बिहारी तो सुधर गए आप कब सुधरोगे
प्रख्यात अर्थशास्त्री श्री जगदीश भगवती ने पिछले दिनों संसद भवन के सेंट्रल हाल मे सांसदों को संवोधित करते हुए कहा कि उच्च विकास दर गरीबो के लिए भी फायदेमंद हो सकता है और गरीब जनता इसका इनाम भी देती है .बिहार मे नीतीश कुमार का आम अवाम का भारी समर्थन इसी सन्दर्भ मे देखा जा सकता है .लेकिन उच्च विकास दर का २००४ मे जब केंद्र की एन ड़ी ऐ सरकार ने इंडिया शायनिंग के नाम से नारा दिया था तो लोगों ने इसे ख़ारिज कर दिया था .लेकिन उसी एन ड़ी ऐ के बिहार शायनिंग को लोगों ने न केवल सराहा है बल्कि राज्य के तमाम राजनैतिक समीकरण भी बदल दिए है .लम्बे अरसे के बाद यह पहलीबार बिहार मे सत्तापक्ष २४३ सीटो मे २०६ सीटों पर जीत दर्ज की है ,तो एक दर्जन से ज्यादा सत्तापक्ष के उम्मीदवार महज हजार -दो हजार मतों के अंतर से पराजित हुए है
.राजनीतिक पंडितो का विश्लेषण जारी है ,लालू -रामविलास और कांग्रेस इस शर्मनाक पराजय से स्तब्ध है ,नीतीश के गुणगान मे कसीदे पढ़े जा रहे है लेकिन इस बहस मे बिहारी जनमानस ने मुल्क को जो रास्ता दिखाया है उसे आज भी अनदेखा किया जा रहा है .लगातार दो बार केंद्र की सत्ता मे आने वाली कांग्रेस को यह एहसास है कि बिहार और उत्तरप्रदेश मे बगैर जनाधार बढ़ाये वह कभी अपने दम पर केंद्र मे सरकार नही बना सकती है .बिहार मे वर्षो बाद कांग्रेस ने तमाम सीटो पर अपना उम्मीदवार उतारकार, राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी की ३० से ज्यादा चुनावी भाषण कराकर यह बताने की कोशिश की थी कि कांग्रेस अपना खोया हुआ आधार पाने के लिए बेचैन है .लेकिन लोगों ने इसे एक महज ड्रामा ही समझा ,लोग यह जान रहे थे कि अगर नीतीश को बहुमत नही मिला तो लालू -रामविलास की पार्टी की सगाई मे कांग्रेस शहनाई जरूर बजाएगी .लोग इसे राहुल गाँधी की नाकामयाबी से जोड़ते है लेकिन कांग्रेस का घटता जनाधार इस बात का संकेत भी है कि आने वाले दौर मे किसी एक पार्टी का केंद्र मे वापसी अभी मुश्किल है ,यानि राहुल गांधी के लिए अभी दिल्ली दूर है .
जिस बिहार मे बाढ़ के नाम पर हर साल २००-२५० करोड़ रूपये का घोटाला आम बात थी .कभी साडी घोटाला तो कभी अलकतरा घोटाला ,घोटाले वालों की लम्बी फौज ने चारा घोटाला को इतिहास मे धकेल दिया था .उसी बिहार मे नीतीश कुमार ने महज १५० करोड़ रुपया खर्च करके ९ लाख लड़कियों मे सायकिल बाट कर नयी पीढ़ी को सपना देखने का मौका दे दिया था .चौका बर्तन से बाहर निकलकर ग्रामीण लड़किया आज स्कूल जा रही है ,बड़े बड़े सपने देख रही है .लालू यादव ने सामाजिक न्याय के नाम पर पंद्रह साल शासन किया लेकिन गरीबो के पल्ले कुछ भी नही आया .नीतीश कुमार का न्याय के साथ विकास ने अपने अभियान मे वंचितों को खास तौर से साथ लिया.राज्य का जी डी पी गुजरात के बाद दुसरे नम्बर पर था .योजना व्यय लालू जी के दौर मे २ से ३ हजार करोड़ रूपये का था २००९-१० मे यह योजना व्यय १४,१८४ करोड़ के आंकड़े को पार कर गया था .लालू के दौर मे सडको का निर्माण ३०० कि मी की दूरी नही तय कर पायी थी लेकिन नीतीश ने पिछले पांच वर्षो मे इसकी लम्बाई ४००० कि मी पूरा कर दिया है . नए और पुराने सड़कों की बात करे तो नीतीश सरकार ने २३,६०६ कि मी सडको का निर्माण कराया है जिसपर २००० से ज्यादा पूल बनाये गए है .लालू जी का उड़नखटोला कभी बिहार मे लोकप्रिय जुमला बन गया था ,लालू जी उड़नखटोला के नाम से कांग्रेसी नेताओ के शाही अंदाज का मजाक उड़ाते थे .लेकिन वही लालू यादव अपने लिए अपने चिर परिचितों को स्थायी उड़नखटोला का इंतजाम कर दिया लेकिन गरीबो के हक मे चार कि मी सड़क भी नही बना पाए .
जातिगत और संकीर्ण मानसिकता से उपहसित बिहार मे अगर क्षेत्र बार भी देखे तो हर जगह जे डी यु -बीजेपी गठ्वंधन ने अपना परचम लहराया है .तिरहुत ,मिथिलांचल ,कोसी ,सिमांचल ,सारण .पटना .मगध ,मुंगेर हर जगह लालू का माई फ़ॉर्मूला ध्वस्त होते नजर आया ,तो हर जगह विकास के पक्ष मे अपना वोट दिया .सुधरी कानून व्यवस्था ने लोगों मे उम्मीद जगाई निवेशकों मे भरोसा पैदा किया है पिछले दो वर्षों मे ७३ प्रस्ताव खाद्य प्रसंस्करण ,३१ प्रस्ताव विद्युत् सयंत्र लगाने ,४१ प्रस्ताव तकनिकी और मेडिकल कॉलेज को लेकर तो चीनी और सीमेंट उद्योग लगाने के ४३ प्रस्ताव राज्य निवेश प्रोत्साहन बोर्ड को मिले है कुल अनुमोदित प्रस्तावों मे २२ इकाइयों का काम भी शुरू हो गया है .इसतरह पिछले वर्षों मे बिहार मे हजारो करोड़ रूपये का निवेश हुआ है .जाहिर है यह निवेश मीडिया के कैमरे के सामने नही हुआ है बल्कि इस निवेश का फायदा लोगों को मिलने लगा है .इस तरह बिहारी मतदाताओं ने हकीकत को समझा है और बिहार की आर्थिक चक्के को को पटरी पर लाने के लिए नीतीश कुमार का साथ दिया है .
बिहार मे यह बात काफी प्रचलित है कि यहाँ मुसलमानों का वोट थोक मे पड़ता है .इस बार भी पहले की तरह तमाम मुस्लिम उलेमाओ ने लालू के समर्थन मे वोट देने की अपील की थी लेकिन मुस्लिम मतदाताओं ने कहा" वोट हमरा फतवा तेरा "यानि ४० मुस्लिम निर्णायक वाली सीटों पर या तो जे डी यु के उमीदवार जीते है या फिर बीजेपी के .हाँ दो सीटों पर कांग्रेस ने अपनी जीत जरूर पक्की कर ली .इस तरह बिहार विधान सभा का हालिया चुनाव सिर्फ मध्यप्रदेश ,छत्तीसगढ़ ,गुजरात के विकासवादी फोर्मुले को आगे नही बढाया है बल्कि पुरे देश मे एक नयी राजनीतिक सोच विकसित करने का सन्देश भी दिया है .
बिहार मे विकास हो रहा है ,विकास की किरण अभी भी हर गाव हर क़स्बा मे नही पहुची है .चुनाव विश्लेषक योगेन्द्र यादव के शव्दों मे "लोगों की उम्मीद का लौट आना नीतीश सरकार की वापसी का प्रमुख कारण है ".लोगों की उम्मीद पर नीतीश कुमार कितने खड़े उतरते है यह तो वक्त बताएगा लेकिन लोगों ने नेताओं को रास्ता जरूर दिखा दिया है .
.राजनीतिक पंडितो का विश्लेषण जारी है ,लालू -रामविलास और कांग्रेस इस शर्मनाक पराजय से स्तब्ध है ,नीतीश के गुणगान मे कसीदे पढ़े जा रहे है लेकिन इस बहस मे बिहारी जनमानस ने मुल्क को जो रास्ता दिखाया है उसे आज भी अनदेखा किया जा रहा है .लगातार दो बार केंद्र की सत्ता मे आने वाली कांग्रेस को यह एहसास है कि बिहार और उत्तरप्रदेश मे बगैर जनाधार बढ़ाये वह कभी अपने दम पर केंद्र मे सरकार नही बना सकती है .बिहार मे वर्षो बाद कांग्रेस ने तमाम सीटो पर अपना उम्मीदवार उतारकार, राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी की ३० से ज्यादा चुनावी भाषण कराकर यह बताने की कोशिश की थी कि कांग्रेस अपना खोया हुआ आधार पाने के लिए बेचैन है .लेकिन लोगों ने इसे एक महज ड्रामा ही समझा ,लोग यह जान रहे थे कि अगर नीतीश को बहुमत नही मिला तो लालू -रामविलास की पार्टी की सगाई मे कांग्रेस शहनाई जरूर बजाएगी .लोग इसे राहुल गाँधी की नाकामयाबी से जोड़ते है लेकिन कांग्रेस का घटता जनाधार इस बात का संकेत भी है कि आने वाले दौर मे किसी एक पार्टी का केंद्र मे वापसी अभी मुश्किल है ,यानि राहुल गांधी के लिए अभी दिल्ली दूर है .
जिस बिहार मे बाढ़ के नाम पर हर साल २००-२५० करोड़ रूपये का घोटाला आम बात थी .कभी साडी घोटाला तो कभी अलकतरा घोटाला ,घोटाले वालों की लम्बी फौज ने चारा घोटाला को इतिहास मे धकेल दिया था .उसी बिहार मे नीतीश कुमार ने महज १५० करोड़ रुपया खर्च करके ९ लाख लड़कियों मे सायकिल बाट कर नयी पीढ़ी को सपना देखने का मौका दे दिया था .चौका बर्तन से बाहर निकलकर ग्रामीण लड़किया आज स्कूल जा रही है ,बड़े बड़े सपने देख रही है .लालू यादव ने सामाजिक न्याय के नाम पर पंद्रह साल शासन किया लेकिन गरीबो के पल्ले कुछ भी नही आया .नीतीश कुमार का न्याय के साथ विकास ने अपने अभियान मे वंचितों को खास तौर से साथ लिया.राज्य का जी डी पी गुजरात के बाद दुसरे नम्बर पर था .योजना व्यय लालू जी के दौर मे २ से ३ हजार करोड़ रूपये का था २००९-१० मे यह योजना व्यय १४,१८४ करोड़ के आंकड़े को पार कर गया था .लालू के दौर मे सडको का निर्माण ३०० कि मी की दूरी नही तय कर पायी थी लेकिन नीतीश ने पिछले पांच वर्षो मे इसकी लम्बाई ४००० कि मी पूरा कर दिया है . नए और पुराने सड़कों की बात करे तो नीतीश सरकार ने २३,६०६ कि मी सडको का निर्माण कराया है जिसपर २००० से ज्यादा पूल बनाये गए है .लालू जी का उड़नखटोला कभी बिहार मे लोकप्रिय जुमला बन गया था ,लालू जी उड़नखटोला के नाम से कांग्रेसी नेताओ के शाही अंदाज का मजाक उड़ाते थे .लेकिन वही लालू यादव अपने लिए अपने चिर परिचितों को स्थायी उड़नखटोला का इंतजाम कर दिया लेकिन गरीबो के हक मे चार कि मी सड़क भी नही बना पाए .
जातिगत और संकीर्ण मानसिकता से उपहसित बिहार मे अगर क्षेत्र बार भी देखे तो हर जगह जे डी यु -बीजेपी गठ्वंधन ने अपना परचम लहराया है .तिरहुत ,मिथिलांचल ,कोसी ,सिमांचल ,सारण .पटना .मगध ,मुंगेर हर जगह लालू का माई फ़ॉर्मूला ध्वस्त होते नजर आया ,तो हर जगह विकास के पक्ष मे अपना वोट दिया .सुधरी कानून व्यवस्था ने लोगों मे उम्मीद जगाई निवेशकों मे भरोसा पैदा किया है पिछले दो वर्षों मे ७३ प्रस्ताव खाद्य प्रसंस्करण ,३१ प्रस्ताव विद्युत् सयंत्र लगाने ,४१ प्रस्ताव तकनिकी और मेडिकल कॉलेज को लेकर तो चीनी और सीमेंट उद्योग लगाने के ४३ प्रस्ताव राज्य निवेश प्रोत्साहन बोर्ड को मिले है कुल अनुमोदित प्रस्तावों मे २२ इकाइयों का काम भी शुरू हो गया है .इसतरह पिछले वर्षों मे बिहार मे हजारो करोड़ रूपये का निवेश हुआ है .जाहिर है यह निवेश मीडिया के कैमरे के सामने नही हुआ है बल्कि इस निवेश का फायदा लोगों को मिलने लगा है .इस तरह बिहारी मतदाताओं ने हकीकत को समझा है और बिहार की आर्थिक चक्के को को पटरी पर लाने के लिए नीतीश कुमार का साथ दिया है .
बिहार मे यह बात काफी प्रचलित है कि यहाँ मुसलमानों का वोट थोक मे पड़ता है .इस बार भी पहले की तरह तमाम मुस्लिम उलेमाओ ने लालू के समर्थन मे वोट देने की अपील की थी लेकिन मुस्लिम मतदाताओं ने कहा" वोट हमरा फतवा तेरा "यानि ४० मुस्लिम निर्णायक वाली सीटों पर या तो जे डी यु के उमीदवार जीते है या फिर बीजेपी के .हाँ दो सीटों पर कांग्रेस ने अपनी जीत जरूर पक्की कर ली .इस तरह बिहार विधान सभा का हालिया चुनाव सिर्फ मध्यप्रदेश ,छत्तीसगढ़ ,गुजरात के विकासवादी फोर्मुले को आगे नही बढाया है बल्कि पुरे देश मे एक नयी राजनीतिक सोच विकसित करने का सन्देश भी दिया है .
बिहार मे विकास हो रहा है ,विकास की किरण अभी भी हर गाव हर क़स्बा मे नही पहुची है .चुनाव विश्लेषक योगेन्द्र यादव के शव्दों मे "लोगों की उम्मीद का लौट आना नीतीश सरकार की वापसी का प्रमुख कारण है ".लोगों की उम्मीद पर नीतीश कुमार कितने खड़े उतरते है यह तो वक्त बताएगा लेकिन लोगों ने नेताओं को रास्ता जरूर दिखा दिया है .
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