२६\११ ! दुनिया हम पर हस रही होगी तो पाकिस्तान ठहाका लगा रहा होगा
मुंबई हमले मे शामिल पकड़ा गया पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसब के ट्राइल पर हमने अबतक ३१ करोड़ रूपये खर्च किये है .इन हमलों में पाकिस्तान के स्टेट और नॉन स्टेट एक्टर के खिलाफ हमने ७ दोसिएर पाकिस्तान की हुकूमत को सौपे है . लेकिन पाकिस्तान से आज भी सबूत की मांग की जा रही है . यानि पुरे साल हम दुनिया को बताते रहे कि हमलो के आरोपियों को पाकिस्तान बचा रहा है . हमारी सरकार ने सबूत का पुलिंदा तैयार करके पूरी दुनिया को समझाने की कोशिश की है कि मुंबई हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गयी थी ,पाकिस्तान में ही दहशतगर्दों को ट्रेनिंग मिली ,पाकिस्तान से ही उन्हें भेजा गया ..लेकिन हमसे और सबूत देने की बात की जा रही है . ट्राइल कोर्ट में मौजूद अजमल आमिर कसब को लगातार हँसते देखकर जज ने डाट लगायी थी . लश्कर का यह दहशतगर्द भली भाति समझता था कि यह ट्राइल प्रोसेस अभी लम्बा चलेगा और कभी ऐसी स्थिति भी आएगी कि उसे या तो आज़ाद करा लिया जायेगा या फिर उसे मुआफ कर दिया जायेगा .
अमेरिका के ९\११ के हमले की जांच कमिटी ने माना था कि अमेरिका के ऊपर यह हमला ऍफ़ बी आई की कल्पना की चूक थी . यानि ऍफ़ बी आई यह कल्पना नहीं कर पायी थी कि यात्री विमान कभी आतंकवादियों के लिए मिसैले भी हो सकते है और इस विमान का इस्तेमाल आतंकवादी वर्ल्ड ट्रेड टावर पर धमाके के लिए कर सकते है . लेकिन अमेरिका ने अपनी गलती सुधारी और एक फुल प्रूफ सिक्यूरिटी से अपने आवाम को अहसास कराया .
लेकिन मुंबई हमले के एक साल बाद भी न तो हमने कोई गलती सुधारी है और न ही हमने अपने रबैये में कोई परिवर्तन किया . डिप्लोमासी के तहत हमने नाराज दुल्हे की तरह पाकिस्तान से बात करना बंद कर दिया है . पाकिस्तान कहता है बात करो हम कहते है आतंकवाद बंद करो . जबकि हमारी सरकार यह जानती है कि जिस हुकूमत को वो आतंकवाद ख़त्म करने की शर्त रख रहे है उनके हाथ में ऐसा कुछ भी नहीं है वो सिर्फ कागजी शेर है कमान फौज और आई एस आई के हाथ में है .
ब्लीडिंग इंडिया बाय थौसंड्स कट्स की पालिसी के तहत पिछले बीस वर्षों से पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ सीधा हमला बोल रखा है इन वर्षों में हमारे ९० हज़ार से ज्यादा लोगों की जान गयी है . पाकिस्तान के इस छदम युद्ध में हमारे १० हजार से ज्यादा जवान मारे गए है .लेकिन हरबार हमने अब और नहीं कह कर सिर्फ दुसरे हमले का ही इन्तजार किया है . यह बात पाकिस्तान भी जानता है भारत एक ऐसा सोफ्ट स्टेट है जिसके पास कारवाई करने की न तो कोई राजनितिक इच्छाशक्ति है न ही उनमे एक संप्रभु राष्ट्र का जज्वा .
९\११ के हमले के बाद अमेरिका के लोगों ने जो प्रचंड एकता का परिचय दिया था वह सरकार को एक कड़े फैसले लेने के लिए प्रेरित किया था .लोगों ने इस जखम को भरने नहीं दिया .इस हमले को भुलाने नहीं दिया . लेकिन हमने हमले का ६० घंटे का लाइव कोवेरेज पूरी दुनिया को दिखाया .सरकार और इंतजामिया की पोल खोलने में कोई कसार नहीं छोड़ी .दुनिया में शायद यह पहला आतंकवादी हमला था और पहला मिडिया कोवेरेज था जिसे पूरी दुनिया ने पूरी थ्रिल और सस्पेंस का मजा घंटो अपने घर में बैठ कर लिया . पुरे साठ घंटे सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही और यह तय नहीं कर पायी कि यह कवरेज सही थी या गलत .
मिडिया के प्रभाव का यह नतीजा था कि मुंबई जैसे शहर में भी लोग शहीदों को याद करने बहार निकले ,मोमबती जलाई गयी ,बड़ी बड़ी कसमे ली गयी .लेकिन सरकार यह जानती थी कि यह छनिक आवेश है, सरकार जानती थी कि इसे लोग ज्यादा दिनों तक याद नहीं रखेंगे . और हुआ यही पहले तो सरकार ने शिव राज पाटिल को मुक्त किया ,महाराष्ट्र के मुख्या मंत्री विलास राव देशमुख को चलता किया बाद में एन सी पी को भी आर आर पाटिल को हटाना पड़ा जो हमले के दौरान गृह मंत्री की जिम्मेवारी संभाल रहे थे . उन्हें निकम्मा समझकर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था .लेकिन महज चंद महीनो के बाद न केवल विलास राव देशमुख को प्रमोसन देकर केंद्रीय मंत्री बनाया गया बल्कि आर आर पाटिल को फिर गृह मंत्री बनाकर मुंबई और महाराष्ट्र के लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौप दी गयी है . शिव राज पाटिल गोवेर्नोर बनने की तैयारी कर रहे है . और यह इसलिए हुआ है कि सरकार यह जानती है कि इस देश में आतंकवाद कोई मुद्दा नहीं हो सकता और न ही इस देश के लोग ज्यादा दिनों तक ऐसे हमलों को याद रखते है .और यही बात पाकिस्तान भी जानता है कि इस देश की सरकार को अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए शायद ही कोई जज्बा है .
अमेरिका के ९\११ के हमले की जांच कमिटी ने माना था कि अमेरिका के ऊपर यह हमला ऍफ़ बी आई की कल्पना की चूक थी . यानि ऍफ़ बी आई यह कल्पना नहीं कर पायी थी कि यात्री विमान कभी आतंकवादियों के लिए मिसैले भी हो सकते है और इस विमान का इस्तेमाल आतंकवादी वर्ल्ड ट्रेड टावर पर धमाके के लिए कर सकते है . लेकिन अमेरिका ने अपनी गलती सुधारी और एक फुल प्रूफ सिक्यूरिटी से अपने आवाम को अहसास कराया .
लेकिन मुंबई हमले के एक साल बाद भी न तो हमने कोई गलती सुधारी है और न ही हमने अपने रबैये में कोई परिवर्तन किया . डिप्लोमासी के तहत हमने नाराज दुल्हे की तरह पाकिस्तान से बात करना बंद कर दिया है . पाकिस्तान कहता है बात करो हम कहते है आतंकवाद बंद करो . जबकि हमारी सरकार यह जानती है कि जिस हुकूमत को वो आतंकवाद ख़त्म करने की शर्त रख रहे है उनके हाथ में ऐसा कुछ भी नहीं है वो सिर्फ कागजी शेर है कमान फौज और आई एस आई के हाथ में है .
ब्लीडिंग इंडिया बाय थौसंड्स कट्स की पालिसी के तहत पिछले बीस वर्षों से पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ सीधा हमला बोल रखा है इन वर्षों में हमारे ९० हज़ार से ज्यादा लोगों की जान गयी है . पाकिस्तान के इस छदम युद्ध में हमारे १० हजार से ज्यादा जवान मारे गए है .लेकिन हरबार हमने अब और नहीं कह कर सिर्फ दुसरे हमले का ही इन्तजार किया है . यह बात पाकिस्तान भी जानता है भारत एक ऐसा सोफ्ट स्टेट है जिसके पास कारवाई करने की न तो कोई राजनितिक इच्छाशक्ति है न ही उनमे एक संप्रभु राष्ट्र का जज्वा .
९\११ के हमले के बाद अमेरिका के लोगों ने जो प्रचंड एकता का परिचय दिया था वह सरकार को एक कड़े फैसले लेने के लिए प्रेरित किया था .लोगों ने इस जखम को भरने नहीं दिया .इस हमले को भुलाने नहीं दिया . लेकिन हमने हमले का ६० घंटे का लाइव कोवेरेज पूरी दुनिया को दिखाया .सरकार और इंतजामिया की पोल खोलने में कोई कसार नहीं छोड़ी .दुनिया में शायद यह पहला आतंकवादी हमला था और पहला मिडिया कोवेरेज था जिसे पूरी दुनिया ने पूरी थ्रिल और सस्पेंस का मजा घंटो अपने घर में बैठ कर लिया . पुरे साठ घंटे सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही और यह तय नहीं कर पायी कि यह कवरेज सही थी या गलत .
मिडिया के प्रभाव का यह नतीजा था कि मुंबई जैसे शहर में भी लोग शहीदों को याद करने बहार निकले ,मोमबती जलाई गयी ,बड़ी बड़ी कसमे ली गयी .लेकिन सरकार यह जानती थी कि यह छनिक आवेश है, सरकार जानती थी कि इसे लोग ज्यादा दिनों तक याद नहीं रखेंगे . और हुआ यही पहले तो सरकार ने शिव राज पाटिल को मुक्त किया ,महाराष्ट्र के मुख्या मंत्री विलास राव देशमुख को चलता किया बाद में एन सी पी को भी आर आर पाटिल को हटाना पड़ा जो हमले के दौरान गृह मंत्री की जिम्मेवारी संभाल रहे थे . उन्हें निकम्मा समझकर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था .लेकिन महज चंद महीनो के बाद न केवल विलास राव देशमुख को प्रमोसन देकर केंद्रीय मंत्री बनाया गया बल्कि आर आर पाटिल को फिर गृह मंत्री बनाकर मुंबई और महाराष्ट्र के लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौप दी गयी है . शिव राज पाटिल गोवेर्नोर बनने की तैयारी कर रहे है . और यह इसलिए हुआ है कि सरकार यह जानती है कि इस देश में आतंकवाद कोई मुद्दा नहीं हो सकता और न ही इस देश के लोग ज्यादा दिनों तक ऐसे हमलों को याद रखते है .और यही बात पाकिस्तान भी जानता है कि इस देश की सरकार को अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए शायद ही कोई जज्बा है .
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