"कश्मीर में लालच की बाढ़ "
कहा जाता है कि पिछले साठ वर्षों में ऐसी बाढ़ कश्मीर में नहीं आई थी। जम्मू कश्मीर से दूर बैठे टीवी देख रहे लोगों को यह यकीन नहीं हो रहा था कि बाढ़ का यह दृश्य जम्मू कश्मीर का है या फिर बिहार का। सरकारी आंकड़े १६० लोगों की मौत और १५०० सौ से ज्यादा गाँव प्रभावित होने की पुष्टि करता है जबकि बतया जाता है कि वादी में ३९० गाँव पूरी तरह से जलमग्न है। राजधानी श्रीनगर में घरों के दरवाजे पर दस्तक देकर पानी ने प्रलय का संकेत दे दिया है। बिहार में बाढ़ की विभिषिका केंद्र और राज्यफ्लड
सरकारों के ढुल मूल रवैये से पैदा हुई है जबकि कश्मीर में यह जल प्रलय लोगों की लालच और भ्रष्ट तंत्र के बीच अनैतिक संबंधों को रेखांकित करता है।
गृहमंत्री के बाद प्रधान मंत्री का जम्मू -कश्मीर में बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा केंद्र सरकार की जिम्मेदारी का एहसास जरूर करता है। लेकिन बाढ़ की इस विभीषिका के बीच देश के लाखों कर दाताओं को केंद्र से यह सवाल पूछने का हक़ जरूर बनता है कि पिछले वर्षों में वूलर और डल लेक से एन्क्रोअचमेंट हटाने और उसे गहरा करने का प्रोजेक्ट का क्या हुआ ?
एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक श्रीनगर,बारामुला और बांदीपूरा के ५००० से ज्यादा वेटलैंड वेटलैंड पर लोगों ने गैर कानूनी तौर पर कब्ज़ा कर लिया है। वादी के मुक्तलिफ़ पुलिस स्टेशन में ५०० से ज्यादा ऍफ़ आई आर सरकारी अमलों ने दर्ज करायी थी लेकिन कभी करवाई नहीं हुई।
फ्लड बेसिन में लगातार भवन निर्माण ने पानी के कुदरती चानेल को बंद कर दिया है।
करोडो रूपये के बजट वाले पी एच डी महकमे का हाल यह है कि पिछले वर्षों में उसके नाक के नीचे श्रीनगर डेवलपमेंट अथॉरिटी खुल्लम खुल्ला जमीन का सौदा करती रही, आलम यह है की लसजन से बेमिना और नौगाम से पीरबाग़ तक का बेसिन फ्लड कंट्रोल का अहम चैनल था। आज यहाँ बड़े बड़े शॉपिंग काम्प्लेक्स और आलिशान घर बन गए।
हर साल बाँध के रख -रखाव और कुदरती फ्लड चैनल को गहरा करने के नाम पर करोडो रूपये खर्च होते है लेकिन जमीं पर एक छटाक मिटटी नहीं डाली जाती। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और साबिक फ्लड कंट्रोल मंत्री अपने ही कांग्रेस मंत्री शाम लाल शर्मा पर लूट का आरोप लगाते हैं। वह यह भी सवाल उठाते हैं कि उनके विभाग बदलने के पीछे भी एक साजिश थी। यानी भ्रष्टाचार के बोलबाला के बीच सरकार चलती रही और लोगों की लालच ने कुदरत के तमाम धरोहरो पर जैम कर लूट पाट की। लेकिन यह पूछने वाला कोई नहीं था कि करोडो की इस लूट के लिए जिम्मेदार कौन है
सवाल यह कि एनवॉयरनमेंट को लेकर बड़ी सियासत करने वाले लोग कश्मीर में यात्राओं पर प्रतिबन्ध लगाते हैं। अमरनाथ गुफा में अस्थायी शेड को वातावरण और धारा ३७० से से जोड़ते हैं। लेकिन दुनिया के सबसे बड़ी वुल्लर लेक को किसने लूटा? किसने सैकड़ों किलो मी डल लेक को महज कुछ किलो मीटर का शकल दे दिया? किसने पहाड़ों की हरियाली छीन ली ?और किसने कुदरती फ्लड बेसिन को आओउने पौने दामों पर बेच दिया।
मुल्क के लोग कश्मीर में सिर्फ खर्च करते हैं हिसाब लेने का उन्हें अधिकार नहीं है। आज यह पूछने वाला कोई नहीं है कि फ्लड कंट्रोल की योजनाओं पर खर्च किये गए २००० करोड़ रूपये का क्या हुआ ?
मुश्किल की घडी में पूरा मुल्क कश्मीर के अवाम के साथ है। रियासत की सरकार ke सुर में सुर मिलाकर देश फ्लड पीड़ितों के रेहाबिलटेशन के लिए भारत सरकार से ५०००० करोड़ रूपये देने समर्थन कर सकत. हैं।
लेकिन यह देश सवाल पूछने का हक़ जरूर रखता है। कश्मीर में हो रही लूट पर जबतक धारा ३७० का कवच पहनाया जाएगा तबतक ऐसे हादसे कश्मीर में होते रहेंगे और मुल्क को अफ़सोस के अलावा कुछ हाथ नहीं आएगा। ।
विनोद कुमार मिश्रा
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