डिमोनेटाइजेशन : सबका साथ सबका विकास

2016  आपके जीवन में क्यों महत्वपूर्ण रहा ,इसके कई व्यक्तिगत कारण हो सकते हैं लेकिन यह देश के लिए क्यों महत्वपूर्ण बना ,इसकी वजह भी व्यक्तिगत ही है। पिछले 30 वर्षो में सत्ता परिवर्तन आने जाने का ऐसा सिलसिला बना कि किस किस को याद कीजिये ,किस किस को रोइये। .आराम बड़ी चीज है मुँह ढक के सोइये। लेकिन 2016  ने ऐसा मौका नहीं दिया। नोटबंदी का ऐलान , 50 दिनों का संघर्ष और पीएम मोदी की कामयाबी इसे ऐतिहासिक बना दिया। क्या यह कामयाबी पी एम् मोदी की थी जिसने चीफ जस्टिस जे एस ठाकुर के दंगे की आशंका को निराधार साबित किया  या फिर उन सबा सौ करोड़ जनता की जिसने पी एम् मोदी के डेमोनेटाइजेशन पर  यकीन किया . . 

नोटबंदी के  दौर  में एक सियासी फैमिली ड्रामा उत्तर प्रदेश में भी चल रहा था ,राजनीतिक पंडितो ने मोदी के नोटबंदी के फैसले को आगामी विधान सभा चुनाव से भी जोड़ा। लेकिन आख़िरकार लोगों को लगा कि सपा के  ड्रामा में सबकुछ था लेकिन क्लाइमेक्स कभी नहीं आया ,लेकिन नोटबंदी इस दौर में ऐसा फैमिली सीरियल बना जिसमे हर उम्र ,वर्ग ,सम्प्रदाय टीवी न्यूज़ के स्क्रिप्ट बने और खबरिया चैनल अपने व्यक्तिगत वजह को सामाजिक उथल पुथल के चासनी में डूबा दिया। लेकिन इन तमाम आलोचनाओं के बीच प्रधानमंत्री मोदी का आम लोगों से संवाद निरंतर बना रहा। यह पीएम की जिद थी या उनका  साहस था ,जिसमे उन्होंने  17 लाख करोड़ रुपया बदलने का  इतना बड़ा फैसला लिया। यह उनका राजनीतिक  कौशल और मास कम्युनिकेशन था जिसने लोगों के भरोसे को टूटने नहीं दिया। अगर वे कहते थे कि" ये भ्रष्टाचारी उन्हें जीने नहीं देंगे ,ये इस देश के आमलोगों की ताकत है जिसके कारण मैं नोटबंदी का फैसला ले पाया हूँ "। यकीन मानिये ये प्रधानमंत्री की दिमाग से उपजी बात नहीं थी बल्कि यह उनके दिल से निकली आवाज सबका साथ सबका विकास को लोगों से संस्तुति मिली थी। 

2016  पिछले कई दशको से रूटीन बन गयी व्यवस्था को लगभग झकझोर दिया था। न तेज चलेंगे और न गिरेंगे के दर्शन वाले लोगों को भी गतिशील होने के लिए प्रेरित किया। नोटबंदी से खोदा पहाड़ और निकली चुहिया बात साबित हुई या फिर जैसे प्रधानमंत्री मानते है इस नोटबंदी ने चुहिए को एक्सपोज़ कर दिया जिसने अर्थ से लेकर मूल्यों तक को कुतर दिया था। 70 के दशक के बाद देश में पहलीबार एक राष्ट्रीय चरित्र और एक राष्ट्रीय नेतृत्व मुखरित हुआ है ।यानी सबका साथ सबका विकास ही डेमोनेटाइजेशन का मूल मंत्र साबित हुआ है। 

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