बुरहान वानी को किसने मारा
बुरहान ! तुम्हारे चले जाने के एक साल बाद भी कश्मीर में कुछ लोग तुम्हे बहुत याद करते हैं। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सैफुद्दीन सोज़ कहते हैं ,तुम अगर जिन्दा होते तो वे तुमसे जरूर बात करते। ये अलग बात है जब तुम्हारे पोस्टर सोशल मीडिया पर छपते थे ,तुम्हारे आतंक की खबरे अखबारों में छपती थी , तब वे केंद्र में कैबिनेट मंत्री थे। वे चाहते तो तुम्हारे घर आ सकते थे ,लेकिन वे नहीं आये। जाहिर है वे झुठ बोल रहे हैं और सिर्फ सियासत कर रहे हैं । ठीक उसी तरह जैसे हुर्रियत लीडर से लेकर पाकिस्तान तुम्हे एक सियासी मोहरा बनाकर आज भी बेच रहे हैं। हर कोई तुम्हारे नाम पर सियासी रोटी सेक रहा है। लेकिन यह जानकार तुम्हे भी दुःख होगा कि तुम्हारे नाम से जो सियासी हंगामा खड़ा किया गया उसमे अबतक 110 मासूमो की जान चली गयी ,सैकड़ो स्कूल जला दिए गए ,जो अबतक वैसे ही राख के ढेढ़ बने हुए हैं । तुम्हारे जाने का मुझे भी दुःख था क्योकि तुममे कुछ करने का जज्वा था लेकिन तुमने गलत लोगो को अपना आदर्श माना ! ठीक वैसे ही अफसोस मुझे तब हुआ था जब लोग तुम्हे कश्मीर में हिज़्ब के पोस्टर बॉय कहने लगे थे। स्थानीय कॉलेज के प्रिंसिपल तुम्हारे अब्बाजान मुजफ्फर अहमद वानी ने कभी सोचा भी न होगा कि अपने क्लास का टॉपर बुरहान वानी कभी हिज़्ब का बंदूक उठा लेगा।
अफसोस इस बात को लेकर भी है कि तुम्हारी तंजीम हिज़्बुल मुजाहिदीन के सरबरा सैयद सलाहुद्दीन ने अपने किसी बच्चे को मिलिटेंट नहीं बनाया ,उन्हें बंदूक से दूर रखा.. उन्हें सोशल मीडिया पर रोबिनहुड बनने से रोका .. उनके चारो बेटे सरकार के ऊँचे मुलाजिम हैं। और तुम ने अपने जैसे दर्जनों नौजवानों को बंदूक उठाने के लिए प्रेरित किया। जब तुम जिन्दा थे ,तुम्हारी खूबसूरती और हिम्मत की चर्चा सबसे ज्यादा लड़कियां ही करती थी। तुम कई नौजवानो के लिए हीरो थे।कल भी 14 साल का क़ादिर लोन सरहद पार कर पाकिस्तान जा रहा था क्योंकि वह फेसबुक पर तुम्हारी तरह ही प्रोफाइल पिक्स डालना चाहता था। लेकिन यह बात भी सच है कि बुरहान तुम्हारे लोकेशन का पता किसी फेसबुक फ्रैंड ने ही पुलिस को दी थी
हुर्रियत के लोग आज भी तुम्हारी शख्सियत से जलते है ,हालाँकि नासमझी में तुम्ही ने उनको सियासत में जिन्दा होने का मौका दिया है । लेकिन तुम अपनी रॉबिनहुड वाली इमेज में इतने उलझे रहे कि कश्मीर के इन शातिर लोगों की चाल नहीं समझ पाए। अब्दुल मजीद डार कभी हिज़्ब के चीफ ऑपरेशनल कमांडर होते थे। कभी उसके सामने सलाहुद्दीन का कद भी बौना साबित हो गया था। लेकिन एक झटके में अलगाववाद की सियासत ने उन्हें दूध की मक्खी की तरह रास्ते से हटा दिया। हुर्रियत के लीडरो ने कभी अफ़सोस भी जाहिर नहीं की , वर्षी की बात तो दूर है। सलाहुद्दीन हो या हुर्रियत के लोग यह तय नहीं कर पा रहे थे तुम्हारे निजामे मुस्तफा का सपोर्ट करे या पाकिस्तान की सियासत को कायम रखे । तुम हुर्रियत के भी निशाने पर थे और हिफाजती अमले के भी। ये अलग बात है कि हुर्रियत लीडरो को तुमने बेचने के लिए सियासी पोस्टर दे दिया।
तुम्हारे जैसे सैकड़ो नौजवानो को सोशल मीडिया/ इंटरनेट का शौक है ,अच्छे लिबास और ब्रांडेड कपड़ो में सेल्फी का शौक है। ,कश्मीर में इससे पहले किसी मिलिटेंट ने अपने ग्रूप का सेल्फी फेसबुक पर नहीं डाला था। आज सुरक्षावलों पर पत्थर चलाते नौजवान अपनी सेल्फी सोशल मीडिया पर डाल रहे है ,कहना मुश्किल है कि कौन किसको इम्प्रेस्ड कर रहा है। लेकिन इतना तय है कि यह सोशल मीडिया कई घरो के अरमानो और वाल्देन के ख्वाबो को जला रहा है और सियासत में धूर्त लोग मासूमो की नादानी को अपने अपने तरीके से बेच रहे है।आज कई वालिद को अफसोस है कि इंटरनेट ने काबिल बच्चो को इस दौर में खतरनाक आतंकवादी बना दिया है ।
बन्दूक ने कश्मीर मे न केवल सियासी लीडरों की भीड़ खड़ी की बल्कि अकूत पैसे की बरसात भी की है । गाँव के झोपड़ियों में रहने वाले कई लीडरों के श्रीनगर और दिल्ली मे आलिशान बंगले देखे जा सकते है। तथाकथित आज़ादी के नाम पर पैसे की यह बरसात कश्मीर मे आज भी जारी है। लेकिन बुरहान तुम इस गंदे खेल को नहीं समझ पाए। आज भी तुम्हारी मौत को कुछ लोग शहादत बता कर अपनी सियासी रोटियां सेक रहे हैं लेकिन ये भी सच है कि उसी कश्मीर में सैकड़ो लोग अभाव में है जिनके चूल्हे जल नहीं रहे है। सभ्यता और शिक्षा हमें संवेदनशील होने के लिए प्रेरित करती है। अगर नौजवानो के हाथ में एंड्राइड फोन और इंटरनेट है तो माना जाता है कि समाज अधिक सभ्य हो रहा है लेकिन अगर इंटरनेट नौजवानो में गुस्सा बढ़ा रहा है एक दूसरे को मारने के लिए प्रेरित कर रहा है तो माना जायेगा कि सभ्य होने के बदले हम जानवरो की भीड़ में शामिल हो रहे हैं। आज के दौर में भी सुचना का मतलब खूनी भीड़ का हिस्सा बनना है तो ऐसे लोगो को सभ्य कहलाने का कोई हक़ नहीं है।
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