केंद्रीय सेवा का इम्तिहान एक समान तो फिर शिक्षा क्यों न हो एक समांन



सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर जम्मू कश्मीर में स्कूल की बदहाली पर एक बार फिर भावुक हो   उठे , उनका मानना है कि सिर्फ शिक्षा से ही विकास संभव है जो जम्मू कश्मीर में हो नहीं रहा है । पिछले साल  इलाहाबाद उच्च न्यांयालय ने अपने ऐतिहासिक फैसले में सभी अधिकारियों और मंत्रियों के  बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने का आदेश यू पी के समाजवादी सरकार को दिया था। समाजवाद की बात करने वाली सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह कर अभी तक उस फैसले को टाल रही है। यह वही देश है जहां टॉप ब्यूरेक्रेट के बच्चों को पढ़ने के लिए 1 रूपये में कई एकड़ जमीन  राजधानी दिल्ली में  लीज पर दी जाती है।
यह वही देश है जहाँ बच्चो को स्कूल में पोशाक मिल जाते हैं लेकिन किताब नहीं। यह वही देश है जहाँ संसद में स्कूल के मीड डे मील घोटाले की  चर्चा होती है लेकिन जर्जर शैक्षणिक व्यवस्था पर कोई नहीं बात करता।  एक देश सैकड़ो सिलैबस ,कोई बरगद के नीचे पढ़ रहा है कोई सेंट्रलाइज़ड ऐ सी वाले स्कूल में। लेकिन कॉम्पेटीशन एक समान  ,केंद्रीय सेवा का इम्तिहान एक समान तो फिर शिक्षा क्यों न हो  एक समांन?

नोटबंदी पर चीफ जस्टिस साहब  का रबैया थोड़ा सख्त  है। नोटबंदी के बाद एक क्रांति माय लार्ड भी कर दे। काले धन में जो पैसा सरकार के खजाने में आता है उसे पुरे देश में स्कूल बनवाने का आदेश दे ।
कोर्ट में जज की जरुरत है ,इंफ्रास्टकचर की जरुरत है ,माय लॉर्ड इसके लिए पूरी कोशिश  रहे   हैं। लेकिन  देश में स्कूल भी चाहिए ,अच्छे शिक्षक चाहिए इसकी कोई चिंता नहीं कर रहा  है।  कर के देखिये मुल्क याद रखेगा 

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