सावधान आप उत्तर -प्रदेश में है !
जात न पूछो साधू से ,यानी सज्जन ,सुशील और विनम्र लोगों की कोई जात नहीं होती .लेकिन अपने उत्तर प्रदेश में जात न केवल सामाजिक पहचान से जुडी हुई है ,बल्कि यह व्यक्ति को सत्ता पर काबिज होने का अनोखा नुस्खा भी देती है साथ ही समाज में दबंगई का प्रमाणपत्र भी .जीत हर कीमत के शर्त पर उत्तर प्रदेश में संघर्षरत बीजेपी को यह बात आखिर में समझ आई कि चौथे नंबर के लिए भी उसे जात समीकरण बनाने होंगे .भ्रष्टाचार और लोकपाल के मुद्दे पर अलग -थलग पड़ी कांग्रेस से लोगों का मोहभंग होने लगा था और लोग बीजेपी को विकल्प मानने लगे थे .लेकिन उत्तर प्रदेश में बसपा के निष्कासित महारथियों को गले लगाकर पार्टी ने यह एहसास करा दिया है कि नैतिकता और सचरित्र की बात बौधिक बहस की बात तो हो सकती है लेकिन चुनाव जितने के कारगर उपाय नहीं हो सकते .यही वजह है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव में पार्टी ने चाल, चरित्र और चेहरा पूरी तरह से बदल लिया है .
सपा से निष्कासित सांसद राज बब्बर ने २००३ में यह नारा दिया था "जिस गाड़ी में सपा का झंडा ,उस गाडी में है मुलायम का गुंडा ".मायावती ने इसका विस्तार देते हुए पिछले चुनाव में नारा दिया "चढ़ गुंडों की छाती पर ,बटन दबेगा हाथी पर ".भय मुक्त समाज का ,सर्वजन समाज का नारा देकर मायावती प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई .लेकिन जातीय दबंगों का बोलबाला जारी रहा .शासन और सत्ता को ढाल बनाकर दबंगों ने अपना लूट -पाट जारी रखा .एकबार फिर उन्ही दबंगों और जातियों के समीकरण बैठकर हर पार्टी सत्ता की कुंजी अपने हाथ करने को उत्साहित है .
बसपा हो या सपा या फिर कांग्रेस को हर पार्टी को पता है कि बगैर ठोस मुद्दे के अपने बूते सरकार बनाना नामुमकिन है .यही वजह है कि मुलायम सिंह कांग्रेस से एक कदम दुरी रखकर वही सेकुलर राजनीती का दंभ भर रही है तो कांग्रेस के पास यह सेकुलर मुद्दा उसका कोपीराईट है . केंद्र में .कांग्रेस को पार्टी का समर्थन जारी रहेगा यह बात सपा के सर्वे सर्वा मुलायम सिंह कहरहे है .लेकिन पार्टी के दुसरे नंबर के शीर्ष नेता अखिलेश यादव हर सभा में राहुल को जमकर मजम्मत कर रहे है .उधर बसपा ने भी केंद्र में कांग्रेस को अपना समर्थन जारी रखा है लेकिन उत्तर -प्रदेश में कांग्रेस को अपना दुश्मन नंबर वन बता रही है .यह हालत वी पी सिंह और बीजेपी के बीच गुप्त चुनावी समझोता की याद दिलाती है .वी पी सिंह ने अपने को सेकुलर बताने के लिए बीजेपी को अपनी चुनावी सभावों से दूर रखा यहाँ तक की मथुरा के एक चुनावी मंच पर वी पी सिंह चढ़ने से इसलिए मना कर दिया था क्योंकि उस मंच पर कुछ झंडे बीजेपी के लगे थे .लेकिन पुरे प्रदेश में बीजेपी के साथ जनता दल का शीट शेयरिंग समझोते के तहत हुआ था .
यानी यह सेकुलर दिखने की कवायद उत्तर -प्रदेश में सिर्फ मुसलमानों के २० फिसद वोट को लेकर है .कांग्रेस हो या सपा या फिर बसपा अपने जातीय समीकरण को मुसलमान के साथ मिलाकर सत्ता पर काविज होने का आसन फ़ॉर्मूला ढूंढ़ती है .बिहार के नीतीश कुमार कुमार के फोर्मुले को अपनाकर राहुल गांधी की टीम ने पहले मायावती के दलित से महादलित को अलग करने की कोशिश की है .यानी १४ फिसद दलित वोट से मायावती के ८ फिसद जाटव को अलग थलग करने की कोशिश है .स्मरण हो कि इन्ही महादलितो के घर रात्रि विश्राम कर कंद मूल खाकर राहुल ने पिछले वर्षो में शबुरी को उपकृत किया है आज पार्टी उनसे उसकी कीमत मांग रही है .पार्टी को यह पक्का यकीन है कि ६ फिसद महादलित ,८ फिसद अतिपिछडा,पिछड़ा मुस्लिम तबका और बीजेपी से वापस आ चुके सवर्णों के वोट से पार्टी अपना १०-१२ फिसद वोट के कलंक को धो सकती है .जाहिर है अगर उत्तर -प्रदेश में पार्टी ने अपना वोट प्रतिशत बढ़ा लिया तो न केवल प्रदेश की सत्ता की चावी कांग्रेस के पास होगी बल्कि केंद्र के अगले चुनाव में उसकी बढ़त बरक़रार रहेगी .८७ रिजर्व सीट पर अपनी पुरानी दावेदारी वापस लाने के लिए राहुल ने पी एल पुनिया और अशोक तोमर को लगाया है तो बीजेपी और सपा से अलग हुई कुर्मी -लोध को अपने पाले में लाने के लिए अपने बूढ़े शेर वेणी प्रसाद को लगाया है .इसी अति पिछड़ा समूह को अपने पाले में लाने के लिए बीजेपी आज शिव का रूप धारण कर बाबू सिंह कुशवाहा और दुसरे दागी साबिक मंत्रियो का साथ ले रही है .
लेकिन सबसे दुखद पहलु इन चुनावो में अन्ना टीम और इंडिया अगेंस्ट करप्सन को हासिये पर चले जाना है .अन्ना बीमार है और उनकी टीम मायूसी में मर्सिया पढ़ रही है पांच राज्यों के .चुनावो में सक्रिय भूमिका निभाने का एलान करके आज अन्ना की टीम लोगों से सलाह मांग रही है तो यह मना जाएगा कि यह आन्दोलन अभी भी जनमानस के बीच अपना संपर्क नहीं बना पाया है .एक अन्ना के बीमार होने से अगर यह टीम आज सकते में है तो इसे दूसरी सम्पूर्ण क्रांति क्रांति कहना बेमानी होगी .अन्ना की टीम यह भली भाति जानती है कि उत्तर -प्रदेश के जातीय दंगल में उनका जनलोकपाल चूं चू का मुरब्बा ही साबित होने वाला है .भ्रष्टाचारियो की जमात जात का ढाल ओढ़कर अन्ना टीम के तमाम नारे को यहाँ निष्क्रिय कर सकती है .यही वजह है कि अन्ना से पहले किरण बेदी यह घोषणा कर रही है कि चुनाव प्रचार में उनकी कोई भूमिका नहीं होगी .सावधान आप उत्तर -प्रदेश में है !
सपा से निष्कासित सांसद राज बब्बर ने २००३ में यह नारा दिया था "जिस गाड़ी में सपा का झंडा ,उस गाडी में है मुलायम का गुंडा ".मायावती ने इसका विस्तार देते हुए पिछले चुनाव में नारा दिया "चढ़ गुंडों की छाती पर ,बटन दबेगा हाथी पर ".भय मुक्त समाज का ,सर्वजन समाज का नारा देकर मायावती प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई .लेकिन जातीय दबंगों का बोलबाला जारी रहा .शासन और सत्ता को ढाल बनाकर दबंगों ने अपना लूट -पाट जारी रखा .एकबार फिर उन्ही दबंगों और जातियों के समीकरण बैठकर हर पार्टी सत्ता की कुंजी अपने हाथ करने को उत्साहित है .
बसपा हो या सपा या फिर कांग्रेस को हर पार्टी को पता है कि बगैर ठोस मुद्दे के अपने बूते सरकार बनाना नामुमकिन है .यही वजह है कि मुलायम सिंह कांग्रेस से एक कदम दुरी रखकर वही सेकुलर राजनीती का दंभ भर रही है तो कांग्रेस के पास यह सेकुलर मुद्दा उसका कोपीराईट है . केंद्र में .कांग्रेस को पार्टी का समर्थन जारी रहेगा यह बात सपा के सर्वे सर्वा मुलायम सिंह कहरहे है .लेकिन पार्टी के दुसरे नंबर के शीर्ष नेता अखिलेश यादव हर सभा में राहुल को जमकर मजम्मत कर रहे है .उधर बसपा ने भी केंद्र में कांग्रेस को अपना समर्थन जारी रखा है लेकिन उत्तर -प्रदेश में कांग्रेस को अपना दुश्मन नंबर वन बता रही है .यह हालत वी पी सिंह और बीजेपी के बीच गुप्त चुनावी समझोता की याद दिलाती है .वी पी सिंह ने अपने को सेकुलर बताने के लिए बीजेपी को अपनी चुनावी सभावों से दूर रखा यहाँ तक की मथुरा के एक चुनावी मंच पर वी पी सिंह चढ़ने से इसलिए मना कर दिया था क्योंकि उस मंच पर कुछ झंडे बीजेपी के लगे थे .लेकिन पुरे प्रदेश में बीजेपी के साथ जनता दल का शीट शेयरिंग समझोते के तहत हुआ था .
यानी यह सेकुलर दिखने की कवायद उत्तर -प्रदेश में सिर्फ मुसलमानों के २० फिसद वोट को लेकर है .कांग्रेस हो या सपा या फिर बसपा अपने जातीय समीकरण को मुसलमान के साथ मिलाकर सत्ता पर काविज होने का आसन फ़ॉर्मूला ढूंढ़ती है .बिहार के नीतीश कुमार कुमार के फोर्मुले को अपनाकर राहुल गांधी की टीम ने पहले मायावती के दलित से महादलित को अलग करने की कोशिश की है .यानी १४ फिसद दलित वोट से मायावती के ८ फिसद जाटव को अलग थलग करने की कोशिश है .स्मरण हो कि इन्ही महादलितो के घर रात्रि विश्राम कर कंद मूल खाकर राहुल ने पिछले वर्षो में शबुरी को उपकृत किया है आज पार्टी उनसे उसकी कीमत मांग रही है .पार्टी को यह पक्का यकीन है कि ६ फिसद महादलित ,८ फिसद अतिपिछडा,पिछड़ा मुस्लिम तबका और बीजेपी से वापस आ चुके सवर्णों के वोट से पार्टी अपना १०-१२ फिसद वोट के कलंक को धो सकती है .जाहिर है अगर उत्तर -प्रदेश में पार्टी ने अपना वोट प्रतिशत बढ़ा लिया तो न केवल प्रदेश की सत्ता की चावी कांग्रेस के पास होगी बल्कि केंद्र के अगले चुनाव में उसकी बढ़त बरक़रार रहेगी .८७ रिजर्व सीट पर अपनी पुरानी दावेदारी वापस लाने के लिए राहुल ने पी एल पुनिया और अशोक तोमर को लगाया है तो बीजेपी और सपा से अलग हुई कुर्मी -लोध को अपने पाले में लाने के लिए अपने बूढ़े शेर वेणी प्रसाद को लगाया है .इसी अति पिछड़ा समूह को अपने पाले में लाने के लिए बीजेपी आज शिव का रूप धारण कर बाबू सिंह कुशवाहा और दुसरे दागी साबिक मंत्रियो का साथ ले रही है .
लेकिन सबसे दुखद पहलु इन चुनावो में अन्ना टीम और इंडिया अगेंस्ट करप्सन को हासिये पर चले जाना है .अन्ना बीमार है और उनकी टीम मायूसी में मर्सिया पढ़ रही है पांच राज्यों के .चुनावो में सक्रिय भूमिका निभाने का एलान करके आज अन्ना की टीम लोगों से सलाह मांग रही है तो यह मना जाएगा कि यह आन्दोलन अभी भी जनमानस के बीच अपना संपर्क नहीं बना पाया है .एक अन्ना के बीमार होने से अगर यह टीम आज सकते में है तो इसे दूसरी सम्पूर्ण क्रांति क्रांति कहना बेमानी होगी .अन्ना की टीम यह भली भाति जानती है कि उत्तर -प्रदेश के जातीय दंगल में उनका जनलोकपाल चूं चू का मुरब्बा ही साबित होने वाला है .भ्रष्टाचारियो की जमात जात का ढाल ओढ़कर अन्ना टीम के तमाम नारे को यहाँ निष्क्रिय कर सकती है .यही वजह है कि अन्ना से पहले किरण बेदी यह घोषणा कर रही है कि चुनाव प्रचार में उनकी कोई भूमिका नहीं होगी .सावधान आप उत्तर -प्रदेश में है !
टिप्पणियाँ