बन्दूक चलाने से पहले जरा मजबूती से खड़े तो होइए


मेरे साथ बैठे ८० साल का बुजुर्ग बार बार एक खबर की ओर मेरा ध्यान आकृष्ट करा रहे थे . मेट्रो मे बैठा मै अखबार पढने मे मशगूल था .लेकिन मेरे साथ बैठे बुजुर्ग  सरदारजी मुझसे पाकिस्तान मे हुए धमाके की खबर की जानकारी चाहते थे . मैंने उन्हें बताया कि पेशावर मे हुए इस धमाके में १०० से ज्यादा लोग मारे गए है .मायूसी के साथ सरदारजी ने कहा देखना यहाँ भी यही होने वाला है . मैंने उन्हें लगभग दिलासा देते हुए बताया कि सर ऐसा हिंदुस्तान में नहीं हो सकता है .उन्होंने पुछा क्यों ? मैंने कहा यहाँ के लोग पाकिस्तान से ज्यादा सभ्य है ज्यादा पढ़े लिखे है . सबसे खास बात यह है है कि यहाँ के  समाज ने हिंसा को लगभग खारिज किया है . सरदारजी ने मुझे समझाते हुए बताया कि पाकिस्तान से ज्यादा वल्नेराब्ल समाज भारत का है यहाँ हिंसा महज एक अफवाह से फ़ैल जाती है .यहाँ हिंसा ताक़त बताती है यहाँ हिंसा ही विचारधारा को मजबूती देती है . आप बताये नक्सली ने  किस विचारधारा को लेकर जनांदोलन किया था .नक्सली का विस्तार इसलिए संभव हुआ क्योंकि उसने माओ की किताब नहीं बाटी बल्कि बन्दूक को आम आदमी के बीच सुलभ बना दिया . आज हिंसा की बदौलत नाक्साली मुल्क के १३ राज्यों में फ़ैल गए है और ६ राज्यों में उनका दबदबा है . पेशावर के तालिबानी हमले से ज्यादा सरदारजी राजधानी एक्सप्रेस को बंधक बनाये जाने से व्यथित थे .वो बताते है कि सरकार बार बार कहती है कि नक्सली हिंसा मंजूर नहीं है . सरकार कहती है कि नक्सली के खिलाफ जबरदस्त कारवाई होगी ,एयर फाॅर्स को उतरा जायेगा ,फौज भेजी जायेगी और दुसरे दिन नक्सली को बात चित के लिए ऑफर दिया जाता है . पहले कहते है कि नक्सली हिंसा छोडे तो बात होगी ,माओवादी इसे बकवास करार देते है तो सरकार  कहती है कमसेकम कुछ दिनों के लिए हिंसा तो छोड़ दो . उनका ये मानना था कि स्टेट को मजबूत दिखना चाहिए अपनी मजबूती का प्रदर्शन करना चाहिए . मैंने उन्हें रोकते हुए कहा कि भारत एक लोकतान्त्रिक मुल्क है यहाँ अपने लोगों पर ताक़त का प्रदर्शन नहीं किया जा सकता . सरदारजी का मानना था कि ऐसे सोचने वाले लोग बेईमान है . स्टेट की मजबूती लोगों के मनोवल बढाती है ,तरक्की के नए रास्ते खोलती है ,अनुशासन की इज्जत बढती है .पाकिस्तान की समस्या यही है कि वहा स्टेट विदीन स्टेट का दर्जा कई संस्थाओं ने झटक ली है . इसलिए मै कहता हूँ कि चिदम्बरम साहब बन्दूक चलाने से पहले कृपया मजबूती से खड़े तो होइए . सरदारजी अपने गंतव्य पर पहुचते ही उतर गए और मुझे सोचने के लिए कई सवाल छोड़ गए .

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
सही बात

बी एस पाबला

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