कानिमोझी के बाद कौन ?

२जी स्पेक्ट्रोम  मामले में करुनाधि की बेटी कानिमोझी की गिरफ़्तारी ने मौजूदा भ्रष्ट व्यवस्था के ताबूत में एक और कील ठोक दी है .१ लाख ७६ हजार करोड़ रूपये के टू जी घोटाले को लेकर बहस का दौर अभी जारी है .इस बहस में पिछले वर्षो में हुए लाखों करोडो रु के दुसरे घोटाले की चर्चा का स्वर अभी धीमा है .दर्जनों  घोटाले और भ्रष्ट घोटालेवाजो की सुनवाई उची अदालतों में हो रही है .कई महा घोटालो की सुनवाई खुद सुप्रीम कोर्ट कर रहा  है जाहिर है पूर्व केंद्रीय मंत्री डी राजा और डी एम् के सांसद कानीमोझी सहित कई आला अधिकारी नप गए  है . सवाल यह है एक क्षेत्रीय पार्टी डी एम् के का आज राजनितिक अस्तित्व संकट में है लेकिन इन तमाम घोटाले में बराबर का हिस्सेदार रही कांग्रेस एक के बाद एक जीत का जश्न मनाने में व्यस्त है .सुरेश कलमाड़ी को छोड़कर अन्य किसी बड़ी मछली पर अभी हाथ डालने की हिम्मत सरकारी एजेंसी नहीं दिखा रही है .
बीस साल पहले महज ९०० करोड़ के चारा घोटाले के कारण लालू यादव को जेल की हवा खानी पड़ी थी .लालू जी ने इसे राजनितिक साजिश करार दिया था .ये अलग बात है की कांग्रेस को साथ लेकर उन्होंने १५ साल तक बिहार अपनी सत्ता बरकरार रखी.मौजूदा दौर में लालू घोटाले के कारण हाशिये पर नहीं गए है बल्कि नीतिश कुमार ने उनका जातीय समीकरण गड़बड़ा दिया है .राजनितिक विश्लेषक तमिलनाडु में डी एम् के की महा दुर्गति के लिए टू जी घोटाले को जिम्मेदार मानते है लेकिन सवाल यह है दर्जनों घोटाले के कारण सुर्ख़ियों में रहने वाले असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगई दुबारा क्यों प्रचंड बहुमत से सत्ता में आये है .केरल के अच्युतानद हो या बंगाल के बुद्धदेव  घोटाले के कारण वे सुर्खियों में कभी नहीं आये लेकिन अवाम   की अदालत में वे दोषी करार दिए गए .सी बी आई के फंदे से अभी भी मुलायम सिंह यादव और मायावती जी बहार नहीं हुए है .केंद्र की राजनितिक सहूलियत के आधार पर सी बी आई इनके केस की मेरिट तय करती है .हालाँकि इनका मामला भी सुप्रीम कोर्ट में है लेकिन कोतवाल अपना हो तो डर काहेका .क्षेत्रीय पार्टिया अक्सर घोटाले को लेकर कलंकित हुई है घोटाला इनकी मजबूरी है पार्टी चलानी है तो पैसा चाहिए, ये पैसा इन्हें उद्योगपतियों से मिलने वाला नहीं है सो बिहार में चारा घोटाला होता है ,तो यु पी में रासन घोटाला तो कही जमीन घोटाला तो कही साडी घोटाला .यानी आमलोगों के हिस्से का सबसे ज्यादा हक खा जाने वाले लोग ही आम लोगों के नेता होने का दावा करते है .लेकिन सवाल यह है की इन क्षेत्रीय दलों के घोटाले ही सुर्ख़ियों में क्यों आते है ?तो क्या क्षेत्रीय दलों के संगठन का आधार ही लूट -खसोट के फलसफे पर आधारित है ?
समाज सेवी अन्ना हजारे कहते है की अगर वे आज की तारीख में चुनाव लड़े तो उनका जमानत जप्त होना तय है .भ्रष्टाचार के खिलाफ पुरे देश में एक बुलंद आवाज लगाने वाला अन्ना चुनावी भ्रष्टाचार से इतना आशंकित है कि वह कोई चुनाव लड़ने का हिम्मत नहीं दिखा पा रहा है .लेकिन राजनितिक पंडित अन्ना की बात को गलत साबित करते है .(यह जानते हुए भी कि पिछले वर्षो में सांसद से लेकर विधायक बनने वालों की सूचि में करोडपति सबसे ज्यादा है )इनका तर्क है कि तमिलनाडु के हालिया चुनाव में सबसे ज्यादा पैसे बाटे गए .इक्का दुक्का छापे में चुनाव अधिकारीयों ने ८० करोड़ रु जब्त किये थे .लेकिन पैसे का यह खेल कामयाब नहीं हो सका और लोगों ने करूणानिधि को भारी शिकस्त दी .तो क्या माना जाय कि चुनावी सियासत में पैसे का यह खेल ख़तम हो गया है .चुनावी सियासत में पैसा का यह खेल तबतक ख़तम नहीं होगा जबतक देश की राष्ट्रीय पार्टिया अपने गिरेबान में न झांके .वीकी लीक के खुलासे में कांग्रेस के पूर्व मंत्री अपने वर्तमान मंत्री के बारे में यह खुलासा करता है कि उनका अमुक मंत्री आज किसी को जेट हवाई जहाज भी किसी को गिफ्ट देने की स्थित में है .भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपनी सफाई देते हुए प्रधानमंत्री अगर यह कहते है यह गठ्वंधन सरकार की मजबूरी है और कांग्रेस इसमें बेदाग है तो गठबंधन सरकार आज कानीमोझी की गिरफ़्तारी पर कानून की दुहाई क्यों दे रही है .कांग्रेस की बड़ी शख्शियत की गिरफ़्तारी क्यों नहीं हो रही है .२०११ में कानिमोझी आज सलाखों के पीछे है तो २०१४ में कांग्रेस के भी कई बड़े चेहरे इन्ही फेहरिस्त में होंगे .न्यायलय पर लोगों का भरोसा आज भी कायम है तो लोग वोट की कीमत भी जानते है .

टिप्पणियाँ

Shambhu Thakur ने कहा…
My reaction is in this poem to the extent it is applicable:

देवताओं की दिक्कतें

देवताओं को भी खून बहता है
श्याम-रक्त, नीले-नीले धमनियों से
अशरीर देवता, सुन्दर वस्त्रों में सजे देवता
सुगन्धित मालाओं में घिरे देवता
प्रभुत्व वाला, अमृत में नहाये देवताओं -
को भी आजकल खुजली होती है I
देवताओं को भी चाहिए
एक घर, आकाश, पानी, मिटटी और दवाइयां
पंचभूत से परे देवताओं को चाहिए
खुश होने की सारी सुविधाएँ
भावना से थोडा अधिक और प्यार से थोडा कम I
देवता इंसान से आजकल बहुत कुछ सीख रहा है
उन्हें भी चाहिए उर्जा का अक्षय स्रोत
अतः देवताओं ने आवेदन कर दिया है
कि उन्हें भी परमाणु करार में एक पक्षकार बनाया जाए I
देवताओं को अब दीपक की रोशनी
पुरानी और दकियानूसी बिचारों वाली लगने लगी है
अतः बिजली की जरुरत पर एक बृहद रिपोर्ट तैयार कर ली गयी है I
देवता एसी एवं टीवी का आदी हो गया है
उन्हें भी ग्लोबल वार्मिंग परेशान करने लगा है
और उसे भी चाहिए तीनो लोकों की खबरें
खासकर नारद जब अब बूढ़े हो शिथिल हो गए हैं I
देवताओं को धुप बत्ती तथा चन्दन से उबन होने लगी है
उसे भी पसीना बहता है और धुंए से जी घुटने लगता है
देवताओं के चंवर डुलाने वाले अनिश्चित कालीन हरताल पे हैं
उन्हें पदोन्नति चाहिए तथा साप्ताहिक अवकाश I
परियां देवताओं से मुंह चिढाये बैठी हैं, और
महिला आयोग समान अधिकार के नारे लगाती जब तब-
उनके मोहल्ले में दिखाई दे जाती हैं, और तो और
देवताओं के चूल्हे चौके भी बंद हैं , उनकी पत्नियाँ-
तलाक के कागज तैयार कर कोर्ट जाने की तैयारी कर बैठी हैं I
अभी तक देवताओं के पास जमींन नहीं है
अतः उसके अधिग्रहण का डर भी नहीं है, और
वहां भट्टा-परसौल जैसा कोई गाँव भी नही है
वैसे देवताओं को भी चाहिए अधेर उम्र का एक नौजवान नेता
जो जब चाहे प्रधान मंत्री बन जाये I
देवताओं को न तो अन्ना हजारे की जरुरत पड़ेगी
और न ही उन्हें बाबा राम देव ही चाहिए
उन्हें लोकपाल विधेयक और काले धन की वापसी भी नहीं चाहिए I
योगा सिखाने वाले कई बड़े और बाबा रामदेव जैसे ही निपुण-
योग ऋषि वहां आते जाते रहते हैं I
देवताओं को कलमाडी और राजा से भी परहेज है
पर देवताओं को कनिमोड़ी चाहिए
क्योंकि उनमें से कई देवताओं को मंत्री बनने की काफी इच्छा है I
आजकल देवता गण भी मंहगाई से बुरी तरह त्रस्त हैं
पर उन्हें पूरी आशा है कि
चूँकि उनके प्रधान मंत्री अर्थ शास्त्री नहीं हैं, अतएव
अगले तीन वर्षों में आम चुनाव से पूर्व
मंहगाई पे काबू पा लिया जायेगा I
देवताओं को आजकल आतंकवाद का डर भी सताने लगा है
ओसामा अब पाकिस्तान से समंदर होते हुए
वहां देवलोक में एक अज्ञात किला बनवा रहा है, तथा
विगत के कुछ वर्षों में काफी सारे आतंकवादी भी वहां पहुंचे हैं
परन्तु देवता गण एक बात से काफी खुश हैं, कि
भारत में पकडे गए आतंकवादी
चाहे वो अफजल हों या कसाब-
अभी भारत सरकार की बनाई कतार में लगे हैं, और
उन्हें सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि
दो आम चुनावों से पहले इन आतंकवादियों के -
स्वर्ग पहुँचने के आसार न के बराबर है I
देवता गण और भी बहुत कुछ सोच रहे हैं
सचमुच उन्हें बहुत परेशानियाँ झेलनी पड़ रहीं हैं
फिर भी एक बात से वे आश्वस्त हैं कि
वहां कभी कोई दंगा नहीं भड़केगा, और
उन्हें ऐसा कोई कानून भी नहीं चाहिए , कि
जिससे दंगाई चाहे कोई भी हों
परन्तु उसकी जिम्मेदारी सिर्फ हिन्दुओं पर थोपी जाये
क्योंकि वहां कोई मजहब नहीं है
और वोट की राजनीति भी नहीं है I

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