किस पाकिस्तान से लड़े हम ?

मीडिया में पाकिस्तान को लेकर हाहाकार मचा है। विपक्षी पार्टिया पीएम मोदी के  सीने  का साइज पूछ रही है। देश के मीडिया  एक्सपर्ट सरकार को युद्ध का एलान करने को उकसा रहे हैं। देश को चाहिए एक और सर्जिकल स्ट्राइक किस पाकिस्तान पर ? जिसका आज  न कोई भूगोल है न इतिहास। यकीन मानिये जिस वज़ीरे आज़म इमरान पर भारत का मीडिया गोले दाग रहा है उसकी हैसियत इस्लामाबाद के मेयर से ज्यादा नहीं  है और जो प्रधानमंत्री इमरान खान सऊदी अरब पर किसी भी आक्रमण का मुहंतोड़ जवाब पाकिस्तानी फ़ौज देगी का दम्भ भर रहे हैं  उस पाकिस्तानी फ़ौज  ने आजतक अपने 60 फीसद भूभाग पर पाकिस्तानी हुकूमत के कब्जे बहाल नहीं कर सकी वहां आज भी किसी कबीले या फिर आतंकवादी तंजीम का कब्ज़ा है।  यानी आज की तारीख में पाकिस्तानी फ़ौज और हुकूमत का रिट महज 40 फीसद भूभाग पर है। पिछले साल पेशावर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा था कि कोर्ट के फैसले का दायरा सिर्फ 10 कि मी तक है बाकी किसकी सत्ता है नहीं मालूम।
यह वही पाकिस्तान है जहाँ इमरान खान पी एम हाउस के गाड़िया ,कारें यहाँ तक की भैश की भी नीलामी कर रहे हैं और सड़क पर खड़ा अवाम तालियां बजा रहा है। भारत ऐसे पडोशी से जूझ रहा है जहाँ की बड़ी आवादी के लिए जिंदगी 18 वी शदी से आगे नहीं गयी है और एलिट क्लास चाहे फ़ौज के अधिकारी हो या सिविलियन हुकूमरान  उनके  लिए पाकिस्तान सिर्फ चारागाह है घर/ठिकाना  उनका या तो दुबई में है या लंदन में। कश्मीर ऐसे ही लोगों का चारागाह है जिसके सहारे फ़ौज आधी से अधिक पाकिस्तान का बजट डकार जाती है।

1947  से लेकर आज तक पाकिस्तान की हुकूमत यह तय नहीं कर पायी है कि मुल्क की दिशा और दशा क्या होनी चाहिए ? 1985  के दौर मे जनरल जिया ने अमेरिकी फण्ड की मदद से  मुल्ला और मिलिट्री  का एक गठजोड़ बनाया और पूरे पाकिस्तान में  बम और बारूद को सुलभ बना दिया . इस दौर मे आतंकवादियों का एक दो नहीं 50  से ज्यादा संगठन बने जिन्हें पाकिस्तान में फलने -फूलने की पूरी छूट दी गयी।  जिस विष बेल को पाकिस्तान ने बड़ा किया वही आज पाकिस्तान को डस रहा है वहां की हुकूमत अपने को नुक्लिएर पावर कह ले लेकिन यह सच वहां के लोग जानते हैं कि इन 70 वर्षो में पाकिस्तान की हुकूमत एक कार की फैक्ट्री नहीं लगा पायी ,बड़े उद्योग न ला पायी। आधी से अधिक आवादी के बीच बिजली के तार नहीं ले जा पायी। क्या कश्मीरी इस हकीकत से वाकिफ नहीं है ? अगर आप यह जानते है कि कश्मीर बनेगा पाकिस्तान का नारा लगाने वाले पाकिस्तान से प्यार करते है तो यकीन मानिये वे आपकी आँखों में धूल झोंक रहे है।

कश्मीर में  कांग्रेस की वर्षो पुरानी "स्टैटस को" की नीति एक परिवार की सत्ता को मजबूती देती रही है। इसी नीति का नाजायज उत्पति आर्टिकल 35A और 370 है। भारत  की सॉफ्ट  स्टेट की छवि जो कांग्रेस ने दी वह आज भी देश के सर पर   फेबिकाल की तरह चीपक गयी है। हजरतबल में घुसे आतंकवादी हो या चरारे शरीफ को जलाने वाले आतंकवादी मेजर मस्तगुल। दिल्ली ने उनकी आवभगत करके मेहमानवाजी की शानदार परंपरा निभाई थी। ठीक वैसे ही जैसे मौजूदा गृह मंत्री राजनाथ सिंह यह तय नहीं कर पाए कश्मीर इस स्टैटस को से आगे कैसे बहार हो.आज भी कश्मीर के कुछ मुठीभर लोग एजेंडा बना रहा है और मीडिया उस एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है। 
यह सवाल आम हिंदुस्तानी के मन  में जरूर उठता है कि कश्मीर का मसला क्या है। जितना मैं समझ पाया हूँ कि वर्षो पहले कुछ नेताओं ने जो गांठ हाथों से लगायी थी मौजूदा पीढ़ी को वह गांठ दातों से खोलना पड़ रहा है। पंचायत चुनाव तक पाकिस्तान की आर्मी अपनी हर साजिश को यहाँ आजमाएगी लेकिन इतना तय है कि उसी कश्मीर के लोग इस साजिश को नाकामयाब बनाएंगे। 

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