बिहार में मतदान : यह कमाल शराबबंदी का है या के जे राव का !


पश्चिम बंगाल के स्पेशल ऑब्जर्वर अजय नायक ने 15 साल पहले बिहार के स्पेशल ऑबजर्वर के जे  राव की याद ताजा कर दी है। अजय नायक ने पश्चिम बंगाल के मौजूदा चुनाव को 15 साल पहले के बिहार की हालात से तुलना की है।लेकिन नायक की ज़िद इसबार राव की तरह बंगाल में भी चमत्कार दिखाने की है। बिहार आये दिल्ली और विदेशी पत्रकार आज बिहार में शांन्तिपूर्ण मतदान को देखकर अचंभित हैं। बिहार के मतदाता अपने मूड के विपरित बिना हल्ला ,हंगामा के चुनाव प्रक्रिया में शामिल होते हैँ। कई पोलिंग बूथ पर सियासी दलों के एजेंट को भी ढूंढना मुश्किल हो जाता है। ये चुनाव प्रक्रिया का कमाल है या सिस्टम पर लोगों का भरोसा या फिर शराबबंदी ने कुछ लोगों के जोश को फीका कर दिया है ? 
बिहार में अतिसंवेदनशील जगहों पर पिछले तीन फेज़ में शांतिपूर्ण मतदान ,सम्पूर्ण बिहार के लिए प्रेरणादायक है। 15 -20 साल पहले इन जगहों पर कई लोग जातीय अहंकार में मारे जाते थे । छिट पुट हिंसा के अलावे चुनाव के कई महीनों तक तनाव बना रहता था । तो क्या जो कमाल टी एन शेषन बिहार में नहीं कर पाये वो शराबबंदी ने कर दिखाया है ? 

मैं दावे के साथ नहीं कह सकता लेकिन इस दौर में पोलिंग बूथ पर महिलाओं की बढ़ती तादाद चौकाने वाली है।पिछले चुनाव के मुकाबले यह 10 फीसद ज्यादा है। यानी अगर महिलाओं का वोटिंग टर्न आउट बढ़ने से नीतीश जी को फायदा मिलता है तो यह श्रेय उनकी शराबबंदी और आजीविका को जाता है।उज्ज्वला, हेल्थ पॉलिसी, घर घर बिजली और स्वच्छता जैसी केंद्रीय योजनाओं ने महिलाओं को विकास का एहसास कराया है। हालांकि जातीय जटिलता के बीच यह कहना मुश्किल है कि महिलाओं का वोट किसे पड़ रहा है ? लेकिन उनका घर से निकलना बिहार के शांतिपूर्ण मतदान की प्रक्रिया को बल देता है ।

एक चौकाने वाला तथ्य यह भी है कि 2004 से #EVM से चुनाव होने के बाद वोट प्रतिशत घटा है । बैलेट पेपर का जमाना कुछ और था । आज भी लोग फ़्लैश बैक जा कर अपने कारनामे सुनाते हैं । लेकिन जिन महिलाओं के लिए नीतीश जी ने शराबबंदी की थी वो महिलाएं आज फिर शिकायत कर रही है । अब शराब का धंधा स्थानीय पुलिस के सहयोग से इलाके में एक नया कारोबार बन गया है। शराब का चलन रुकना चाहिए पूर्णप्रतिबंध होना न ही बिहार की सेहत के लिए ठीक है न ही परिवार की आर्थिक सेहत के लिए ।यह विशुद्ध सरकारी गुंडागर्दी है जो सच्चाई पर पर्दा डाल रही है, जो उचित नहीं है ।बांकी नीतीश जी खुद समझदार हैं।

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