देश ,काल और परिस्थिति से अनजान राहुल गांधी : ये तारीख़ सही करने का वक्त है
आप भी न ! नहीं बदलने की कसम ले रखी है। नोटबंदी के बाद प्रधानमंत्री मोदी पर आपके तीखे हमले से लबालब भरा हुआ मैं लखनऊ से दिल्ली वापस आ रहा था। एयरपोर्ट के रास्ते में पड़ने वाले एटीएम बूथ पर सर्दी के मौसम में लगी लाइन देखकर मैंने अपने बुजुर्ग ड्राइवर ताज मोहम्मद से पूछा भाई ! आपका क्या हाल है ? नोटबंदी में ? उनका जवाब था भाई जान ,अपना तो सब कुछ लाइन में लगकर ही मिलता है ,, हमें क्या चिंता ,चिंता वो करे जो अपना काला धन घर में रखा था अब बैंक में जमा करवाने के लिए किराये पर लोगों को लाइन में खड़ा किये हैं। गरीबों के सेहत पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है… धन्ना सेठ चोरों को अब डर लगने लगा है.. ताज साहब भारत की गरीबी पर एक संक्षिप्त भाषण मुझे सुना गए। ताज मोहम्मद की आवाज मेरे कानों फिर गूंजने लगी है जब आपने कश्मीर पर धारा 370 और तथाकथित बढ़ी हिंसा को लेकर मोदी सरकार को घेरने की सियासी पहल तेज की है। लेकिन अब मैं इस बात से आश्वस्त हूँ कि बूढी सेठानी (सोनिया जी )को दुबारा गद्दी क्यों संभालनी पड़ी है। राहुल जी ,जो सोच लखनऊ के ताज मोहम्मद की थी जिसे समझने में आपलोगों ने भूल की थी , कश्मीर के 90 फीसद जनता का इस धारा 370 और 35A से कोई लेना देना नहीं है। क्योंकि इसके स्टेकहोल्डर्स कुछ मुठ्ठी भर लोग हैं। कश्मीर में आतंकवाद इसी की कोख से जन्मी विषवेल है। आपके पुरुखों ने स्पेशल स्टेटस से कुछ परिवारों को उपकृत किया लेकिन बाकी लोगों की जिंदगी पिछले तीन पीढ़ियों से शिकारा हाउसबोट ,पिठू खेती किसानी जैसे रोज कमाओ रोज खाओ से आगे नहीं बढ़ी। कल भी आप मोदी के खिलाफ नेरेटिव पर ही यकीन करते थे आज कश्मीर में भारत के खिलाफ चल रहे नेरेटिव का हिस्सा कांग्रेस पार्टी और आप बन गए है।
धारा 370 और 35A को हटाए जाने के बाद आपकी पार्टी ने इसे कश्मीरियों की पहचान का मुद्दा बनाने की कोशिश की है। आज कश्मीर में बड़ी तेजी से ये नेरेटिव चल रहा है कि बाहरी लोगों को यहाँ आने से कश्मीर की ओरिजनल पहचान ख़तम हो जायेगी।सर ,नेहरू परिवार भी अपने को कश्मीरी ही मानता है क्या कश्मीर आपकी पहचान नहीं है या आपकी और कश्मीर की पहचान सिर्फ अब्दुल्लाह परिवार तक ही सिमित है। 30 साल पहले लाखों पंडित कश्मीर के गाँव ,कस्बों और शहरों को सदा सदा के लिए छोड़कर देश के दूसरे हिस्से में पलायन कर गए या भगा दिए गए, क्या उनकी कश्मीरी पहचान की चिंता आपने ने या वहां के सियासतदानों ने की है। आप लोग जिस कश्मीर को केवल इस्लाम से जोड़कर देखते हैं उस कश्मीर का इतिहास कल्हण की राजतरनागणी और कनिष्क के कालखंड में हुए तीसरी बौद्ध सभा से भी पीछे है। देश का एक मात्रा शारदा ,सरस्वती पीठ के नाम से मशहूर शारदा विश्वविद्यालय नालंदा विश्वविद्यालय से भी प्राचीन है। क्या इस शानदार रिवायत की चिंता आपने या आप जैसे सेक्युलर नेता नीतीश और ममता जी ने की है।नहीं ,क्योंकि इसमें भी आपलोग वोट लेकर बैठ गए। या फिर पाकिस्तान की तरह आप जैसे सेक्युलर जमाते आज कश्मीर यकजेहती डे मना रही हैं। पाकिस्तान में पिछले 70 वर्षों में बलूची ,सिंधी ,पश्तूनी ,बिहारी ,मोहाजिर ,शारायकी जैसे मुस्लिम कौमों को लेकर कोई यकजहती डे नहीं है लेकिन हर साल 5 फरबरी को पूरा मुल्क अपना स्कूल ,कॉलेज ,दफ्तर बंद करके कश्मीर के नाम पर घरियाली आँशु बहता है और दहशतगर्द तंजीमे कश्मीर में हो रहे तथाकथित अन्याय का प्रोपगंडा करके करोडो रुपया भोले अवाम से वसूल लेती है तो कई नौजवानो को गुमराह करके आतंकवाद के दल दल में धकेल देती है। यह उस पाकिस्तान की कहानी जहाँ कारोबार ठप्प है ,आतंकवादी तंजीमों के कारण दुनिया से उधार बंद है.. ,लोगों को सस्ती रोटी नहीं मिल रही लेकिन कश्मीर बनेगा पाकिस्तान का नारा बुलंद है। इन सत्तर वर्षो में इसलिए यह कहावत पाकिस्तानी समाज में ज्यादा लोकप्रिय है "पाकिस्तान पेट्रोल से नहीं कश्मीर से चलता है।
राहुल जी ,आपकी पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री इमरान खान की खूब बजायी थी ,जिन्होंने सद्भाव में यह कह दिया था कि मसले कश्मीर का हल सिर्फ नरेंद्र मोदी ही कर सकते है। सो मोदी दुबारा पी एम बनते ही कश्मीर का परमानेंट हल कर दिया। अरविन्द केजरीवाल जी शुरू से कहते थे "ये सब मिले हुए हैं " हाँ जी ! अब मुझे भी लग रहा है ये सब पक्का मिले हुए है। पाकिस्तान अब कश्मीरी अलगाववादी और आतंकवादी को नहीं ढो सकता। वो तो तख्ता पलटने के डर से इमरान खान फौज को खुश कर रहे हैं । अटल जी पाकिस्तान में भारत के सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेता थे वजह यह बात पाकिस्तान के लोग जानते हैं कि कांग्रेस और दूसरी पार्टी कश्मीर मसले का हल निकाल कर पाकिस्तान से बेहतर रिश्ता बनाने की सोच भी नहीं सकती है यह काम सिर्फ बीजेपी ही कर सकती है।
राहुल जी ,जैसा कि आप बता रहे हैं कश्मीर में गोलियां चली है। हिंसा हो रही है तो यह घटना पिछले 30 साल से हो रही है और इसमें हमारे 60000 सुरक्षाकर्मियों के साथ १ लाख से ज्यादा लोग मारे गए है। क्या इन 70 वर्षों में दर्जनों कमिटियां और आतंकवादियों को सेफ पैसेज देने के अलावे आपकी पार्टी की कोई और कश्मीर पालिसी है ?अगर नहीं है तो इन लेफ्ट लिबरल पत्रकारों की सुनना बंद कीजिये। ये न्यू इंडिया है जिसमे गांधी नेहरू मॉडल बेसुरा राग छोड़ रहा है। इसे बदलने की जरुरत है। नरेंद्र मोदी अपने पहले कार्यकाल में भारत निर्माण के संकल्प को आगे बढ़ाया था इस दौर में उन्हें पुराने बज बजा रहे घाव को ऑपरेशन करना है ,यही इस समस्या का निदान है। सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक से भारत की ताकत को दुनिया जान गयी है। आप लोगों ने कल भी मोदी को हलके में लिया और खड़ाऊ पर आ गए और आज भी वही गलती दुहरा रहे हैं भारत के बिना कश्मीर की पहचान अधूरी है यह बात आप से ज्यादा कश्मीर के अवाम जानते हैं।
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