केंद्रीय सेवा का इम्तिहान एक समान तो फिर शिक्षा क्यों न हो एक समांन
यह वही देश है जहाँ बच्चो को स्कूल में पोशाक मिल जाते हैं लेकिन किताब नहीं। यह वही देश है जहाँ संसद में स्कूल के मीड डे मील घोटाले की चर्चा होती है लेकिन जर्जर शैक्षणिक व्यवस्था पर कोई नहीं बात करता। एक देश सैकड़ो सिलैबस ,कोई बरगद के नीचे पढ़ रहा है कोई सेंट्रलाइज़ड ऐ सी वाले स्कूल में। लेकिन कॉम्पेटीशन एक समान ,केंद्रीय सेवा का इम्तिहान एक समान तो फिर शिक्षा क्यों न हो एक समांन?
नोटबंदी पर चीफ जस्टिस साहब का रबैया थोड़ा सख्त है। नोटबंदी के बाद एक क्रांति माय लार्ड भी कर दे। काले धन में जो पैसा सरकार के खजाने में आता है उसे पुरे देश में स्कूल बनवाने का आदेश दे ।
कोर्ट में जज की जरुरत है ,इंफ्रास्टकचर की जरुरत है ,माय लॉर्ड इसके लिए पूरी कोशिश रहे हैं। लेकिन देश में स्कूल भी चाहिए ,अच्छे शिक्षक चाहिए इसकी कोई चिंता नहीं कर रहा है। कर के देखिये मुल्क याद रखेगा
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