CAA :यह प्रोटेस्ट झूठा है और नफरत की बुनियाद सिर्फ अफवाह है
किसी ने कहा था शहर के शहर जल गए ,काजी को गवाह चाहिए। इस देश के बुद्धिजीवी ,उपद्रवी ,सियासतदां एक पंक्ति में खड़े होकर अमन को अगवा करने की बड़ी साजिश की है। इन्होने गवाह लायक हालात रहने नहीं दिया है. हर कोई अपनी औकात की हिसाब से जला रहा है,कोई टायर जला रहा है ,कोई बस जला रहा है और कोई अफवाह के दम पर देश जला रहा है। हमारे एक सहयोगी को किसी ने पूछा भैया ये CAA का मसला क्या है? पूरे बनारसी अंदाज में उसने कहा कि ये बल्ब टेस्ट हो रहा है, किसका बल्ब कितने वोल्टेज से जलता है। मैंने उसे पूछ भाई बनारसी , तुम समझा रहे हो या उलझा रहे हो। बिल्कुल निष्कपट उसका उत्तर था , उलझाने और सुलझाने में हमें का फायदा होई ? भाई बुझी त भला न बुझी त भला… पहचान की संकट इन्हे कल भी थी और जबतक ये भीड़ बने रहेंगे ये संकट रहेगा। कुछ लोग अपनी खोल से अलग नहीं होना चाहते न हो ! लेकिन शहर जला कर ये जरूर बतादिए हैं कि 1947 से आगे ये एको कदम आगे नहीं बढ़े हैं….. जैसे 70 साल पहले थे वैसे आज भी हैं बस बल्ब जलाकर इनका कोई वोल्टेज नापने वाला मिल जाय।
सबके अपने तर्क हैं,अपना अपना ऑर्बिट है उसी में सबको गोल गोल घूमना है। मसलन अगर आप प्रधान मंत्री मोदी से नफरत करते हैं तो आप एक समुदाय के लिए ज्ञानं परोसते हैं। और आपके लिए यह संविधान के साथ धोका है ,देश का सेक्युलर कैरेक्टर आज खतरे में है। संविधान का विश्लेषण इनदिनों सोशल मीडिया पर चल रहा है। सियासत ऐसी की जिसकी जितनी तेज आवाज उतनी जोर से चिचिया रहा है। बसपा सुप्रीमो मायवती जी को यह परवाह नहीं है कि इसमें फायदा और नुकसान किसका हो रहा है ? लेकिन देश के प्रमुख शहरों में कुछ मुसलमानो में आक्रोश है और वे शहर जलाने पर आमदा है तो मायावती भूल जाती हैं कि इस नागरिकता कानून से ज्यादातर उन दलित हरिजन भाइयों को नागरिकता मिलनी है जो पाकिस्तान में रह गए थे,या फिर उन्हें हमने धोके में रखकर धर्म के आधार पर हिंदुस्तान को बाँट लिया था। आज उन्हें पाकिस्तान में उत्पीड़न के कारण भागना पड़ा है।
मायावती जी का तर्क सुनिए ,वो कहती हैं चूंकि पाकिस्तान में हिन्दुओं को सताया जा रहा है इसलिए मोदी सरकार इसका बदला यहां के मुसलमानों से ले रही है। बहुत अच्छा ! क्या तर्क दिया है बहन जी ने। बहन जी यह जानती है हमारे नेताओ ने पाकिस्तान में रहने वाले गरीब मजदूर हिन्दू, सिख को अपने हाल पर छोड़ आए थे।आज वे अपने बच्चो की इज्जत बचाने ,अपने ईमान बचाने के लिए भारत लौटना चाहते हैं.,मायावती जी को शायद पता है कि अदनान शामी और तसलीमा जैसे लोग जब चाहे भारत की नागरिकता ले लेंगे लेकिन इस मजलूम हिन्दुओं की चिंता कौन करेगा ? ममता जी की तरह दूसरी सेक्युलर जमाते बल्ब जलाकर मुस्लिम वोटर्स को गोलबंद कर रही है जबकि सबसे ज्यादा प्रताड़ित बंगाली हिन्दू दलित हैं जो एक उममीद से उनकी ओर देख रहे हैं, लेकिन ममता जी की चिंता उनकी है जिसके पास ज्यादा वोट है। कांग्रेस ,सपा ,आप सहित तमाम सेक्युलर पार्टियां सिर्फ इसलिए अफवाह को परोस रही है ताकि कोई उनके वोट बैंक पर डाका न डाल सके। CAA से किसी की नागरिकता नहीं जा रही है लेकिन कई मुख्यमंत्री विज्ञापन छपवा रहे हैं ,कोई टीवी पर ऐलान कर रहे है कि हम नागरिकता कानून नहीं लागू करेंगे। अगर यही नागरिकता का सवाल रोहंगीया मुसलमानो के लिए होता तो ये जमाते स्वागत समारोह आयोजन करके उन्हें फूल माला डालते फोटो छपवाते। लेकिन गरीब हिन्दू,सिख शरणार्थियों के कैंप जाने की इन जमतो ने कभी कोशिश भी नहीं की होगी।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान कहते हैं कि CAA के मुद्दे पर भारत पाकिस्तान के बीच न्यूक्लियर जंग हो सकते हैं।कभी ऐसी ही धमकी Art370 के हटने के बाद भी ये दे रहे थे लेकिन इस सवाल का जवाब इमरान खान नहीं दे रहे हैं कि क्यों 23 फीसद अल्पसंख्यक आवादी पाकिस्तान में 3 फीसद रह गई ? क्यों पाकिस्तान के गरीब अल्पसंख्यक हिन्दू ,सिख के लड़कियों का जबरन निकाह कराया जाता है और हुकूमत चुप रहती है. बांग्लादेश के एक मंत्री ने अपने भारत दौरे को क्यों पोस्टपोन किया है तो बस जलाने वाले उत्साही बीर को यह जानना जरूरी है कि मजहब के आधार पर पाकिस्तान के अल्पसंख्यक उनके उम्मा में भले नहीं आते हों लेकिन हिंदुस्तान को उनकी सुध लेनी होगी। मोदी हुकूमत ने भी एक साथ कई बल्ब टेस्ट किए हैं ।
CAA के बाद भारत ने पाकिस्तान ,बांग्ला देश ,अफ़ग़ानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न से जूझ रहे हिन्दुस्तानी अल्पसंख्यकों आश्वस्त किया है कि भारत उनके संरक्षण के लिए तैयार है । यह दवाब आज पाकिस्तान और बांग्लादेश के सरकारों पर भी पड़ा है और दुनिया जान गयी है कि इन इस्लामिक मुल्कों में अल्पसंख्यकों के साथ किस तरह का व्यवहार होता है और इंडिया उसकी आवाज बन गया है।
हिंदुस्तान पर 800 साल हुकूमत का दावा करने वाले कुछ पढ़े लिखे ,कुछ अनपढ़ मुसलमान इस अंदेशे से आक्रोशित हैं कि उन्हें भी नागरिकता साबित करने होंगे ? इस देश पर सैकड़ों साल विदेशी आक्रांताओ ने और अंग्रेजों ने भारत पर क्यों और कैसे हुकूमत की ? इसका जवाब CAA पर आज की बहस है। अपने वतन से पहले जब भी किसी कौम ने अपनी विरादरी ,अपने मजहब अपनी जाति को आगे रखा है उसने अपना सम्मान सबसे ज्यादा खोया है। जबतक इस देश को कुछ लोग किराए का देश समझ कर सरकारी सम्पत्ति जलाएंगे ,उनमें तबतक सियासी जमाते अंदेशा भरेंगे ,.. तब तक वे सिर्फ भीड़ बने रहेंगे और अफवाह को अपनी ज़िंदगी मानकर दौड़ते हाँफते नजर आएंगे ।अपनी अलग पहचान के नाम पर देश का मुसलमान सबसे ज्यादा नुकसान अपने ही तबके का किया है। मुल्क के दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय सिख ,जैन आज भारत की तरक्की की रीढ़ बन गए है लेकिन सबसे बड़ा तबका आज भी अफवाह का शिकार बन रहा है…भारत के लोकतंत्र में बहस की शानदार रिवायत रही है। जिनकी बहस में तर्क नहीं है वे देश को अफवाह के जरिये जला रहे हैं और एक समुदाय को भीड़ बने रहने के लिए उकसा रहे हैं। देश ने बड़े बड़े मुश्किलों का सामना किया है लेकिन सहनशीलता का अपना धर्म नहीं छोड़ा है। नागरिकता कानून मिलने से कितने लोग आएंगे इसका पता नहीं लेकिन हम कितने सहिष्णु हैं इसका परिचय दे दिया है।
CAA के बाद भारत ने पाकिस्तान ,बांग्ला देश ,अफ़ग़ानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न से जूझ रहे हिन्दुस्तानी अल्पसंख्यकों आश्वस्त किया है कि भारत उनके संरक्षण के लिए तैयार है । यह दवाब आज पाकिस्तान और बांग्लादेश के सरकारों पर भी पड़ा है और दुनिया जान गयी है कि इन इस्लामिक मुल्कों में अल्पसंख्यकों के साथ किस तरह का व्यवहार होता है और इंडिया उसकी आवाज बन गया है।
हिंदुस्तान पर 800 साल हुकूमत का दावा करने वाले कुछ पढ़े लिखे ,कुछ अनपढ़ मुसलमान इस अंदेशे से आक्रोशित हैं कि उन्हें भी नागरिकता साबित करने होंगे ? इस देश पर सैकड़ों साल विदेशी आक्रांताओ ने और अंग्रेजों ने भारत पर क्यों और कैसे हुकूमत की ? इसका जवाब CAA पर आज की बहस है। अपने वतन से पहले जब भी किसी कौम ने अपनी विरादरी ,अपने मजहब अपनी जाति को आगे रखा है उसने अपना सम्मान सबसे ज्यादा खोया है। जबतक इस देश को कुछ लोग किराए का देश समझ कर सरकारी सम्पत्ति जलाएंगे ,उनमें तबतक सियासी जमाते अंदेशा भरेंगे ,.. तब तक वे सिर्फ भीड़ बने रहेंगे और अफवाह को अपनी ज़िंदगी मानकर दौड़ते हाँफते नजर आएंगे ।अपनी अलग पहचान के नाम पर देश का मुसलमान सबसे ज्यादा नुकसान अपने ही तबके का किया है। मुल्क के दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय सिख ,जैन आज भारत की तरक्की की रीढ़ बन गए है लेकिन सबसे बड़ा तबका आज भी अफवाह का शिकार बन रहा है…भारत के लोकतंत्र में बहस की शानदार रिवायत रही है। जिनकी बहस में तर्क नहीं है वे देश को अफवाह के जरिये जला रहे हैं और एक समुदाय को भीड़ बने रहने के लिए उकसा रहे हैं। देश ने बड़े बड़े मुश्किलों का सामना किया है लेकिन सहनशीलता का अपना धर्म नहीं छोड़ा है। नागरिकता कानून मिलने से कितने लोग आएंगे इसका पता नहीं लेकिन हम कितने सहिष्णु हैं इसका परिचय दे दिया है।
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