जनमत को साजिश के प्रपंच से हराने की जी तोड़ कोशिशे जारी है

लोकसभा में एक चर्चा के दौरान लालू जी ने सोनिया गाँधी से मुखातिब होते हुए कहा था ,मैडम ! ये वकील लोग आपकी पार्टी को गर्त में धकेल देंगे। लालू जी का इशारा कपिल सिब्बल की ओर था। उस दौर में  कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार में 10 से ज्यादा वकील केंद्रीय
मंत्री थे तो   दर्जन भर प्रवक्ता सुप्रीम कोर्ट के वकील  थे। बीजेपी में भी वकीलों ने अपनी पहुँच बनायीं और कुछ वकीलों ने टीवी के सौजन्य से अपनी खास जगह बनाली। लेकिन इस पार्टी में देसी राजनीति और सामाजिक ताना वाना पार्टी के साथ जुडी रही, लेकिन लालू जी की   बात का स्मरण इसलिए जरूरी है कि बिलकुल गबई अंदाज़ में उन्होंने देश के सियासी मिज़ाज़ में कोर्ट के कानूनी दावपेच का सदन में इस्तेमाल को उन्होंने खतरनाक माना था।  सुप्रीम कोर्ट के हालिया विवाद में कांग्रेस की भूमिका इस बात का सबूत है कि देश के कोने कोने में फैली यह पार्टी कुछ वकीलों के ड्राइंग रूम तक सिमट गयी है ,जहाँ जनमत के बगैर  सत्ता पाने का आसान जरिया ढूंढा जा रहा है। कह सकते हैं कि जनमत को साजिश के प्रपंच से हराने की जी तोड़ कोशिशे जारी है।

 ऐसी जल्दी क्यों है भाई। जस्टिस  बी एच लोया की तथकथित संदिग्ध मौत की जाँच और सुनवाई को कांग्रेस प्रवक्ता,जजों के असंतोष का प्रमुख कारण मानते हैं।कांग्रेस के  वकील और प्रवक्ता इस केस में अपने फेवर का बेंच चाहते थे  बरना उन्हें न्याय पर संदेह लगता है। लेकिन इस साजिश को बेनकाब करते हुए जस्टिस लोया का परिवार ही कितने के अरमानो पर पानी फेर दिया  है। परिवार कोई जाँच नहीं चाहता है और श्री लोया  की मौत को स्वाभाविक मानता है। पिछले तीन वर्षो में सियासत मानो बुलेट ट्रेन पर सवार हो गयी है  अब हर को जल्दी है ,पिछले 60 वर्षो में देश को क्या मिला ,क्यों नहीं मिला इसके लिए कभी सवाल नहीं हुए। लेकिन आज देश खतरे में है ,लोकतंत्र खतरे में है ,सेकुलरिज्म खतरे में है ,दलित खतरे में है ,पटेल समाज खतरे में है ,बिहार और उत्तरप्रदेश में पिछडो में अचानक असंतोष उठ खड़ा हुआ है। बुद्धिजीवी खुश नहीं है ,आर्टिस्ट ,कार्टूनिस्ट खुश नहीं है.... कौन हैं ये लोग जो इन वर्षों में सत्ता के साथ रोमांश कर रहे थे और एक झटके में उनसे  सत्ता सुख छिना तो सोशल मीडिया पर गृह युद्ध फैला रहे हैं। जिन लोगो को आज अंतरात्मा की आवाज उन्हें टीवी कैमरे के सामने ला खड़ा कर दे रहा है उन्हें 20 साल बाद तो छोड़िये लोगों ने कल से कहना शुरू कर दिया है इतने भ्र्ष्टतम जजों के साथ काम कर चुके सम्मानीय न्यायधीशों की अनतरातमा अब तक क्यों सोई रही ? माननीय जजों का मसला एक दो दिन में जरूर सुलझ जायेगा और उन्हें अपने पसंद के बेंच भी मिल जायेंगे ,लेकिन देश की जनता और टैक्स पेयर कल से यह सवाल जरूर पूछेगा कि देर से मिला न्याय क्या अन्याय नहीं है?कांग्रेस के वकील आज प्राइम टाइम डिबेट में ,हैडलाइन में अपनी उपस्थिति बनाले लेकिन यह देश उनके करतूतों को देख रहा है। मोदी सरकार काम सही कर रही है या गलत पांच साल बाद जनता खुद निर्णय करेगी।लेकिन  कांग्रेस अपने प्रपंचो से जनता को मदद नहीं कर रही है बल्कि उसे चिढ़ा रही है। यह बात अगर पार्टीने  गुजरात चुनाव से  नहीं सीखी तो 2019 के बाद लोग कहेंगे लालू यादव सही थे ! 

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