आखिर बिल गेट्स ने क्यों कहा भारत से सीखो !
कुछ महत्वपूर्ण ख़बरों पर नज़र डालिये : किसानों का भारत बंद आह्वान का मिला जुला असर , दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का दावा मोदी की पुलिस ने सीएम को घर में नजरबन्द किया । किसी देश का अध्ययन करना है तो भारत का कीजिये : बिल गेट्स. .. पाकिस्तान में धार्मिक और राजनीतिक संगठनों के हथियारबंद दस्तों पर सख्ती ,FATF का दवाब लश्कर ए तोइबा वाले हाफ़िज़ सईद की बढ़ी मुश्किलें और भारत के सेना प्रमुख का सऊदी -यूनाइटेड अरब अमीरात का पहलीबार दौरा, मजबूत होंगे रक्षा सम्बन्ध। इन ख़बरों के केंद्र में आप सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही पाएंगे । देश में अबतक आर्थिक सुधारों क्वे खिलाफ 45 बार भारत बंद का आह्वान किया गया है और हर बार लोगों की आशंकाए निर्मूल साबित हुई है। आर्थिक सुधारों के कारण भारत कुछ लाख बिलियन डॉलर से आज तीन ट्रिलियन की इकॉनमी वाला देश बनने की और अग्रसर है।
"अगर कोई किसी देश की प्रगति का अध्ययन करना चाहता है तो उसे मैं सजेस्ट करूँगा कि वह भारत जाय और वहां के बदलाव को देखे। डिजिटल पेमेंट ही क्यों भारत ने व्यवहार परिवर्तन के आंदोलन से मुल्क की तस्वीर बदल दी है" बिल गेट्स । दुनिया के सबसे बड़े उद्योगपति और लोकोपकारी बिल गेट्स मोदी की इंडिया की तारीफ में जब बोलते हैं तब उनके सामने सिर्फ स्वच्छ भारत की तस्वीर नहीं होती बल्कि उनके सामने करोडो गरीब भारतीय के जीवन में आये सुधार भी उन्हें अचंभित करता है। लेकिन भारत में सुधार को लेकर आशंका कुछ लोगो में हमेशा बनी रहती है।
किसान बिल के विरोध में आशंका की वजह यही आर्थिक सुधार है लेकिन मोदी के विरोध में कुछ लीडरों ने इसमें ज्यादा चासनी डाल दी है। जैसा कि नए किसान नेता बनने के चक्कर में अरविन्द केजरीवाल अपने को धरने पर बैठे किसानों के सेवादार कहा और अफ़वाह फैलाई कि मोदी की पुलिस ने उन्हें नज़र बंद कर रखी है। कैप्टन अमरिंदर सिंह का मानना है कि केजरीवाल सबसे ज्यादा अविश्वसनीय व्यक्ति है एक ओर एग्रीकल्चर बिल को दिल्ली में शत प्रतिशत लागू करते है लेकिन किसानों के बीच मोदी की मजम्मत करता है। राहुल गांधी और कांग्रेस की अपनी समस्या है जिसे वे मोदी के भरोसे ही हल करना चाहते हैं। राजनीतिक दल अपने अस्तित्व की लड़ाई में एक एक तिनके को ढ़ूँढ़ रहे हैं जिसके बिना पर वे नरेंद्र मोदी से मुकाबला कर सकें।
आर्थिक सुधार के आग्रही नरेंद्र मोदी को आर्थिक विशेषज्ञों ने उन्हें सबसे ज्यादा प्रो फार्मर और प्रो पुअर का आरोप लगाया है लेकिन एग्रीकल्चर बिल को लेकर भ्रम ऐसा फैलाया गया कि कुछ किसान उनके नीतियों को लेकर सड़क पर उतर आये । लेकिन इससे भी दिलचस्प खबरे पाकिस्तान की है. .. जिस पाकिस्तान में हाफ़िज़ सईद के सामने वहां की फौज और इंतजामिया घुटने टेके खड़ी थी आज इंतजामिया उनके खतरनाक साथियों के साथ उन्हें सलाख़ों के अंदर कर दिया है । भारत में किसान आंदोलन को सबसे ज्यादा हैडलाइन पाकिस्तान के मिडिया में मिल रही है। वजह वही नरेंद्र मोदी ही है।
याद कीजिये लश्करे तैयबा के सरगना यह वही हाफ़िज़ सईद है जिसने फौजी तानाशाह जनरल जिया उल हक़ के ब्लीडिंग इंडिया बाय थाउजेंड्स कट्स की नीति को आगे बढ़ाते हुए कश्मीर में महज 1500 लश्करे तोइबा के जिहादी फिदायीन भेजकर पिछले दो दशकों में हमारे 20,000 से ज्यादा जवानों को शहीद कर दिया था। जिस पाकिस्तान को हमने तीन तीन जंग में धूल चटा दी थी ,उसी पाकिस्तान के दहशतगर्द करवाई से भारत लहूलुहान पड़ा था ,वजह हमारे अति विवेकशील और धैर्यवान नेताओं ने हाफिज सईद को जानने के बजाय पाकिस्तान से दोस्ती की बात करते रहे ।
दो दशक पुराने कश्मीर और आज की कश्मीर की तुलना आप कश्मीर जाकर ही कर सकते हैं। क्योंकि नैरेटिव के माहिर बुद्धिजीवी आपके सामने कभी सही तस्वीर आने नहीं देंगे । सऊदी में वहाबी इस्लाम की तालीम लेने के बाद हाफ़िज़ सईद अफग़ानिस्तान के जिहाद में शामिल हुआ था। हाफ़िज़ सेईद डेमोक्रेसी को बदतरीन व्यवस्था मानता है उसकी सोच शरीयत तक ही सीमित है इसके आगे की दुनिया को वह नहीं मानता। सूफी की परंपरा वाले कश्मीर में जिहाद और आतंकवाद कभी सोची भी नहीं जा सकती थी। लश्कर के आगमन के साथ कश्मीर में वहाबी स्कूल का प्रचलन बढ़ा और कश्मीरी समाज की सोच को इसने काफी हद तक प्रभावित किया। आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद , ये मोदी है जिस कारण यहाँ अब सिर्फ भारत का इकबाल बोलता है.. जहाँ 70 वर्षों में पहली बार संवैधानिक सत्ता ग्रास रूट्स डेमोक्रेसी आम लोगो की भागीदारी बढ़ा रही है। ऐसा ही कुछ कॉन्फिडेंस पाकिस्तान में भी आया है.
क्या आप यकीन करेंगे कि जिस मुम्बई हमले का मास्टरमाइंड हाफ़िज़ सईद को भारत के इतने डोजियर और सबूत भेजने के वाबजूद पाकिस्तानी हुकूमत उसके खिलाफ कोई कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा पायी आज एक एक मुकदद्मे में उसे10 - 10 साल के सजा मिल रही है। ऐसा चमत्कार कैसे हुआ कि पाकिस्तान के सात बड़े शहरों में स्थापित शरिया कोर्ट का संचालन करने वाला हाफ़िज़ सईद के खिलाफ किसी कोर्ट ने भी कभी उसकी न्याय प्रणाली को गलत नहीं कहा और उसने पाकिस्तान में पैरेलेल न्याय व्यवस्था खड़ी करके अपने को सुपर चीफ जस्टिस घोषित कर रखा था लेकिन आज वह शलाखो के पीछे है तो वजह सिर्फ मोदी है. ..
जिसने पाकिस्तान को आतंकवाद के नायक होने के मामले में दुनिया से बिलकुल अलग थलग कर दिया। यह नरेंद्र मोदी की डिप्लोमसी है कि दुनिया भारत के कंसर्न पर तब्बजो दे रही है। पिछले 25 वर्षों में हमारे 3 लाख से ज्यादा मासूम नागरिक पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के भेट चढ़ गए लेकिन एक बार भी ऍफ़ ए टी ऍफ़ या संयुक्त राष्ट्र के किसी इकाई ने पाकिस्तान की मजम्मत नहीं की। उधर पाकिस्तान अन्तर्राष्टीय मंचों से हाफ़िज़ सईद और दूसरे आतंकवादी संगठनों को कश्मीर की आज़ादी के नायक साबित करता रहा. . लेकिन आज टेरर फाइनेंसिंग के आरोप में ऍफ़ ए टी ऍफ़ ने उसे ग्रे लिस्ट में डाल रखा है अगर लश्कर जैश पर करवाई नहीं हुई तो उसे कभी भी ब्लैक लिस्ट किया जा सकता है फिर पाकिस्तान किसी भी प्रकार के विदेशी मदद का हकदार नहीं होगा। कश्मीर और जिहाद के नाम पर पाकिस्तानी फौज ने दर्जनों आतंकवादी संगठन पंजाब और खैबर इलाके में खड़ा किया था जिसने पुरे पाकिस्तान की इकॉनमी पर लगभग कब्ज़ा कर बैठा था ,आतंकवाद के नाम पर पाकिस्तान दुनिया से अरबो डॉलर इकठा करता था। यही वजह है कि इंतजामिया हाफिज सईद के हजारों मदरसों और मस्जिदों की ताकत के डर खामोश बैठी रही लेकिन आर्थिक रूप से जर्जर पाकिस्तान आज कुछ भी करने को तैयार है।
पाकिस्तान को सबसे ज्यादा आर्थिक मदद देने वाला सऊदी अरबिया आज पाकिस्तान से एक एक पैसा सूद के साथ वसूलने को तैयार है। पाकिस्तान के नौजवानो को सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला यूनाइटेड अरब अमीरात उसे बीजा देने से मना कर दिया है। सऊदी के प्रिंस पाकिस्तान से अपने डिप्लोमेटिक ताल्लुकात कम कर लिए हैं। वही सऊदी अपने मुल्क का सर्वश्रेष्ठ उपाधि नरेंद्र मोदी को सौंपता है। यु ए ई भारत के साथ एक मजबूत आर्थिक संबंध चाहते हैं। भारत उनकी आर्थिक प्रगति में मजबूत योगदान दे रहा है.. यही वजह है कि चीन के सक्रीय आर्थिक और सामरिक सहयोग के आश्वासन के वाबजूद गल्फ के लगभग सभी मुल्कों के साथ भारत के अच्छे संबंध है। भारत के सेना प्रमुख सऊदी और दूसरे अरब मुल्को के बीच सामरिक सम्बन्ध मजबूत करने के लिए वहां का दौरा कर रहे हैं। तीस वर्षों के बाद पहलीबार कश्मीर में ग्रास रूट्स डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए पंचायती राज निज़ाम का चुनाव हो रहा है। आतंकवादियों का खौफ और अलगाववाद की सियासत सुदूर पहाड़ी इलाके में भी लोगों के जज्बे को रोक नहीं पायी है क्योंकि यह पुनर्निर्माण का वक्त है तीस साल पुराने नैरेटिभ आर और पार दोनों जगह घीस गए हैं। क्योंकि यह नरेंद्र मोदी का वक्त है जिसने सियासत में सेट पैटर्न को हिला दिया है।
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