कश्मीर पर बकैती नहीं , बात कीजिये
क्या कश्मीर के नौजवाब बुरहान वानी की मौत से इतना खफा है कि वे स्टोन ऐज में लौट आया है ? क्या अलगाववादी ग्रुप वाकई हाउस अरेस्ट हैं और पिछले ४४ दिनों से बंद हड़ताल खेल रहे है ? क्या मकामी हुकूमत वाकई नौजवानों के पत्थर से घबराई हुई है और कर्फ्यू का कबच ओढ़ रखी है। क्या साबिक मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्लाह कश्मीर के हालात को लेकर वाकई गंभीर है ? कश्मीर में सवाल ढूंढने जाएंगे तो जवाब कम सवाल ज्यादा मिलेंगे।
कौन है ये नौजवान जिन्होंने इस्लाम को जाना नहीं लेकिन उन्हें इस्लाम पर खतरा नज़र आ रहा है , उनके साथ जो पत्थर नहीं उठा रहा वह काफ़िर है। क्या ५० से ज्यादा मासूमो की मौत से इन नौजवानों को जरा भी अफ़सोस है ? छोटे छोटे बच्चो के हाथ पत्थर पकड़ा कर वो किस्से बदला ले रहे है ? हम क्या चाहते आज़ादी जैसे चंद जुमले उन्हें इसलिए याद है क्योंकि उन्हें पता है कि अब्बाजान की जबतक कमाई है तबतक भोजन सुरखित है। इसमें कोई दो राय नहीं कि यहाँ बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है लेकिन यह भी सच है कि सबसे ज्यादा सरकारी नौकरी लोगों को यही मिली हुई है। हुर्रियत के हर छोटे बड़े लीडरान के बच्चे या तो बड़े मुलाजिम है या बड़ा कारोबारी ,फिर इस बंद -हड़ताल और कर्फ्यू से कौन मुश्किल में इसकी पड़ताल जरुरी है
,लेकिन हुकूमत सियासत में उलझी हुई है। कश्मीर की हर छोटी बड़ी घटना इंटरनेशनल न्यूज़ है , सबसे ज्यादा मीडिया की सरगर्मी यहाँ है ,यही वजह है कि यहाँ ४४ दिनों तक हड़ताली कैलेंडर चलता है तो कर्फ्यू भी. . राजनैतिक पहल के नाम पर मीडिया के जरिये लीडरान की बकैती सामने आ रहा, , हर सियासी दलो की अपनी दलीले है ,एक दूसरे को फैल कराने के तर्क दिए जा रहे है..लेकिन निदान किसी के पास नहीं है। ओमर अब्दुल्ला हों या मीरवाइज उमर फ़ारूक़ आज हर कोई जनरल हूडा की बातचीत और सियासी पहल की वकालत कर रह है तो यह पूछा जाना लाजिमी है कि बातचीत किससे हो ? क्या हुर्रियत पत्थरबाजो को घर बैठने की नसीहत देने का माद्दा रखता है ? हा ! तो उन्हें लीडर मानने में क्या दिक्कत है। याद रहे अटल बिहारी वाजपेयी ने भी उन्हें बातचीत के लिए खुला निमंत्रण दिया था। लेकिन आजतक अलगाववादी अपना रोडमैप सरकार के सामने नहीं रख सकी। अगर गृहमंत्री राजनाथ जी को वाकई कश्मीर और कश्मीरी से प्यार है तो उन्हें आम अवाम की मुश्किलो को समझना चाहिए और बिना कैमरा कश्मीर में बैठना चाहिए। .बस पहल की जरुरत है। .
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