग मारे गए है । अगर यह देश अपने हजारों शहीदों को भुला सकता है तो मुंबई हमले के २०० शहीद तो ऐसे ही भुला दिए गए होंगे । मुंबई हमले को लेकर सरकार को चुनाव में ठोस मुद्दे चाहिए और विपक्षी दलों का जवाब और यह मुद्दा पाकिस्तान की हुकूमत जरूर दे देगी । इसका इशारा पाकिस्तान ने दे दिया है ।
लेकिन सवाल यह है कि पाकिस्तान के सद्र आसिफ अली जरदारी को अपनी बेगम बेनजीर भुट्टो की हत्या की जांच के लिए अंतर्राष्ट्रीय जांच एजेन्सी चाहिए क्योंकि उन्हें पाकिस्तान की जांच एजेन्सी और कोर्ट पर तनिक भी भरोसा नही है , लेकिन वी भारत को जांच का पुरा भरोसा दे रहे हैं । उन्हें मालूम है की देनिअल पर्ल की हत्या के मामले ओमर शेख को फांसी की सजा मिली थी लेकिन ओमर शेख आज भी ऐयाशी की जिन्दगी जी रहा है । यह वही ओमर शेख है जिसने भारत के हवाई जहाज को अगवा करके मौलाना मसूद अजहर को भारत के जेल से मुक्त कराया था । यानि जैस ऐ मोहम्मद के एक सरगना को सजा देने की हिम्मत पाकिस्तानी हुकूमत आज तक नही जुटा पाई । भारत सरकार की जाँच को पुख्ता बताकर पाकिस्तानी हुकूमत ने लश्कर ऐ तोइबा के लाख्वी सहित कई आतंकवादी सरगनाओं की गिरफ्तारी की है । लेकिन लश्कर का चीफ हाफिज़ मोहम्मद सईद आज भी इन गिरफ्तारियों से दूर है और अपने घर से मरकज उल दावा और लश्कर के अभियान को चला रहा है । यानि हाफिज़ मोहम्मद सईद , मोलाना मसूद अजहर , दावुद इब्राहीम जैसे सरगनाओं की ओर हुकूमत झांक भी नही सकती है । यानी पाकिस्तान की सत्ता में ये अलग सत्ता है जिसपर वहां के प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति का कोई जोर नहीं चलता । जैस ऐ मोहम्मद के सरगना रशीद रौफ को पाकिस्तान की पुलिस ने लन्दन के एक आतंकवादी करवाई के मामले मे पकड़ा था । पाकिस्तान की अदालत में उसपर मुकदमें भी चले तभी वह एक दिन अदालत से गायब हो गया । बाद में पाकिस्तान की एजेन्सी से यह ख़बर आई की रशीद रौफ मारा गया । इस तरह भारत के कई वांटेड दहशतगर्द के बारे में हमें बताया जाता है कि वी मारे जा चुके हैं । लश्कर का खतरनाक कमांडर मक्की के बारे में बताया गया था कि वह मारा गया है । लेकिन मुंबई धमाके के सिलसिले में पाकिस्तान की पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया है । यानि वहां की फौज चाहे तो मुर्दा भी जिन्दा हो सकता है ।
हमें यह नही भूलना चाहिए की पाकिस्तान ने जिस दिन मुंबई हमले की जांच का खुलासा किया ठीक उसके एक दिन पहले परमाणु बोम्ब के मामले में अंतर्राष्ट्रीय स्मगलर कदीर खान को आजाद करार दिया जाता है । यानि इस मामले में पाकिस्तानी हुकूमत को अपनी एजेन्सी से समझौता करना पड़ा है । पाकिस्तान में आतंकवादियों पर करवाई फौज की मर्जी के बगैर नही चलायी जा सकती । चीन के चार लोगों को लाल मस्जिद के लोगों ने जख्मी कर के यह बता दिया था की चीन की दखलंदाजी मौलानाओं को पसंद नही है । चीन ने विरोध जताया तो परवेज मुशर्रफ़ ने लाल मस्जिद के मदरसे को आतंकवादी ट्रेनिंग कैंप घोषित कर डाला । और फौज की कारवाई में २०० से ज्यादा स्टुडेंट और कई मौलाना मारे गए । क्या भारत के लिए पाकिस्तानी फौज कोई जैनून आतंकवादी ट्रेनिंग कैंप भी बंद करा देगी ? शायद नही । पाकिस्तान के राष्ट्रपति बार बार कह रहे है की तालिबान पाकिस्तान पर कब्जा करना चाहते है । उन्हें मालूम है की तालिबान सरहदी इलाके से निकलकर इस्लामाबाद के करीब पहुच चुका है । इस्लामाबाद की इमारतों पर पोस्टर लगा कर तालिबान ने अपना मंसूबा साफ़ कर दिया है । पाकिस्तान मामले पर अम्रीका के विशेष दूत होल्ब्रूक को जल्द ही यह तय करना पड़ेगा की उन्हें पाकिस्तान में फौजी शाशन चाहिए या आवामी हुकूमत । चुनी हुई सरकार ने मुंबई हमले के बाद अपनी पकड़ ढीली कर ली है या कर दी गई है । इस हालत में अमेरिका के दवाब में पाकिस्तान की हुकूमत भले ही भारत को जांच का भरोसा दे रही हो लेकिन उसे यह मालूम है की वह कुछ भी फ़ैसला नही ले सकती । भारत् के विदेश मंत्री संसद में यह बयान दे रहे है की उन्हें पाकिस्तान के अवाम से कोई शिकायत नही है आवामी सतह पर जो रिश्ते बने है उन्हें बरक़रार रखा जाएगा । जाहिर है भारत सरकार को पाकिस्तान की ओर से कोई करवाई का भरोसा नही है , उन्हें सिर्फ़ पाकिस्तान की हुकूमत से आश्वासन चाहिए जिस से कांग्रेस पार्टी चुनावी वैतरणी पार कर जाय । क्योंकि सरकार को मालूम है की पाकिस्तान के प्रायोजित इस आतंकवाद में अब तक ४०००० से ज्यादा लोग मारे गए है । अगर यह देश अपने हजारों शहीदों को भुला सकता है तो मुंबई हमले के २०० शहीद तो ऐसे ही भुला दिए गए होंगे । मुंबई हमले को लेकर सरकार को चुनाव में ठोस मुद्दे चाहिए और विपक्षी दलों का जवाब और यह मुद्दा पाकिस्तान की हुकूमत जरूर दे देगी । इसका इशारा पाकिस्तान ने दे दिया है ।
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