यह सियासी ड्रामा किसके लिए है

भारत पाकिस्तान के रिश्ते पर जमे बर्फ को पिघलाने की कोशिश एक बार फिर तेज हुई है .मुंबई हमले के बाद ठप्प पड़े बातचीत की पहल को मजबूती दी जा रही है .कश्मीर से लेकर आतंकवाद तक सारे मुद्दे पर खुलकर बहस हो रही है .लेकिन यहाँ यह सवाल उठाना लाजिमी है कि कौन है ये लोग जो भारत पाकिस्तान के बीच जटिल मसले को चुटकी बजा कर हल करना चाहते है .पाकिस्तान के मोहम्मद अकरम कहते है "नेहरु गए ,जिन्ना गए ,इंदिरा गयी ,बेनजीर गयी ,वाजपेयी साहब आये लेकिन मसला वही का वही है ,क्या पाकिस्तान के यही अफलातून इस मुद्दे को सुलझाएंगे ,जिनपर अवाम का एतमाद नहीं है .हुकूमत यहाँ कौन चला रहा है यह पाकिस्तानी अवाम को भी नहीं मालूम है क्या इंडिया को नहीं पता कि वजीरे आजम युसूफ रजा गिलानी की यहाँ क्या हैसियत  है ."

भारत को पाकिस्तानी हुकुमरानो की भले ही हैसियत पता नहीं हो लेकिन अमेरिका को उनकी हैसियत मालूम है ,सो पाकिस्तान को भरोसा में लिए बगैर अमेरिका ने दुनिया के सबसे खतरनाक दहशतगर्द ओसामा बिन लादेन को मार डाला .पाकिस्तानी फौज के सुरक्षित पनाहगाह में घुसकर अमेरिका की यह करवाई इस सच को दुनिया के सामने ला दिया था कि पाकिस्तान एक बिखरा हुआ मुल्क है जिसे अलग पॉवर सेंटर ने अपने बीच बाट लिया है .वहां कहने के लिए अवाम की चुनी हुई सरकार है जिसका मुखिया गिलानी है ,वहा संवैधानिक सत्ता के मुखिया सद्र जरदारी है .लेकिन फौज वहां आर्मी ऑफ़ द पीपुल है तो आई एस आई को स्टेट विदीन स्टेट का दर्जा हासिल है .सचिव स्तर के मौसेदे में आतंकवाद ,सियाचिन ,सिर्क्रिक जैसे मुद्दे पहले से तय थे लेकिन पाकिस्तानी फौज को खुश करने के लिए इस चर्चा में कश्मीर को भी जोड़ा गया .यानी पाकिस्तानी फौज मसले कश्मीर पर अपने को सबसे बड़ा पैरोकार मानती है .आवामी मसले और सियासी मसले से उनका कोई सरोकार नहीं है जाहिर है उनकी रूचि सिर्फ कश्मीर में है .एक गरीब मुल्क के १९ फिसद बजट को वहां की फौज चट कर जाती है सिर्फ इसलिए कि वह पाकिस्तान के अवाम को यह बताने में कामयाब रही है कि पाकिस्तान को सबसे बड़ा खतरा भारत से है और इस खतरे से निपटने की पूरी गारंटी सिर्फ पाकिस्तानी फौज ही दे सकती है .६4 साल के पाकिस्तान में लगभग ४८ साल तक वहां की फौज ने हुकूमत की बागडोर अपने हाथ में रखी है .इस दौर में जेनरल कियानी ने तीन साल का एक्सटेंसन लेकर एक तरह से वहां साइलेंट कूप का ही संकेत दिया है .
ब्लीडिंग इंडिया बाय थोसेंड्स कट्स की पालिसी पर पाकिस्तान आज भी कायम है ,क्योंकि उसे पता है कि मुंबई हमले होने के बाद भी आज न कल भारत एकबार फिर बातचीत की पहल करेगा .पिछले २० वर्षों में हमने विभिन्न आतंकवादी हमले में १.५० लाख से ज्यादा लोगों को खोया है लेकिन हर बार बातचीत की पहल में आगे बढ़कर दोस्ती का हाथ बढ़ाते है .पाकिस्तानी फौज ,आई एस आई और आतंकवादी संगठन को लेकर हमने दुनिया भर में चर्चा की है लेकिन आजतक किसी ने हमारी चिंता पर कोई पहल नहीं की है .अमेरिका खुद अफगानिस्तान में फसा हुआ है तो उसे इसकी कुंजी आई एस आई और फौज के हाथ मिलती है .अमेरिका आज कियानी और पासा से सीधा संवाद बना रहा है .मुंबई हमले के आरोपी हेडली और राणा के खुलासे के बावजूद अमेरिका आई एस आई ऑफिसर मेज इकबाल और दुसरे फौजी ऑफिसर को बचाने में लगा है .अमेरिका यह जनता है कि उससे अरबो डालर लेकर भी पाकिस्तानी फौज गद्दारी कर रही है लेकिन फिर भी अमेरिका फौज से अपना संवाद तोड़ नहीं सका है .लेकिन हम अमेरिका से यह उम्मीद करते है कि हमारी पैरवी वह पाकिस्तानी फौज से करे .
संसद पर हमले के बावजूद वाजपेयी ने जनरल मुशरफ  से बातचीत की पहल की थी .दुनिया ने उन्हें दशक का सबसे काबिल राजनीतिज्ञ मना था .वाजपेयी के राजनैयिक प्रतिभा को पाकिस्तानी अवाम ने खास तौर से सराहा था .वाजपेयी जंग नहीं चाहते थे ,जंग शायद पाकिस्तानी अवाम  भी नहीं चाहते . मौजूदा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जंग जैसी फालतू चीजो से परहेज करते हुए पाकिस्तान की इकोनोमी में अपना सहयोग देना चाहते है  .उनका दर्शन है आर्थिक रूप से मजबूत पाकिस्तान भारत के पक्ष में है .आज पाकिस्तान की जी  डी पी में सबसे ज्यादा योगदान विदेशी मुल्कों का ही है .जो उसे आतंकवाद के खिलाफ जंग के नाम पर मिल रहा है .इस हालत में क्या हम पाकिस्तान से यह उम्मीद करसकते  है कि वह आतंकवाद से मुहं मोड़ लेगा .क्या हम वहां की हुकूमत से यह उम्मीद कर सकते है कि उसकी फौज और आई एस आई दूसरा मुंबई जैसे हमले नहीं कराएगी .अगर पाकिस्तान की हुकूमत ऐसी कोई गारंटी नहीं दे सकती है तो सलमान बशीर और निरुपमा राव की बातचीत से बेहतर है जनरल बी के सिंह और जनरल कियानी के बीच ही सीधी बात हो .


टिप्पणियाँ

Shambhu Thakur ने कहा…
मेरे देश के वीर जवानों
दुर्योधन को पहचानों
लक्ष्यागृह में सोये हो
खुद को महफूज न मानो !

शकुनी का चाल पड़ा है
गंगा सुत मूक खड़ा है
ध्रितराष्ट्र ने कनखी मारा
युवराज कुटिल पहचानो !

है पार्थ बेबस बेचारा
गांडीव आज है हारा
चीरहरण रोज होता है
दुहशासन को पहचानो !

है शांति दूत बंधन में
कौन्तेय छुपा क्रंदन में
भोला है भीम भटकता
असुरों का असर है जानो !

चलना भी पड़े अकेला
लड़ना भी पड़े अकेला
तब भी प्रण प्राण में पाले
बढ़ चलो विजय क्षण मानो !

मेरे देश के वीर जवानों
दुर्योधन को पहचानों
लक्ष्यागृह में सोये हो
खुद को महफूज न मानो !

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

हिंदू आतंकवाद, इस्लामिक आतंकवाद और देश की सियासत

हिंदुत्व कभी हारता क्यों नहीं है !

अयोध्या ; लोग आए तो राम भी आए हैं