गाँधी हो या तेंदुलकर नाम ही काफी है


कहते है कि कुछ लोग जनम जात महान होते है .कुछ लोग अपनी मेहनत से महानता प्राप्त करते है और  कुछ लोगों पर महानता थोपी जाती है . लेकिन इन दिनों महान बनाने का जिम्मा मीडिया  ने भी ले लिया है .अपने देश के कुछ अजीब प्राणी में मै अपने आपको रखता हूँ जिसे क्रिकेट के बारे में कोई जानकारी नहीं है .लेकिन मीडिया में अर्जुन तेंदुलकर को लेकर तेज हुई चर्चा के बीच मेरी जिज्ञासा बढ़ी ये दूसरा तेंदुलकर कौन है .पता चला कि साहबजादे सचिन तेंदुलकर के पुत्र है जिन्होंने क्रिकेट की दुनिया मे कदम रखा है .मुझे लगा कि अब बाप बेटा दोनों क्रिकेट खेलेंगे इसमें इतनी बड़ी चर्चा क्यों है .अपने राजनेताओं के बच्चे साथ साथ ही तो सियासी बल्ला चमका रहे है .अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन साथ साथ फिल्मो में काम कर रहे है . बाद में पता चला कि अंडर १३ नेशनल चैम्पियन ट्राफी मे जुनिओर सचिन ने हिस्सा लिया है . लेकिन इस ट्राफी में और २१ बच्चे होंगे जो अपने अपने माँ बाप का जरूर आँखों का तारा होगा ,घर का दुलारा होगा या फिर उनके माँ बाप उन्हें यहाँ तक पहुचाने के लिए काफी पापड बेले होंगे लेकिन उन बच्चो का कोई नाम लेने वाला नहीं था .टीवी के कैमरे में ये सारे बच्चे क्यों आउट ऑफ़ फोकस थे, यह सवाल मुझे एहसास करा रहा था कि गाँधी हो या तेंदुलकर नाम ही काफी है .
केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री श्री प्रकश जायसवाल ने राहुल जी को सुपर प्रधानमंत्री बताते हुए कहा था कि  सभी मंत्रियों के कार्यों की समीक्षा राहुल जी करेंगे । प्रधानमंत्री इस समीक्षा से बाहर हैं या अन्दर इसका खुलासा मंत्री जी ने नही किया ।प्रधानमंत्री कहते है कि राहुल जी अगर उनके मंत्रिमंडल में हो तो उन्हें ज्यादा ख़ुशी होगी . यानि संवैधानिक सत्ता के ऊपर परिवार हावी है .गांधी का नाम हावी है । जीत का सारा श्रेय राहुल जी को देकर कांग्रेसी लीडरों ने यह पहले ही साफ़ कर दिया था  कि कोई इकोनोमिक्स नही , कोई पॉलिटिक्स नही सिर्फ़ परिवार ही चुनाव जितने के लिए काफ़ी है । यही वजह है कि जब सत्ता और सरकार की बात आई तो सियासी मठाधीशों ने अपने अपने परिवार को आगे किया पी ऐ संगमा को सोनिया गांधी से शिकायत है लेकिन जब उनकी बेटी को मंत्री बना दिया जाय तो फ़िर कौन सी शिकायत । करूणानिधि के लिए राजसत्ता अपना कारोबार है इसलिए बड़े बेटे अझ्हगिरी को केन्द्र की सत्ता में बैठकर छोटे बेटे स्तालिन को राज्य में सत्ता सौपने की तैयारी पुरी कर ली । अपने फारूक साहब गद गद है । राहुल जी की कृपा से बेटा उमर ने रियासत में सत्ता सिंहासन पा लिया , दामाद सचिन केन्द्र में मंत्री हो गए ,अपने गोबर गैस डिपार्टमेन्ट ही मिला तो क्या हुआ । लाल बत्ती गाड़ी और सत्ता का फाइव स्टार सुख भोगने से कौन रोक सकता है ?
यह कहानी सिर्फ़ एक दो परिवारों की नही है । कांग्रेस के कद्दावर लीडर जीतेन्द्र प्रसाद के बेटे जीतीन प्रसाद को मंत्री बनाकर पार्टी ने जीतेन्द्र प्रसाद के बफदारी का इनाम दिया । माधव राव सिंधिया नही रहे तो क्या हुआ बेटा ज्योतिरादिया तो सत्ता सँभालने लायक तो हो ही गया थे  । माधव सोलंकी के योगदान को ध्यान में रखते हुए उनके बेटे भारत भाई सोलंकी को मंत्री बनाया गया । जी के मुप्नार को कैसे भुलाया जा सकता था  उनका खानदान चलाने के लिए बेटा जी के वासन तो है । मंत्री पद के लिए इसलिए वे काबिल हक़दार थे । वसंत दादा पाटिल को महाराष्ट्र के लोग भूल गए होंगे लेकिन कांग्रेस उनका आज भी एहसानमंद है इसलिए बेटा प्रतिक पाटिल लायक हुआ तो सबसे पहले उसे देश चलाने की ही जिम्मेवारी सौपी गई ।
अमरिंदर सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री थे इसलिए अगर उनकी पत्नी  बगैर मंत्री पद पाये लोगों की सेवा कैसे कर सकती थी  । सलमान खुर्शीद साहब को तो मंत्री मंडल मे वैसे भी हक बनता है उनका पारिवारिक रिश्ता जाकिर हुसैन से लेकर खुर्शीद साहब तक रहा है । कुमारी शैलजा हरियाणा के मशहूर दलित नेता दलबीर सिंह की बेटी है ,इन्हे मंत्री पद न देना कांग्रेस की परम्परा का अपमान है । आर पी सिंह पूर्व मंत्री सी पी एन सिंह के पुत्र है ॥ मुह मे चांदी के चम्मच लेकर पैदा लेने वाले की फेहरिस्त लम्बी है अरुण यादव एम् पी के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुभाष यादव के पुत्र है तो तुषार भाई चौधरी गुजरात के कद्दावर लीडर अमर सिंह चौधरी के पुत्र है ।यानी राहुल और अर्जुन ऐसे दुर्लभ नाम नहीं है जिन्हें ही परिवार के नाम पर सत्ता और चर्चा मिलती है इनके साथ साथ और परिवार भी अपने अपने साहबजादे का बेरा पार कर लेते है .
.जाहिर है केन्द्र की सत्ता मे हर जगह अभी राहुल ही बिकेंगे । राहुल गाँधी ने अभी भले ही कुछ नही कर दिखाया हो लेकिन इस दौर में इसे लोग राहुल का चमत्कार मानते है । राहुल जी इनदिनों विश्वविद्यालयों का दौरा कर रहे है ,देश के नौजवानों को कांग्रेस के सिधान्तो से वाकीफ करा रहे है ,नौजवानों को राजनीती में आने की सलाह दे रहे है .मीडिया के जरिये राहुल का सन्देश जन जन तक पहुचाया जा रहा .मानों देश में कोई चमत्कार होने वाला है .राहुल जी संगठन बना रहे है युवा के जरिये भारत के आम लोगों के बीच उतरना चाहते है .लेकिन वे बुजुगों और गृहस्थो के बीच नहीं जाना चाहते है क्योंकि वे सवाल पूछेंगे सरकार की नाकामियों को गिनाएंगे .इसलिए राहुल जी के मीडिया मेनेजर ने  उन्हें इस झंझट से दूर रखा है .देश में बढ़ी महगाई का ठिकड़ा शरद पवार पर फोड़ा जा रहा है .सरकार की दूसरी नाकामयाबी का श्रेय दुसरे मंत्रियों पर जाएगा इसमें राहुल जी का कोई लेना देना नहीं है .इन तमाम फजीहतों से मैडम को भी अलग रखा गया है यानी ये काम के लिए नहीं सिर्फ नाम के लिए है ,चर्चा तो इन्हें हर हाल मे मिलनी है क्योंकि ये गांधी है ये तेंदुलकर है  ।

टिप्पणियाँ

vaishali ने कहा…
मै आपके बातो से कुछ हद तक सहमत हु .हा कुछ लोग इस देश में अपने पूर्वजो की विरासत के जरिये महान है । लेकिन आप सचिन तेंदुलकर के पुत्र अर्जुन के बारे में जल्दिवाजी में मिजाज भाप दिया .आपको शायद मालूम नहीं कि सचिन तेंदुलकर उम्र के इसी पराव पर रनों का अम्बार मीडिया से ओझल होकर लगा रहे थे। और इसका रिजल्ट भी मिला कि १६ साल में ही तेंदुलकर क्रिकेट कि दुनिया में स्टार बन गए।उनके स्टार सफ़र के बाद ही मीडिया कि नज़र परी। ये बात आप भी जानते है १६ के उम्र में देश के ९९.९ फीसदी लोग मेट्रिक तक पास नहीं कर पाते । .तो इसका आशय ये कतई नहीं कि अर्जुन को भी मीडिया नज़रंदाज़ कर दे और वो भी इसलिए कि वो सचिन रमेश तेंदुलकर के सुपुत्र ठहरे। ईमानदारी से एक बात तो आपको भी स्वीकार करनी ही चाहिए कि अगर आप भी इनके जगह पर हो तो आप भी अपने न्यूज़ में दुसरे कि खबर देने कि बजाये सचिन के लड़के को ही जगह देते। क्युकी ये माल बिकायु है.

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